यह चिट्ठी, वी.रघुनाथन के द्वारा लिखी पुस्तक लॉक्स्, महाभारत एण्ड मैथमेटिक्स: एन एक्सप्लोरेशन ऑफ अनएक्सपेक्टेड पैरेलेल्स् की समीक्षा है।
'उन्मुक्त जी, कहीं तालों, महाभारत, और गणित में कोई सम्बन्ध है? लगता है कि आपकी मज़ाक करने की आदत गयी नहीं?'मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूं। मैं भी यही समझता था कि इनमें कोई सम्बन्ध नहीं है, परन्तु एक दिन पुस्तक की दुकान में घूमते समय, मेरी नज़र 'लॉक्स् महाभारत एण्ड मैथमेटिक्स' नामक पुस्तक पर पड़ी। इसका शीर्षक कुछ अजीब लगा तो आवरण पृष्ठ में लगे फ्लैप में, पुस्तक के बारे में लिखे लेख को पढ़ना शुरू किया। पढ़ने से पुस्तक दिलचस्प लगी और लगा कि शायद इन तीनों के बीच कोई सम्बन्ध हो।
मैंने, इस पुस्तक को खरीदकर पढ़ना शुरू किया। इस पुस्तक में महाभारत से ली गई अनेक अलग-अलग घटनाएं हैं—द्रौपदी के पांच पति; जरासंध का जन्म अथवा उसके शरीर की रचना; इन्द्रप्रस्थ का मायावी महल, जिसमें पानी पर जमीन और जमीन पर पानी,दरवाजे पर दीवाल एवं दीवाल पर दरवाजों जैसी लगती थी; युधिष्ठिर का जुआ में हारना; हनुमान जी का भीम के अहंकार को नष्ट करने के लिये अपनी पूंछ का इस्तेमाल करना; चार पांडवों द्वारा तालाब पर पानी पीने के लिये यक्ष के प्रश्नों के उत्तर देने से मना करने पर मृत्यु होना फिर युधिष्ठिर के द्वारा जवाब देने पर उनका जीवित होना; अभिमन्यु का चक्रव्यूह भेदन तो कर सकना, किन्तु उससे बाहर न निकल पाना; परशुराम के द्वारा कर्ण को बिच्छू के द्वारा काटे जाने के बाद भी न उठने पर श्राप देना और शुक्राचार्य एवं कच्छ की कथा।
उक्त सभी घटनाएं अपने आप में न केवल अजीब, बल्कि अनूठी भी हैं। लेकिन, इन सभी घटनाओं को अपनी तरह से बताकर उनसे संबंधित तालों की जानकारी उससे भी अजीब और अनूठी है। मैं नहीं समझता था कि ताले भी इतने अनूठे हो सकते हैं।
इन घटनाओं का सम्बन्ध गणित से भी जोड़ा गया है, पर यह उतना अच्छा नहीं है और यह हो भी नहीं सकता था, क्योंकि कभी इस तरह का सम्बन्ध था ही नहीं।
द्रौपदी के पांच पति होने की कथा भी कुछ इस प्रकार है कि कहा जाता है कि पिछले जन्म में द्रौपदी ने शिवजी की तपस्या की और तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने द्रौपदी से वरदान मांगने को कहा। जिस पर द्रौपदी ने शिवजी से ऐसे पति का वर मांगा जो न्यायप्रिय हो, बलवान हो, धनुर्धारी हो, बुद्घिमान हो एवं सुन्दर हो। शिवजी ने द्रौपदी को बताया कि इस तरह के गुणों से युक्त कोई एक व्यक्ति नहीं हो सकता, इसलिये उससे कोई दूसरा वर मांगने को कहा। लेकिन, द्रौपदी अपनी बात पर अड़ी रही। इस पर शिवजी ने तथास्तु कहते हुए यह वर देकर कहा कि यह उसके अगले जन्म में पूर्ण होगी।
द्रौपदी के द्वारा कहे पांच गुणों से संपन्न कोई एक व्यक्ति नहीं हो सकता था, इसलिये अगले जन्म में, द्रौपदी के पांच पति हुए, जिनमें यह गुण था। युधिष्ठिर न्यायप्रिय, भीम बलवान, अर्जुन धनुर्धारी, नकुल सुन्दर, तथा सहदेव बुद्घिमान थे।
इस घटना का सम्बन्ध यदि तालों में ढूंढे तो कुछ ऐसे भी ताले होते थे, जो पांच चाबियों से खुलते थे। ये पुराने समय में संयुक्त परिवार में चला करते थे। चाबियां भाइयों के पास रहती थीं और जब वे साथ होगें, तभी वह ताला खुल सकता था।
पांच तालियों से खुलने वाला ताला |
पांच भाइयों में द्रौपदी एक ईर्ष्या का विषय न बने, इसलिये एक नियम था। जिसके अनुसार द्रौपदी को एक साल में एक ही पति के साथ सहवास की अनुमति थी तथा उस दौरान द्रौपदी के पास कोई अन्य भाई नहीं आ सकता था, परन्तु यह नियम कुछ समय बाद लागू किया गया।
यदि यह कहा जाए कि यह नियम एक साल बाद लागू किया गया था तो कुछ रातें द्रौपदी ने अलग-अलग पतियों के साथ बिताईं। 'य' वे रातें हैं, जो द्रौपदी ने युधिष्ठिर के साथ बिताईं थीं तथा 'भ' वे रातें हैं, जो द्रौपदी ने भीम के साथ बिताई थीं, 'अ' वे रातें हैं, जो द्रौपदी ने अर्जुन के साथ बिताई थीं, 'न' वे रातें हैं, जो द्रौपदी ने नकुल के साथ बिताई थीं तथा 'स' वे रातें हैं, जो द्रौपदी ने सहदेव के साथ बिताई थीं। तब निम्न समीकरणों को देखें।
य+भ अ+न = ३०४
भ+अ+न+स = २९६
अ+न+स+य = २९४
न+स+य+भ = २८०
स+य+भ+अ = ३१०
क्या केवल इन समीकरणो को देख कर बता सकते हैं कि द्रौपदी को कौन सबसे पसन्द था और कौन सबसे कम।
मैं तो समझता हूं कि महिलाएं सबसे सुन्दर को पसन्द करती हैं, लेकिन शायद द्रौपदी के लिये यह सही नहीं था :-)
पुस्तक में महाभारत की घटनाओं एवं तालों का सम्बन्ध अच्छा है, हालांकि गणित के साथ उतना अच्छा नहीं है। लेकिन, यह हो भी नहीं सकता क्योंकि, कभी भी उनमें सम्बन्ध था ही नहीं।
गणित के कुछ भाग को समझने के लिये, हाईस्कूल स्तर की गणित आनी चाहिए लेकिन यदि आपको यह नहीं आती है तब कोई बात नहीं है। इस पुस्तक के गणित के भाग को आप छोड़ सकते हैं। इसके बिना भी, महाभारत और तालों के सम्बन्ध को लेकर की गई चर्चा भी इस पुस्तक को पढ़ने योग्य बनाती है।
सांकेतिक शब्द
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Nice post .
ReplyDeleteय = 75 , भ = 77 , अ = 91 , न = 61 ... स = 67
Though i had to calculate ... just by watching ... couldn't evaluate the values .
ReplyDeleteवाह सर मेरे लिए ये बिल्कुल ही नई जानकारी थी , सर्वथा अनछुई सी । बहुत ही मज़ेदार और ज्ञानवर्धक पोस्ट है सर , साझा कर रहा हूं इसे
ReplyDeleteसाझा करने के लिये शुक्रिया
Deleteहमेशा की तरह एक शानदार लेख.. आपके लेखो को पढ़ने से ख़ुशी होती है। जो हमारी सोच को एक नया आयाम देते हैं।
ReplyDeleteरोचक विवरण पतियों का, ताले को खोलने वाली चाभियाँ
ReplyDeleteरोचक है आपकी पोस्ट..धन्यवाद्
ReplyDeleteअरे मेरी एक पूरी टिप्पणी कहाँ गयी ?
ReplyDeleteमैंने लाख -लाक्षागृह की बात की थी !
गणित के दीगर महाभारत के कई रोचक आख्यान के चलते भी यह पुस्तक पढ़ी जायेगी!
आपने रिकमेंड किया, आभार!
अरविन्द जी इसके अतिरिक्त आपकी कोई टिप्पणी नहीं आयी :-(
Deleteरोचक जानकारी
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteबढ़िया :)
ReplyDeleteVery nice sir.
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