इस चिट्ठी में, सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा निर्णीत किया गया 'इंडियन कांउसिल फार एन्वायरो एक्शन बनाम भारत सरकार' ए.आई.आर. १९९६ एस.सी. १४४७ (एन्वायरो एक्शन केस) तथा उसमें प्रतिपादित सिद्धान्त की चर्चा है।
उन्नीसवी शताब्दी में रसायनिक उद्योग - चित्र विकिपीडिया से |
एन्वायरो एक्शन केस
राजस्थान के जिला उदयपुर के बिचेरी गांव में,
रसायन उद्योग, तरल पदार्थ एवं कूड़ा करकट फेंक कर, पृथ्वी और पानी को
नुकसान पहुंचा रहे थे। इसलिये उन्हें बंद कर दिया गया। लेकिन उनके द्वारा
पहुंचाए गए नुकसान को दूर करने के लिये कोई कदम नहीं उठाया गया। इंडियन कांउसिल फार एन्वायरो एक्शन बनाम भारत सरकार ए.आई.आर. १९९६ एस.सी. १४४७ (एन्वायरो एक्शन केस), इसी नुकसान को दूर करने के दायित्व को तय करने के लिये दाखिल किया गया था।
इस केस में, उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी कि नुकसान की भरपाई, प्रदूषक करता है। इसका अर्थ यह है कि नुकसान की रोकथाम या उपचार में होने वाला वित्तीय खर्च, प्रदूषण करने वाला उपक्रम उठाएगा। इसे सरकार पर नहीं लादा जा सकता, क्योंकि ऐसा करने से यह करदाताओं पर स्थानांतरित हो जाएगा।
अगली बार हम लोग कमलनाथ केस के बारे में चर्चा करेंगे।
भूमिका।। विश्व पर्यावरण दिवस ५ जून को क्यों मनाया जाता है।। टिकाऊ विकास और जनहित याचिकाएं क्या होती हैं।। एहतियाती सिद्घांत की मुख्य बातें क्या होती हैं - वेल्लौर केस।। नुकसान की भरपाई, प्रदूषक पर - एन्वायरो एक्शन केस।।
सांकेतिक शब्द
। Indian Council for Enviro-Legal Action Vs. Union of India AIR 1996 SC 1447,
। पर्यावरण, environment, Ecology, Environment (biophysical), Natural environment, Environmental movement, Environmentalism, Environmental science,
।हिन्दी,
प्रदूषक का कर्तव्य बनता है, उसे ही करना चाहिये।
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण निर्णय
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