इस चिट्ठी में चर्चा है कि कुंभ मेले का नाम कुंभ मेला क्यों है; क्या इलाहाबाद मे होने वाले मेले को कुुंभ मेला कहना चाहिय या फिर वृषभ-कुंभ मेला; और अमिताभ बच्चन के द्वारा बताये जा रहे कुंभ के वैज्ञानिक महत्व से क्या भ्रम हो रहा है।
अमिताभ बच्चन के स्पष्टीकरण से लग रहा है कि बृहस्पति इस समय वृषभ राशि में है जबकि वास्तव में इस समय वह वृश्चिक {Scorpius (Scorpio)} राशि में है। यह क्यों हो रहा है इसे कुछ विस्तार से समझें।
अपने देश में नदियों के किनारे हमेशा मेले लगते रहे हैं और इन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता रहा है।
इलाहाबाद में, संगम के किनारे, लगने वाला मेला सबसे पुराना मेला है। यह माघ मेले के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह माघ के महीने में लगता है। यह मकर संक्रांति से शुरू होकर शिवरात्रि तक चलता है। मेरे विचार से इस मेले की शुरुवात तब शुरू हुई होगी जब सूरज मकर संक्रान्ति पर उत्तरायण होता था। जैसा कि मैंने पिछली चिट्ठी में जिक्र किया था कि लगभग १५०० साल पहले होता था तो शायद यह मेला भी उतना ही पुराना है।
हरिद्वार में मेला १२ साल में एक बार लगता है। इसका संबन्ध बृहस्पति ग्रह की कक्षा से है। बृहस्पति सूरज के चारो तरफ लगभग १२ साल में चक्कर लगाता है और हर राशि में लगभग एक साल रहता है। हरिद्वार में जब यह मेला होता है तब बृहस्पति कुंभ (Aquarius) राशि में होता है इसलिये इसे कुंभ मेला कहा गया।
पहले, इलाहाबाद में लगने वाले मेेले को कभी भी कुंभ मेला नहीं कहा जाता था। लगभग २०० साल पहले, इलाहाबाद का महत्व बढ़ाने के लिये, पंडितों ने, यहां भी हरिद्वार की तरह १२ साल में होने वाले माघ मेले को कुंभ मेला का नाम दे दिया। हांलाकि जब इलाहाबाद में यह मेला होता है तब बृहस्पति कुंभ राशि में न हो कर वृषभ (Taurus) राशि में होता है। वास्तव में इसका नाम वृषभ मेला होना चाहिये या फिर वृषभ-कुंभ मेला, न कि केवल कुंभ मेला।
नासिक और उज्जैन में जब मेला लगता है तब बृहस्पति सिंह राशि में होता है। इसलिये यहां होने वाले मेले को सिंहस्थ कुंभ मेला कहा जाता है।
दो कुंभ मेले के बीच में होने वाले मेले को अर्ध कुंभ कहा जाता है। यह इलाहाबाद में तब होता जब बृहस्पति वृश्चिक {Scorpius (Scorpio)} राशि में होता है। इस समय बृहस्पति ओफ़िचस नक्षत्र में है जो कि ज्योतिष में वृश्चिक {Scorpius (Scorpio)} राशि का हिस्सा है। इस समय इलाहाबाद में अर्ध कुंभ चल रहा है न कि कुंंभ।
बृहस्पति वृषभ राशि में २०१३ में था। उस समय कुंभ मेला हुआ था। बृहस्पति २०२५ में वृषभ राशि में आयेगा तभी इलाहाबाद में कुंभ मेला होगा।
लेकिन सारा भ्रम उत्तर प्रदेश की सरकार ने कर दिया। उन्होंने अर्ध कुंभ को कुंभ का नाम दे दिया है और कुंभ को महाकुंभ। इस कारण भ्रम होने लगा। अमिताभ बच्चन नये नामकरण के अनुसार महाकुंभ की बात कर रहे हैं न कि इलाहाबाद में, इस समय चल रहे कुंभ (पुराना नाम अर्धकुंभ) की।
अगली बार हम लोग चर्चा करेंगे कि क्या कुंभ (अब महाकुंभ) मेला हमेशा १२ साल बाद लगता है।
कुंभ मेला
मकर संक्रांति पर सूरज उत्तरायण नहींं होता।। अमिताभ बच्चन - कुंभ और भ्रम।। हर कुंभ मेला १२ साल बाद नहीं होता।। चलत मुसाफिर मोह लिया रे ऽऽऽ, पिंजड़े ऽऽऽ वाली मुनिया।।
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आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 51वीं पुण्यतिथि - पंडित दीनदयाल उपाध्याय और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteजानकारी से भरी हुई पोस्ट। अगली पोस्ट का इंतजार ।
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