इस चिट्ठी में बताया गया है कि क्यों हर कुंभ (अब महाकुंभ) मेला १२ साल बाद नहीं होता है।
अर्ध-कुंभ (अब कुंभ) इलाहाबाद २०१९ - चित्र सुश्री अमृता चैट्रजी के सौजन्य से |
मैंने अपनी पिछली चिट्ठी में जिक्र किया था कि कुंभ (अब महाकुंभ) हर १२ साल में एक बार आयोजित किया जाता है। इसका कारण संबन्ध बृहस्पति की कक्षा से है। इलाहाबाद में यह तब होता है जब बृहस्पति वृषभ राशि में होता है।
यदि बृहस्पति सूर्य के चारों तरफ ठीक १२ साल में बार घूमता तब कुंभ (अब महाकुंभ) हमेशा १२ साल बाद होता लेकिन यह समय १२ साल न होकर, इससे कुछ कम ११.८६२ साल है। इसलिये हर साल बृहस्पति की जगह बदलती रहती है। इसका समायोजन करना होता है। इसी कारण सातवां कुंभ (अब महाकुंभ) १२ साल बाद न होकर ११ साल बाद होता है।
आज़ादी मिलने के बाद, इलाहाबाद में, पहला कुंभ (अब महाकुंभ) १९५४ में हुआ था। लेकिन उसके बाद १९६५ में। इसमें कुछ विवाद था पर बाद में यह १९७७, १९८९, २००१, २०१३ में हुआ। अगला कुंभ (अब महाकुंभ) २०२५ में होगा।
लेकिन यह समायोजन एकदम सही नहीं है। ८३ वर्षों तक चलने वाले ७ कुंभ (अब महाकुंभ) के २९ चक्रों के बाद इसे पुनः समायोजन करना पड़ेगा और इसे ठीक करने के लिये, ७ कुंभों का ३०वां चक्र ८४ साल का होगा न कि ८३ साल का।
यह ठीक उसी प्रकार है जिस तरह से, ४ एवं ४०० से विभाजित होने वाले वर्ष, लीप साल कहलाते हैं और ३६६ दिन के होते हैं। लेकिन १०० से विभाजित होने वाले एवं अन्य वर्ष ३६५ दिन के ही होते हैं। इसलिये वर्ष १८००, १९०० लीप साल नहीं थे। ये ३६५ दिन के थे। इसी तरह वर्ष २१०० और २२०० भी लीप साल नहीं होंगे। लेकिन वर्ष २००० लीप साल था, क्योंकि यह ४०० से विभाजित हो जाता था। यह ३६६ दिन का था।
इससे पता चलता है कि हमारे पूर्वज बहुत अच्छे खगोलशास्त्री थे लेकिन बाद में ज्योतिषाचार्यों ने सब गु़ड़-गोबर कर दिया। इसके बारे में मैंने विस्तार से अपनी श्रंखला 'ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके' तथा 'ज्योतिष कूड़े का भार है' नामक चिट्ठी में की है। कुछ यही गलती आजकल इंडियन साइंस कॉंग्रेस कर रही है। यह पुरानी कल्पनाओं को सच मान बैठी। यदि इसने अपनी गलती नहीं सुधारी तब हम विज्ञान की दुनिया में बहुत पिछड़ जायेंगे :-(
कुंभ मेला
मकर संक्रांति पर सूरज उत्तरायण नहींं होता।। अमिताभ बच्चन - कुंभ और भ्रम।। हर कुंभ मेला १२ साल बाद नहीं होता।। चलत मुसाफिर मोह लिया रे ऽऽऽ, पिंजड़े ऽऽऽ वाली मुनिया।।
सांकेतिक शब्द
#हिन्दी_ब्लॉगिंग Astronomy, Astronomy, Kumbh Mela, Leap year,
culture, Family, fiction, life, Life, Religion, जीवन शैली, धर्म, धर्म- अध्यात्म, विज्ञान, समाज, ज्ञान विज्ञान,
इस जानकारी के बीच सुधार करिए. फरवरी 2000 लीप इयर की तरह 29 दिन की ही थी. आप कैसे कह रहे कि वर्ष 2000 में 365 दी ही थे?
ReplyDeleteभूल बताने के लिये धन्यवाद, चिट्ठी में सुधार कर दिया है।
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ReplyDelete"इससे पता चलता है कि हमारे पूर्वज बहुत अच्छे खगोलशास्त्री थे लेकिन बाद में ज्योतिषाचार्यों ने सब गु़ड़-गोबर कर दिया। इसके बारे में मैंने विस्तार से अपनी श्रंखला 'ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके' तथा 'ज्योतिष कूड़े का भार है' नामक चिट्ठी में की है। कुछ यही गलती आजकल इंडियन साइंस कॉंग्रेस कर रही है। यह पुरानी कल्पनाओं को सच मान बैठी। यदि इसने अपनी गलती नहीं सुधारी तब हम विज्ञान की दुनिया में बहुत पिछड़ जायें।"
शब्दशः सहमत
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति नमन - नामवर सिंह और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteइतनी रोचक और तथ्यपूर्ण जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद।
ReplyDeleteमुझे बेहद खुशी होगी अगर आप एक बार मेरे ब्लॉग पर आएंगे तो।
iwillrocknow.com
कई लाखों भारतीय, पुरुष और महिला, युवा और वृद्ध, व्यक्ति और भिक्षु, इलाहाबाद कुंभ मेला में आते हैं । भारत में पवित्र स्थल त्यौहार, कहा जाता है मेलों, हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एक देवता या शुभ ज्योतिषीय काल के जीवन में एक पौराणिक घटना का जश्न मनाते हुए, देश भर से तीर्थयात्रियों की भारी संख्या को आकर्षित करता है।
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