इस चिट्ठी में, अम्मां ने लन्दन होते हुऐ, वॉशिन्गटन पहुचने और वहां के कुछ दर्शनीय स्थलों की चर्चा की है।
अम्मां और दद्दा, इस ट्रिप में कैनाडा भी गये थे। यह चित्र कैनाडा में विनिपेग में खींचा गया था। |
दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा
भूमिका।। लन्दन होते हुऐ, वॉशिन्गटन।।
खूब सारा प्यार
तुम्हारे बाबाजी व दादी अमेरिका गये थे न। आओ, तुम्हें हाल सुनायें।
प्रयाग से हम बम्बई गये। १ जून को प्रात: हम बम्बई से एयर इंडिया की फ्लाइट से चले। रास्ते भर वढिया खाना, लेमन ड्रॉपस, फलों का रस मिलता रहा। दो चल- चित्र देखे। सुबह ५ बजे चलकर शाम ४ बजे भारतीय टाइम से लन्दन पहुंचे।
लन्दन में उस समय दिन के ११ बजे थे। वहां हम हीथ्रो एयरपोर्ट पर उतरे। खूब बड़ा सा एयरपोर्ट हेै। बस करके मुक्ता बुआ [मेरी बहन की सबसे छोटी ननद] के घर गये।
लन्दन में हमने वैक्स म्यूज़ीअम, पैलेस व टॉवर देखी। हम जब कार से एयरपर्ट जा रहे थे तो हम एक टनल से गये। ऊपर थेम्स नदी बह रही थी व नीचे हम कार से जा रहे थे।
५ जून को, लन्दन से हवाई-जहाज से चलकर, हम शाम को वॉशिन्गटन पहुंचे। यह शहर बड़ा साफ-सुथरा और अच्छा है थोङी ठंड है यहां पर। यहां हम सात दिन रहे व खूब घूमा। यहां हमने सेनट हॉल, कॉन्ग्रेस लाइब्रेरी, व्हाइट हाउस देखा। यहां मेट्रो ट्रेन भी चलती है, जिनका सारा काम कम्प्यूटर से होता है।
लॉन्गवुड बगीचे का - कैक्टस सेक्शन |
यहां से १५० मील दूर लॉन्गवुड गार्डन्स है। जहां पर समर हाउस की तरह गार्डन है। जिस देश का फूल, वहीं की क्लाइमट बना रखी है। एक डिज़र्ट गार्डन है, जिसमे कैक्टस ही हैं।
वॉशिन्गटन से २०० मील दूृर, गॅटीस्बर्ग है। यहां पर इन्डिपेन्डन्स की लड़ाई का सामान सुरक्षित है। एक-एक गोली, बम, टैंक आदि। प्रेज़डेन्ट लिंकन की के तमाम सारे ममॉरीअल्ज़ हैं। वॉशिन्गटन से, १०० मील दूर आनापालिस् है। यही पर बड़ी मशहूर हॉपकिन्स यूनवर्सिटी है।
वॉशिन्गटन से हम लोग हवाई जहाज से फ़्लोरिडा गये। यहां पर श्वेता दीदी की बुआ मीरा [मेरी बहन की दूसरी ननद] रहती हैं। फ़्लोरिडा का एयर पोर्ट बहुत बड़ा है। एक टर्मनल से दूसरे टर्मनल तक, शटल ट्रेन में जाते है। उनकी कार में बैठकर हम उनके घर गये। दूसरे दिन हम सी वर्ल्ड देखने गये।
सस्नेह दादी-मां
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Very nice
ReplyDeleteIt is quite pleasant to remember old time,rememberances of parents and their feelings for children and grandchildren specially knowing that these are unreturnable moments.-satya prakash
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