Sunday, August 21, 2022

आपातकाल के 'निकोलस बेकर'

इस चिट्ठी में, रज्जू भैया के फिल्म और गानों में रुचि के साथ आपातकाल के दौरान नाम और भेष बदलने की चर्चा है।

आपातकाल के समय, रज्जू भैया अपने बदले रूप और छद्म नाम गौरव के रूप में

रज्जू भैया, जैसा मैंने जाना

भूमिका।। रज्जू भैया का परिवार।। रज्जू भैया की शिक्षा और संघ की तरफ झुकाव।। रज्जू भैया - बचपन की यादें।। सन्ट्रेल इंडिया लॉन टेनिस चैम्पियनशिप और टॉप स्पिन।। आपातकाल के 'निकोलस बेकर'।।

रज्जू भैया को, फिल्म देखको फिल्मों का शौक था। हम सिनेमा देखने के लिए थिएटर जाया करते थे। उनके साथ, हमने  बहुत सी फिल्में देखीं।
मुझे उनके साथ देखी दो फिल्मों की बहुत अच्छी तरह से याद है - संजीव कुमार एवं सुचित्रा सेन की फिल्म 'आंधी' और संजीव कुमार एवं शर्मिला टैगोर की 'मौसम’।
ज़ीनत अमन,देव आनंद, और मुमताज़ की फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा', हिप्पी संस्कृति से जुड़ी समस्याओं के ऊपर बनी थी। इस पर रज्जू भैया की टिप्पणी थी कि आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं होता है।

उन्हें फिल्मों के गानों का भी शौक था। बचपन में, हमारे पास रिकॉर्ड प्लेयर हुआ करता था। वे, कभी-कभी, हमारे साथ, गाने भी सुनते थे। 'हम दोनो' फिल्म का, यह गाना, उनका पसंदीदा गाना हुआ करता था,

'मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया,
हर  फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।'
वे जीवन की समस्याओं को भी इसी तरह से निपटते थे। उनसे भयभीत होकर नहीं, बल्कि शांत रह कर, आत्मविश्वास के साथ।  

आपातकाल का समय, न केवल देश पर हम सब के लिये मुश्किलों का दौर था। इस मुश्किल के समय का भी, उन्होंने इसी तरह से सामना किया। वे हमेशा आशान्वित रहे कि एक न एक दिन, बंदियों को रिहा कर दिया जाएगा और काले दिन समाप्त होंगे।
आपातकाल के दौरान, रज्जू भैया ने, भूमिगत हो कर, प्रतिरोध आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उस समय, उन्होंने अपना भेष और नाम बदल  लिया था। इसकी भी रोचक कहानी है।

नील्स बोह्र डेनिश भौतिक शास्त्री थे। उन्होंने परमाणु संरचना और क्वांटम सिद्धांत में मूलभूत योगदान दिया, जिसके लिए उन्हें १९२२ में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
बोह्र नाज़ीवाद के खिलाफ थे और शरणार्थियों की मदद करते थे। सितंबर १९४३, खबर आयी कि जर्मन सेना उन्हें गिरफ्तार करने वाली है। वे स्वीडन भाग गये और वहां से ब्रिटेन गये, जहां पर उनकी परमाणु हथियार परियोजना में शामिल होकर काम किया।
इस दौरान, बोह्र अमेरिका भी गये और मैनहाट्टन परियोजना में सलाह दी। रॉबर्ट ओपेनहाइमर के अनुसार, बोह्र 'युवा पुरुषों के लिए एक वैज्ञानिक पिता समान थे'। इस दौरान, सुरक्षा कारणों से, उन्होंने अपना नाम बदल कर 'निकोलस बेकर' कर लिया था।

इसी की तर्ज पर, आपातकाल के दौरान, रज्जू भैया ने अपना भेष बदला और अपना नाम बदल कर गौरव कर लिया था।

यहां पर रज्जू भैया का फिल्म 'हम दोनो' से प्रिय गाना सुनिये।

अगली बार, कुछ और समृतियों की चर्चा होगी।  

About this post in Hindi-Roman and English

Hindi (devnaagree) kee is chitthi mein, rajju bhaiya ke ्film, gaano ke shauk ke saath emergency ke mein unke naam badlne kee charchaa hai. 
In this post in Hindi (Devanagari script) is about Rajju Bhaiya's interest in films, songs as well as story for changing name during emergency.

सांकेतिक शब्द
। Culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो,
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