इस चिट्ठी में, इंडिया इन्टरनेशनल सेन्टर में हुऐ भूमि उत्सव की चर्चा है।
टैगोर इंटरनेशनल स्कूल की छात्र और छात्रायें, जिन्होंने एक प्रस्तुतिकरण दिया था। |
प्रदर्शनी में, टैगोर इंटरनेशनल स्कूल के युवा छात्र और छात्रायों से मुलकात की। उन लोगों ने पहले एक नाटक किया था। उनसे बात कर, उनके जोश को देख कर अच्छा लगा। अपने देश का भविषय युवाओं के हांथ मे उज्वल है।
वहां पर, देश के हर राज्य से, महिलाऐं भी आयी हुईं थी। वे सजी-धजी थीं और आभूषण पहने थीं। लगता था कि वे लगता था कि वे किसी शादी में जा रहीं हों। हमने पूछा कि वे क्या करती हैं। उन्होंने बताया,
"हम लोग गांव की औरतों को बाहर निकलने के लिये कहते हैं। गांव वालों को जैविक खेती के बारे में बताती हैं और उनसे पारम्परिक बीजों से खेती करने के लिये प्रोत्सहित करते हैं।"
हमारे यह पूछने कि वे ऐसा क्यों करती हैं। उनका कहना था,
"धरती हमारी मां है। हमें उससे लेना नहीं, उसे वापस भी करना है। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो धरती मां बीमार हो जायगी और हमारी आने वाली पीढ़ियां, उससे वंचित हो जायंगी।"
वे यह सारी बात, अपनी भाषा में, गीतों के माध्यम से बताती हैं। वे उन गीतों को गा भी रहीं थी। हमने महाराष्ट्र से आयी महिलाओं का वह गीत भी सुना और उसका अर्थ भी जाना। नीचे आप भी इसका आनन्द लीजिये।
उनसे बात कर लगा कि वे हमसे अधिक धरती मां की सेवा में लगी हैं। वे इसके साथ महिला सशक्तिकरण की भी बात कर रहीं हैं। उनसे बात करना, उनके काम को समझना अच्छा लगा। शायद हम धरती मां को बचाने में, और महिला सशक्तिकरण में सफल हो सकें।
सांकेतिक शब्द
culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो,
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