Sunday, July 21, 2024

दुकानो पर मालिक और कर्मचारी का नाम - गैरकानूनी

मुज़फ़्फ़रनगर प्रशासन ने आदेश दिया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान, खाद्य पदार्थों से जुड़ी दुकानों के मालिकों को अपना और अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों का नाम लिखना होगा। इस चिट्ठी में चर्चा है कि क्यों यह आदेश गलत है।

इस बारे में, बीबीसी की रिपोर्ट का वीडियो

बीबीसी हिन्दी खबर कर अनुसार,

"पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान खाद्य पदार्थों से जुड़ी दुकानों के मालिकों को अपना और अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों का नाम दुकान पर साफ़ और बड़े अक्षरों में लिखना होगा, हालांकि बाद में पुलिस ने ये भी कहा कि लोगों को 'स्वेच्छा' से ऐसा करने के लिए कहा गया है।"

इस बारे पर स्थानीय दुकानदार, कांवड़िये और प्रशासन की एक रिोपोर्ट ऊपर के विडियो पर है। इस पर मेरी टिप्पणी,

'दुखद। हमारे बीच खाई खोदने का काम। हमारा खून एक, हमारी बोली एक, फिर ऐसा दकियानूसी कदम - दुर्भाग्यपूर्ण है।'

एक खबर के अनुसार, यह आज्ञा को, पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कर दिया गया है और उत्तराखंड की सरकार ने भी इसी तरह के आदेश पारित कर दिये हैं।

यह पता नहीं चलता कि यह किस कानून के अन्दर आदेश पारित किया गया है। कुछ कहना है कि ऐसा खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, २००६ के अन्दर कहा गया है और प्रशासन केवल इसे लागू कर रहा है।

उक्त अधिनियम की धारा ३१(१) अन्दर किसी खाद्य कारबार शुरू करने से पहले लाएसेन्स लेना आवश्यक होता है। लेकिन इसी धारा का दूसरा अनुच्छेद {धारा ३१(२)} स्पष्ट करता है कि लाइसेन्स लेने की बाध्यता निम्न लोगों पर लागू नहीं होगी, जो कि -

  • छोटे विनिर्माता हैं और जो स्वयं किसी खाद्य पदार्थ का विनिर्माण कर, बेचते हैं, या
  • छोटे फुटकर विक्रेता, हाकर, फेरी वाले किसी अस्थायी स्टाल धारक हैं, या
  • खाद्य कारबार से संबंधित किसी लघु उद्योग या कुटीर उद्योग या ऐसे किसी अन्य उद्योग या छोटे खाद्य कारबारकर्ता हैं। 

ऐसे लोगों को केवल अपना नाम रजिस्टर करावाना होता है। इन पर लाइसेन्स लेने की बाध्यता नहीं है।

जिन लोगों को लाइसेन्स लेना होता है उन्हें लाइसेन्स की शर्तों के अनुसार लाइसेंस की एक प्रति प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करना होता है। इस तरह का कोई नियम नहीं है कि दुकानों के मालिकों को अपना और अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों का नाम दुकान पर साफ़ और बड़े अक्षरों में लिखना होगा। जिन छोटे दुकानदारों को लाइसेन्स न लेकर अपना नाम रजिस्टर करवाना होता है, उन्हें इसकी भी आवश्यक्ता नहीं है।

कुछ लोगों का कहना है कि यह कानून व्यवस्था बनाने के लिये है। 

कानून व्यवस्था रखने की जिम्मेवारी सरकार, पुलिस की है। यदि कोई तोड़-फोड़ करता, शान्ति भंग करता है तो उसे पकड़ना, शान्ति बनाये रखना, प्रशासन का काम है। अपना काम न कर, इस तरह का आदेश पारित करना, जिससे हमारे बीच दूरी बढ़े - गलत है। यह आदेश न केवल हमारी पंथ-निरपेक्षता के विरुदघ् है पर अनुचित, मनमाना, भेदभावपूर्ण एवं असंवैधानिक है। 

शायद यह करना उचित होगा कि दुकानदार यह बतायें कि उनके  यहां शाकाहारी या मांसाहारी या दोनो तरह का भोजन मिलता है या केवल शाकाहारी भोजन। यह भी कहा जा सकता है कि शाकाहारी भोजन में प्याज़ लहसुन है अथवा नहीं। ऐसा बहुत सी दुकानों पर लिखा भी होता है। इससे उनके खास ग्राहक बढ़ते ही हैं।

परन्तु मालिक और काम करने वाले का नाम लिखवाना - न केवल गैरकानूनी है पर हमारे भाई-चारे के बीच दूरी ही पैदा करने वाला है। इसके अलावा, एक मुसलमान या ईसाई नाम का व्यक्ति बेहतरीन बिना प्याज  और लहसुन का खाना, अपने ग्राहकों खिला सकता वहीं हिन्दू नाम का व्यक्ति मांसाहारी भोजन। 

फल और सब्जी बेचने वालों से अपने ठेले पर या फिर दुकान पर नाम लिखवाना - इसके लिये, मेरे पास कोई शब्द नहीं है।

इस आज्ञा को तुरन्त वापस लेना चाहिये। यदि वे नहीं करते हैं तब न्यायालय स्वयं इसका संज्ञान लरकर इसे रद्द करना ही उचित होगा। 

About this post in Hindi-Roman and English
Muzzafarngar ne aagya parit ki hai ki, kanwar yatra ke doran, kane kI dukan pr malik aur kam krne valon ka naam likhna hoga. Hindi (Devanagari script) kee is chitthi mein charcha hai ki yeh kyon galat hai. 
Muzzafarnga administration has passed an order that during 'Kanwar Yatra' food sellers have to write name as well as its workers' name. This post in Hindi (Devanagari script) is about, why this order is wrong.

सांकेतिक शब्द

culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो, 
#हिन्दी_ब्लॉगिंग #HindiBlogging

#kanwaryatra #muslim #uppolice

2 comments:

  1. Anonymous12:44 am

    काहे का भाई काहे का चारा. पूरी दुनिया में दिख रहा है भाई चारा.

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  2. Shailendra kumar singh- Gr.Noida12:10 am

    मेरा मत है कि, ग्राहक को उत्पाद और उसे बेचने व बनाने वाले की जानकारी दी जानी चाहिए.

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