Monday, January 15, 2007

तो क्या खिड़की प्रेमी ठंडे और कठोर होते हैं?

मैंने अपनी पिछली पोस्ट 'लिनेक्स प्रेमी पुरुष - ज्यादा कामुक और भावुक???' पर सुश्री एन्ड्रिया कॉर्डिंगली के विचार रखे। इस चिट्ठी का अन्त करते समय मैंने पूछा था कि, 'क्या यह सब केवल विज्ञापन ही है या फिर...'। मैंने यह इसलिये लिखा कि यदि मैं इस पर फिर से लिखना चाहूं तो यहीं से शुरु कर सकता हूं। रवी जी ने इस चिट्ठी पर टिप्पणी की,
'तो क्या खिड़की (विंडोज़) प्रेमी ठंडे और कठोर होते हैं?'
यह हास्य में की गयी टिप्पणी है। यहां पर, हास्य में, कुछ इसी के सन्दर्भ में।

मैं न तो कोई वैज्ञानिक या कंप्यूटर विशेषज्ञ हूं और न ही कंप्यूटर या विज्ञान सम्बन्धित फाईलें पलटता हूं पर विज्ञान मेरा प्रिय विषय रहा है। इसलिये कंप्यूटर पर काम करना, इसके बारे में जानकारी रखना, पसन्द है।

मैंने कंप्यूटर पर काम करना माईक्रोसॉफ्ट के डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम से शुरु किया। उसके बाद विंडोज़ ९५ और विंडोस़ ९८ पर भी काम किया। इसी बीच बहुत दिनों तक OS2 पर भी काम किया और इसी पर काम करना चाहता था। यह चला नहीं, इसलिये इस पर काम करना बन्द करना पड़ा।

OS2 एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह आई.बी.एम. के द्वारा विकसित किया गया था। इस समय यह समाप्त सा है क्योंकि, अब इस पर आई.बी.एम. ने भी सहायता देना बन्द कर दिया है। पर्सनल कंप्यूटर (पी.सी.) की शुरुवात तो स्टीवन जॉबस् (मैक कंप्यूटर) ने की पर इसमें सबसे बड़ा योगदान आई.बी.एम. का था। मेरी लिये यह एक पहेली सा था कि,
  • मैक कंप्यूटर दुनिया में सबसे पहला पर्सनल कंप्यूटर, चलने में सबसे आसान (user friendly), फिर भी क्यों सबसे लोकप्रिय नहीं हुआ।
  • OS2 उच्च कोटि का ऑपरेटिंग सिस्टम, तकनीक की दृष्टि से सारे ऑपरेटिंग सिस्टम से बेहतर, विंडोस़ से कम से कम १० साल आगे। फिर भी क्यों बैठ गया।
मैंने इन प्रश्नों का हल ढूढने के लिये कई पुस्तकें पढ़ीं और कंप्यूटर विज्ञान के इतिहास को समझा। इसके बाद यह कुछ समझ में आया। यह एक लम्बा विषय है, मैं इस पर लिखने की हिम्मत जुटा रहा हूं। इस गुत्थी को सुलझाने के दौरान, दौरान ओपेन सोर्स के बारे में सुनायी पड़ने लगा। मुझे इसका दर्शन (Philosophy) अच्छा लगा, बस इसलिये ओपेन सोर्स पर काम करना शुरु कर दिया। अब लगता है कि यह बेहतर सॉफ्टवेर है, और भविष्य इसी का है। इसीलिये इसी पर काम करना पसन्द करता हूं।

मैंने यह पोस्ट रवी जी के सवाल यानि कि खिड़की के संदर्भ पर शुरु की। पर बात ओपेन सोर्स की करने लगा। आप तो यही सोच रहें होंगे कि मैं टिप्पणी समझा ही नहीं। यह आपकी गलती नहीं। यह तो लोग अक्सर कह देते हैं कि, 'उन्मुक्त बाबू, आप पहले बात को समझा करें और फ़िर राय व्यक्त किया करें।' चलिये विषय पर आते हैं - ऐसे इन सब का सम्बन्ध इसी विषय से है। सब्र कीजये इतनी भी ज्लदी क्या है:-)

मैंने अपने प्रश्न का हल ढ़ूढते समय जिन किताबों को पढ़ा उनमें से एक पुस्तक थी -
HARD DRIVE Bill Gates and the making of the Microsoft Empire by James Wallace & Jim Erickson. यह पुस्तक Harper Business, जो कि Harper Collins का एक भाग है, ने छापी है। यह १९९३ में आयी थी और तभी मैंने इसे पढ़ा था। शायद, सारे सफल व्यापर घराने की यही कहानी हो।

१९८० दशक के अन्त और १९९० दशक के शुरु में माईक्रोसॉफ्ट के खिलाफ कुछ कानूनी कार्यवाही की गयी थी। इस बारे में न्यूस़वीक में एक लेख १९९१ में छपा था। इस कानूनी कार्यवाही के बारे में बिल गेट्स ने न्यूसवीक को बताया कि,
'The FTC investigation was a lightening rod to bring computer people forward and say that it would be helpful if Microsoft was hobbled in some way.'

इस पुस्तक में यह भी लिखा है कि न्यूस़वीक लेख का समापन कैसे हुआ है और कुछ टिप्पणी भी की गयी है। यह इस प्रकार है,
'The Newsweek article ended with an apt passage from John Steinbeck's novel Canary Row: "The things we admire in men, kindness and generosity, openness, honesty, understandingn and feeling are the concomnitants of failure in our system. And those traits we detest, sharpness, greed, acquisitiveness, meanness, egotism and self-interest are the traits of success. And while men admire the quality of the first they love the produce of the second." The same, apparently, was true about Gates.'

यह अंग्रेजी में है, मैं इसका अनुवाद नहीं करना चाहता। आप, इसका अर्थ स्वयं लगायें और तय करें कि क्या खिड़की वाला (वाले नहीं) ठंडा और कठोर है? :-)

5 comments:

  1. उन्मुक्त भाई

    एक गहरी बात बताता हूँ, अगर आसान जिंदगी रखनी है तो टिप्पणियों की गहराई ना नापा करें. वैसे अभी तो ठीक नप गई है मगर हर बार ऐसा नहीं होगा, मेरी बात मानो, यह तो आई और गई की तर्ज पर चलना चाहिये. :( ;) :)

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  2. समीर जी, इस चिट्ठी में दो टिप्पणियां नापी गयीं हैं। आगे से आपकी सलाह सर आखों पर :-)

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  3. Anonymous11:55 am

    इस गुत्थी को सुलझाने के दौरान, दौरान ओपेन सोर्स के बारे में सुनायी पड़ने लगा। मुझे इसका दर्शन (Philosophy) अच्छा लगा, बस इसलिये ओपेन सोर्स पर काम करना शुरु कर दिया। अब लगता है कि यह बेहतर सॉफ्टवेर है, और भविष्य इसी का है।

    आपके कथन से न जानने वाले को यह अर्थ जाता है कि ओपन सोर्स कोई सॉफ़्टवेयर है। दरअसल वह कोई सॉफ़्टवेयर नहीं है बल्कि एक दर्शन(philisophy) है। चूँकि हम परफ़ेक्ट समाज में नहीं रहते, इसलिए यहाँ कोई भी चीज़ परफ़ेक्ट नहीं है, ना ही क्लोस्ड सोर्स और ना ही ओपन सोर्स। हर चीज़ के अपने फ़ायदे-नुकसान हैं, इसलिए निजि तौर पर मैं दोनों को ही प्रयोग करता हूँ और दोनों के ही लाभ उठाता हूँ। :)

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  4. आपने कई किताबें पढ़ी हैं और ज़रूर आपको कम्प्यूटर के बदलते आयामों का एहसास होगा, मगर एक मज़ेदार फिल्म भी ज़रूर देखियेगा "Pirates of the Silicon Valley"। खूब मज़ा आएगा।

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  5. Jab log tumhari burayi karne lagen to smajho, tarakki kar rahe ho... GURU ka yahi dialogue yaad aa raha hai, apki is post par. Main windows premi hun aur thanda aur kathor hun ye baat aj hi pata chali... :)

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आपके विचारों का स्वागत है।