इस चिट्ठी में चेनेई के पास स्थित क्रॉकोडाइल फार्म की चर्चा है।
चेनेई से पॉन्डिचेरी जाते समय, रास्ते में घड़ियाल फार्म पड़ता है। इसे रोमलस वेटिकर नाम के व्यक्ति ने शुरू किया है। यह मगर, घड़ियाल, और कछुऐ के संरक्षण के लिये बनाया गया है। हम लोग कोई ७-८ साल पहने चेन्नई आए थे तब हम लोग इसे देखने के लिए गये थे। इस बार भी पॉन्डेचेरी जाते समय, इसे देखने के लिये रुके।
फार्म के अन्दर जाने एवं कैमरा ले जाने का टिकट लगता है। हमने कैमरे के लिए भी टिकट लिया। यहां पर सांप का जहर भी निकाला जाता है। जब आप फार्म के अन्दर उस जगह जाते हैं तब पुनः अन्दर जाने और कैमरे के लिये टिकट लगता है। वहां पर टिकट बेचने वाले व्यक्ति ने पूछा,
'क्या कैमरे से फोटो लेंगे?'मैंने कहा कि कह नहीं सकता। उसने कहा कि यदि आप चित्र लें तो पैसे दे दीजियेगा।
वहां सपेरे समुदाय के लोगों की सहकारी समिति है। वे ही जंगलों से सांप पकड़ कर लाते हैं। एक बार सांप लाने पर उन्हें १००० रुपये मिलते हैं। एक सांप से चार हफ्तों में, चार बार, यानि हर हफ्ते एक बार जहर निकाला जाता है। उसके बाद वन विभाग वाले उसे वापस जंगल में छोड़ आते हैं। यह सांपों के संरक्षण का बेहतरीन तरीका है। इससे न केवल इस समुदाय के लोगों को पैसे कमाने का मौका मिलता है, ब्लकि आय का साधन होने के कारण वे सांपों की रक्षा भी करते हैं।
इस जहर को एक मशीन में रखा जाता है। वह गोल, गोल तेजी से घूमती जाती है तब अपकेन्द्री बल (सेन्टीफयूगल फ़ोर्स Centrifugal force) के कारण उसकी गंदगी दूर हो जाती है और जहर साफ होता है। फिर उसे पाउड़र के रूप में परिवर्तित करके बेचते हैं। एक ग्राम जहर को १०,०००/-रूपये में बेचा जाता है। जहर से घोड़ों को टीका लगा कर जहरविनाशक दवा (anti-venom) तैयार किया जाता है।
इस बार वहां पर एक व्यक्ति ने मुझे कोबरा, करैत और रसल वाइपर नामक सांपों को दिखाया। इसके अलावा एक छोटा सा सांप और था। जिसका नाम मुझे ठीक से याद नहीं है। उसने हमें एक सांप का जहर निकाल कर भी दिखाया। उसने बताया,
'सबसे ज्यादा ज़हरीला करैत है। यदि वह किसी व्यक्ति को काट ले तो वह एक घंटे में मर सकता है, रसल वाइपर के कटाने के बाद तीन घंटे में, कोबरा के काटने पर चार घंटे में तथा चौथा जो छोटे-छोटे सांप थे उनके काटने पर दो दिन में व्यक्ति मर सकता है।'पिछली बार जब मैं यहां आया था तो बिच्छू भी थे।
'मैंने पूछा कि बिच्छू कहां हैं?'उसका कहना था कि,
'बिच्छूओं का जहर नहीं बिकता है। इसलिये उन्हें अब न रखा जाता है न ही उनका जहर निकाला जाता है।'पिछली बार, वहां पर उस समुदाय की महिलायें भी थीं जो सांपों को पकड़ कर लाती हैं। उसमें से एक ने हमें दिखाया था कि कैसे सांप पकड़े जाते हैं। उसने कोबरा को जमीन में छोड़ दिया और फिर दो मुंही लकड़ी से सांप का मुंह दाब कर, उसे आसानी से बिना डरे पकड़ लिया।
उसके बाद वह उसे मुझे दिखाने के लिये मेरे पास लायी। कोबरे का बाकी शरीर मेरे हाथ पर लिपट गया। महिला ने उसका मुंह पकड़ रखा था जिससे मुझे कुछ न हो, पर फिर भी :-( डर के मारे, मेरी हालत खराब हो गयी।
बहुत शर्म आयी, एक तो वह महिला जो बिना परेशानी के उसका मुंख पकड़े थी और एक मैं जो उसके पूंछ के हाथ में लिपटने से डर रहा था। इस बार उस समुदाय की न तो कोई महिला थी न ही उस तरह का कोई अनुभव हुआ।
पिछली बार वहां पर अधिकारीगण, मगर और कछुओं के बच्चों को हाथ पर रखने और पकड़ने दे रहे थे। मुझे भी यह करने का मौका मिला था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा था न ही इस तरह का मौका मिला।
इस जगह एक चित्र लगा है जिसमें लिखा है कि दुनिया का सबसे खतरनाक जन्तु। यह ढका हुआ है। इसे देखने के लिये आपको उस फ्रेम के पल्ले खलने पड़ेंगे। यदि आप इसके पल्लों को खोलें, तो इसके अन्दर कोई चित्र नहीं है केवल एक शीशा है। जिसमें आप अपना चित्र देख सकते हैं।
यह सच है कि मानव जाति ही, सबसे खतरनाक जन्तु है। हम दिन दूने, रात चौगुने होते जा रहे हैं। हम न केवल पर्यावरण को समाप्त कर रहे हैं पर जंगलों को काटते चले जा रहे हैं। इस कारण जानवरों के प्राकृतिक वास भी नष्ट होते जा रहे हैं। यदि हमने इसे रोका नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ी इन जानवरों को कभी नहीं देख पायेगी।
आजकल दूधो नहाओ और पूतो फलों का आशीर्वाद बेइमानी है। पृथ्वी मां तो, हमारे पास, वंशजों की धरोहर है। हमें उनके लिये इसे संभाल कर रखना है। दूधो नहाओ के शाब्दिक अर्थ का एक रूप, त्रिवेन्द्रम के आट्टूकल भगवती मन्दिर में, पोंगाला त्योहार में देखने को मिला। मेरे विचार से, आजकल ऐसे त्योहारों का कोई औचित्य नहीं है।
यदि आप इस पार्क के बारे में विस्तार से जानना चाहें और सुन्दर चित्र देखना चाहें तो आप इसे ममता जी की नज़र से यहां देख सकते हैं।
क्रॉकोडाइल फार्म में मैंने सांपों का चित्र लिया था। बाद में उस व्यक्ति को ढ़ूंढ कर टिकट के पैसे भी दिये।
इस विडियो में सांप का जहर निकालते दिखाया गया है। लेकिन यह विडियो मैंने नहीं खींचा है।
इस विडियो में सांप का जहर निकालते दिखाया गया है। लेकिन यह विडियो मैंने नहीं खींचा है।
क्रॉकोडाइल फार्म में घूमते समय, मेरी मुलाकात वहां पर प्यारी सी युवती अकांक्षा से हुई। वह वहां शिक्षा अधिकारी है। अगली बार उसी से बात करेंगे।
मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा
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चेन्नई का स्नेक फ़ार्म और घड़ियाल फार्म एक ही जगह है न ? किसी भी पाठक को यह पोस्ट पढ़कर भ्रम हो सकता है!
ReplyDeleteमैं जब गया था तो इसे स्नेक फार्म के रूप में देखने गया था -वस्तुतः यह एक रेप्टायिल-सरीसृप फ़ार्म है .....रोमुलस व्हिटेकर एक सर्प विज्ञानी हैं -मुझे उस घड़ियाल विशेषग्य के नाम की अब याद नहीं है जिसने यहाँ और लखनऊ के कुकरैल घड़ियाल फ़ार्म को स्थापित करने में काफी मदद की थी ...
अब आपने ही कहा घड़ियाल फ़ार्म और चर्चा मुख्यतः सापों की की -मुझे लगता है यह भ्रमपूर्ण स्थिति इस फारम के नाम को लेकर ही है जिसका सही नामकरण सरीसृप फ़ार्म होना चाहिए -यह सुझाव तमिलनाडु सरकार को भेजा जाना चाहिए .
बाकी तो पोस्ट काफी रोचक और जानकारीपूर्ण है -हाँ जो यहाँ घडियालों की जानकारी खोजते आयेगें उन्हें निराशा होगी .....
इसलिए एक पोस्ट इस फ़ार्म के घडियालों पर केन्द्रित करिए न !
@हाँ याद आ गया उन विशेषग्य का नाम -डॉ बस्टर्ड ..और यह जानकारी भी जो अंतर्जाल पर लकली उपलब्ध मिली ...आप और यहाँ आये पाठक जरूर पढ़ें !
ReplyDeletehttp://envis.maharashtra.gov.in/envis_data/files/Crocodile/CrocIndScen.html
देखिये फिर भ्रम हुआ -क्या ये दोनों जगहें एक ही हैं या अलग अलग ? कोई बताएगा ?
ReplyDeleteMadras Crocodile Bank (Mammalapuram, Tamil Nadu),
Chennai Snake Park Trust (Chennai, Tamil Nadu),
रोचक भी, रोमांचक भी.
ReplyDeleteबहुत ही रोमांचक।
ReplyDeleteवैसे आपने जो फोटो लगा रखी हैं, उनमें आपकी कौन सी है?
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साइंस फिक्शन और परीकथा का समुच्चय।
क्या फलों में भी औषधीय गुण होता है?
मुझे तो तस्वीर देख कर ही डर लग रहा हैंीआपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteजब आप फार्म के अन्दर उस जगह जाते हैं तब पुनः अन्दर जाने और कैमरे के लिये टिकट लगता है।
ReplyDeletedouble fees .. It is disgusting... You are becoming another Khushbant Singh.. ;)
बहुत ही सुन्दर और जानकारी भरा आलेख. दोनों अलग अलग जगहें हैं, स्नेक पार्क गिंडी के पास है जब की मगरमच्छ वाला महाबलीपुरम जाने वाले रस्ते में पड़ता है. वाइपर का ज़हर ही सबसे अधिक घातक होता है. आदमी के मरने के लिए आवश्यक मात्रा के हिसाब से. परन्तु वाइपर जब काटता है तो वह fatal dose इंजेक्ट नहीं करता. करायत एकदम appropriate dose इंजेक्ट करता है. कोबरा तो आवश्यकता से अधिक दे देता है.
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