Thursday, June 30, 2011

विश्व कप सेमी-फाइनल में भारत ने बेईमानी की?

विश्व क्रिकेट कप २०११ का सबसे विवादास्पद निर्णय, भारत-पाकिस्तान सेमी फाइनल में, सचिन तेंदूलकर का एलबीडब्लू न दिया जाना था। इस चिट्ठी में, इसी की चर्चा है।

२०११ विश्वकप जीतने के बाद सचिन अपनी पुत्री सारा और पुत्र अर्जुन के साथ। यह चित्र मेरा खींचा हुआ नहीं है। यह अन्तरजाल की अधिकतर वेबसाइट पर बिना किसी आभारोक्ति के है। इसलिये मैंने इसे लगा दिया। पता चलने में आभार प्रगट करना चाहूंगा।

२०११ का भारत-पाकिस्तान का सेमी फाइनल मुकाबला खेल जगत के इतिहास में सबसे अधिक लोगों के द्वारा देखा मैच था। हमने पाकिस्तान के साथ तीन लड़ाई लड़ी है। लेकिन इस मैच में तनाव उन तीनो युद्ध के तनाव से कम नहीं था। 

यह  मैच हमने २७ रनों से जीत लिया। लोगों का कहना है कि इसमें पाकिस्तान के खिलाड़ियों का योगदान रहा क्योंकि, उन्होंने सचिन  के तीन कैच छोड़ दिये थे। इस कारण उन्होंने ८५ रनों की पाली खेली। 
 
वास्तव में, हमें सबसे पहले अम्पायर डिसिशन रिव्यू सिस्टम (यूडीआरएस) में समाहित, विज्ञान की नयी बॉल ट्रैकर तकनीक का शुक्रगुज़ार होना चाहिए। जिसके कारण सचिन इतने रन बना सके। नहीं तो वे तो बहुत पहले ही आउट घोषित कर दिये गये थे।

भारत ने पहले बैटिंग करना शुरू किया। जब भारत के ७५ रन थे और सचिन का व्यक्तिगत स्कोर २३, तब मैदानी अम्पायर ने उन्हें, सईद अजमल की गेंद पर, एलबीडब्लू घोषित कर दिया। 

सचिन ने गौतम गम्भीर से बात की और इस निर्णय को तीसरे अम्पायर के पास भेजने के लिए कहा। तीसरे अम्पायर ने, बॉल ट्रैकर तकनीक के साथ, उस समय का टीवी प्रसारण देख कर, मैदानी अम्पायर के निर्णय को बदल दिया। उसके मुताबिक, यदि गेंद सचिन के पैड पर न लगती,  तो वह विकेट पर न लग कर बगल से निकल जाती।

यदि विश्व कप में यूडीआरएस लागू न होती या इसमें बॉल ट्रैकर तकनीक समाहित न होती तब सचिन २३ रन पर आउट थे। हम २६० बनाने की जगह, १९८ पर ही ढ़ेर और मैच पाकिस्तान की झोली में।

उस क्षण का प्रसारण और तीसरे अम्पायर का निर्णय। 
इस विडियो का शीर्षक, इस निर्णय से अन्तरजाल पर उठे विवाद और तनाव का द्योतक है

ऊपर के विडियो में एकदम लगता है कि गेंद विकेट पर जा रही थी और मैदानी अम्पायर का निर्णय सही था। लेकिन फिर यूडीआरएस में यह क्यों आ गया कि गेंद विकेट पर नहीं लगती।
  • क्या यूडीआरएस में कुछ गलती थी, या;
  • यह निर्णय गलत था, या;
  • तीसरा अम्पायर भारत से मिला था, या;
  • फिर मैच फिक्सड था?
इसकी चर्चा करने से पहले, इस श्रृंखला की अगली चिट्ठी में चर्चा करेंगे कि यूडीआरएस में, बॉल ट्रैकर तकनीक क्या होती है।

क्रिकेट, बॉल ट्रकर, और अम्पायर डिसिशन रिव्यू सिस्टम
विश्व कप सेमी-फाइनल में भारत ने बेईमानी की?।।  बॉल ट्रैकर, गेंद का संभावित प्रक्षेप पथ बताता है।। अंतरजाल पर तनाव इतना बढ़ा कि स्पष्टीकरण देना पड़ा।।

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About this post in Hindi-Roman and English
2011 vishva cup cricket ka sabse vivadaspad nirnay, bharat-pakistan semi final mein, schin ka lbw na diya jana tha. is chitthi  mein, isee kee charcha hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

The most controversial decision of the 2011 World cup cricket was decision of the  third umpire to negate the appeal of LBW of Sachi Tendulkar in the semi final match between India and pakistan. This post is about the same. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.
सांकेतिक शब्द
Cricket, Umpire decision review system, ball tracking technique, Hawk Eye,
।  Scienceविज्ञान, समाज, ज्ञान विज्ञान, ।  technology, technology, Technology, technology, technologyटेक्नॉलोजी, टैक्नोलोजी, तकनीक, तकनीक, तकनीक,
Hindi,

6 comments:

  1. बाल ट्रैकर टेक्नीक के बारे में जानकारी की जिज्ञासा है !

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  2. जिज्ञासा बढ़ाती पोस्ट।

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  3. agr ye hota to vo hota , aap kuchh esa hi kah rhe hain UDRS kee prnali pahle se nirdhaarit thee . iske nuksaan aur faayde dono the aur sbhi timon ne ise bhugta , at: aapki soch se km-se-km main to sahmat nhi ,auron ka pta nhin

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  4. Anonymous2:36 pm

    पोस्ट अच्छी लगी

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  5. जिज्ञासा बढ़ाती पोस्ट।

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  6. आप ऐसा नही कह सकते कि
    ***
    यदि विश्व कप में यूडीआरएस लागू न होती या इसमें बॉल ट्रैकर तकनीक समाहित न होती तब सचिन २३ रन पर आउट थे। हम २६० बनाने की जगह, १९८ पर ही ढ़ेर और मैच पाकिस्तान की झोली में।
    ***
    क्योंकि सचिन के आउट होने पर बाकी सब वैसा ही होता जैसा हुआ, हो सकता है भारतीय टीम किसी और खिलाड़ी के उन ओवर्स मे अच्छे खेल से ३०० रन बना लेती, या पूरी टीम १००-१५० के अंदर ही सिमट जाती।

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आपके विचारों का स्वागत है।