Saturday, July 15, 2017

फांसी चढ़ने के लिये आया हूं

इस चिट्ठी में, स्पैनिश लेखक मिगिल दे सर्वान्टीस की उत्कृष्ट कृति 'डॉन किहौटे' के साथ, पिछली चिट्ठी में पूछी गयी 'राजा, गुलाम और कॉलोसिअम' पहेली का हल है।

मैड्रिड में डॉन किहौटे और सैंचो पान्ज़ा की मूर्ति चित्र विकिपीडिया से
 
सत्तरहवीं शताब्दी के शुरू में स्पैनिश लेखक सर्वान्टीस ने 'डॉन किहौटे' उपन्यास की रचना की। यह दो भाग में है और दोनो भागों में दस साल का अन्तर है। बाद में यह एक पुस्तक के रूप में छपी। 

उपन्यास डॉन किहौटे दुनिया के उत्कृष्ट उपन्यासों में गिना जाता है। इसने विश्व साहित्य पर अपनी छाप छोड़ी। इसका संदर्भ एलेक्ज़ेन्डर ड्यूमा के प्रसिद्ध उपन्यास 'द थ्री मसकिटियर' और मार्क ट्वेन की कृति 'एडवेन्चरस् ऑफ हकबरी फिन' में भी है। इसका सब भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। हिन्दी में यह 'तीसमारखां' के नाम से प्रसिद्ध है।

डॉन किहौटे स्पैनिश कुलीन उच्च परिवार का सदस्य था। उसने रुमानी वीरता की कहानियां पढ़ी तो वे उसी ख्याली दुनिया में रहने लगे। उन्हें लगा की रुमानी वीरता दुनिया से समाप्त हो रही है और उसे पुनः स्थापित करने की ठानी। इसके लिये डॉन किहौटे को एक अनुचर की भी जरूरत लगी। उन्होने सैंचो पैन्ज़ा को, गवर्नर बना देने के वायदे पर, राजी किया और उसके साथ अपने उद्देश्य पर निकल  पड़ा। यह पुस्तक उन्हीं के अभियान की कहानी है।

इसकी दूसरी पुस्तक के ५१वें अध्याय में, सैंचो एक द्वीप का गवर्नर बना दिया जाता है। वहां पर अजीब नियम था। वहां आने वाले से उसके वहां जाने का कारण पूछा जाता था। यदि वह सच होता था उसे कुछ नहीं किया जाता था और आने दिया जाता था। लेकिन यदि वह झूट होता था तो फांसी दे दी जाती थी। एक बार वहां एक मसखरा आया। उसने कहा,

'मैं यहां  फांसी चढ़ने के लिये आया हूं।'
किसी के समझ में नहीं आया कि उसका क्या किया जाय।  

यदि कथन को सच माना जाय तब उसे कुछ नहीं किया जाना था। लेकिन उस दशा में उसका कथन झूट हो जाता। यदि कथन को झूट माना जाय तब उसे फांसी होनी चाहिये थी। इस दशा में कथन सच हो जाता है। 

मसखरे को गवर्नर सैंचो के पास ले जाया गया। सैंचो ने फैसला दिया। कि कुुछ भी किया जाया, नियम तो भंग होगा ही। इसलिये उसे छोड़ दिया जाय। 

मुझे याद नहीं कि पिछली चिट्ठी  'सच तो शेर, झूट तो पेशेवर लड़ाका - क्या बोले' पर बतायी पहेली मैंने कहीं पढ़ी थी या फिर सैंचो की कहानी से प्रेरित हो कर, गाइड को बतायी। लेकिन यह स्पष्ट है कि गुलाम का जवाब भी यही होगा कि उसे पेशेवर लड़ाके से लड़ना होगा।

यह वास्तव में, स्वयं को संदर्भित विरोधाभास का एक रूप है जिसकी चर्चा मैंने 'नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है' नामक चिट्ठी में की थी। यदि आपको पिछली चिट्ठी पर पूछी गयी 'राजा, गुलाम और कॉलोसिअम' पहेली या तर्क की पहेलियों में म़ज़ा आता है तब  आपको निम्न पुस्तकें पसंद आयेंगी

  • Aha: Gotcha by Martin Gardner
  • Vicious Circles and Infinity: An Anthology of Paradoxes by Patrick & George Brecht
मुझे यह बताने की जरूरत नहीं कि यदि आपके मुन्ने या मुन्नी ने यह किताबें या फिर 'डॉन किहौटे' नहीं पढ़ी, तब उन्हें यह पुस्तकें पढ़ने के लिये दीजियेगा। 

अगली बार हम पोर्शिया से मिलने वेनिस चलेंगे। 

About this post in Hindi-Roman and English

is post mein, Cervantes kee likhee pustak Don Quixote kee charchaa ke saath, pichhlee chitthi mein puuchhee gayee pahelee ka hal hai.  yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post in Hindi (Devanagari script) is about the book  Don Quixote by Cervantes and solution to the puzzle asked in the previous post. You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द  
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Don Quixote, Sancho Panza, Miguel de Cervantes,

3 comments:

  1. It took a bit of time to search the exact Novel written on the Character of Don Quixote . I was searching with spelling 'Don cinnaughte ' in Google. :-)

    Nice post .

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    1. चिट्ठी पसन्द करने के लिये शुक्रिया।
      Don Quixote स्पैनिश नाम है और इसे किहौटे ही पुकारा जाताा है। हांलाकि इससे बन गुणवाचक शब्द quixotic है और इसे क्विक्ज़ौटिक उच्चारित किया जाता है। वैसे चिट्ठी के नीचे, मैं सांकेतिक शब्द में अंग्रेजी में भी लिखता हूं, जहां यह लिखा हुुआ है :-)

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    2. :-) oh ! those are 'सांकेतिक शब्द' . never heeded towards that .

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