युरोप यात्रा
सच तो शेर, झूट तो पेशेवर लड़ाका - क्या बोले (रोम यात्रा)।। फांसी चढ़ने के लिये आया हूं (पिछली पहेली का हल)।। यह केवल फिल्मों में होता है - वास्तविक जीवन में नहीं (वेनिस यात्रा)।।
वेनिस का एक दृश्य
वेनिस सपनों की नगरी है। यह ११८ छोटे द्वीपों से बना शहर है। जहां सारे द्वीप नहरों से जुड़े हैं। नहरों के ऊपर ४०० पुल बने हैं। यानि कि यह ऐसा शहर, जहां एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिये की रोडें कम नहरें ज्यादा हैं। कहा जाता है कि दुनिया में सबसे अधिक लोग, अपने जीवन में, कम से कम एक बार, वेनिस जाने की सोचते हैं। यही सोच कर हम वेनिस पहुंचे। लेकिन यह हमारे सपनों के विपरीत ही निकला।
वेनिस का सबसे बड़ा आकर्षन, वहां पर गंडोला में सैर करने का है। हम लोगों ने इसकी सैर की। गंडोला नाविक सीरियस किस्म का व्यक्ति था। उसने घुमाया तो लेकिन हमसे बात करना ठीक नहीं समझा। मैंने उससे सवाल पूछा कि क्या यहां के लोग नाव से एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तो उसने कुछ रूखे पन से जवाब दिया कि वे पुल और रास्तों का प्रयोग करते हैं।
हमारे कुछ साथियों का भी अनुभव अच्छा नहीं था। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने नाविक से कोई गाना सुनाने के लिये कहा। तो उसने साफ मना कर दिया कि यह केवल फिल्मों में होता है वास्तविक जीवन में नहीं।
पिछली शताब्दि में, हंगरी में पैदा हुुए अंग्रेजी लेखक, जॉर्ज मिकेश काफी लोकप्रिय हऐ। इन्होंने कई जगहों की यात्रा की और उसके बारे में लिखा। मैं जब विश्वविद्यालय में था तब इनकी पुस्तके बहुत लोकप्रिय थीं। इनकी एक पुस्तक 'इटली फॉर बिगिनरस्' है। इसमें वे वेनिस के बारे में लिखते हैं,
'Venice ... has the quality of earthly paradise ... One dreams throughout a lifetime of getting to Venice and when one gets there ... is there something so disappointing as dream come true ... I felt full sympathy with Adam and Eve, who by hook or crook, by fair means and foul, got out of paradise.'हमें भी कुछ ऐसा ही लगा।
हवाई यात्रा शुरू होने से पहले, यात्रा केवल समुद्र मार्ग से ही की जा सकती थी। वेनिस के सारे द्वीप समुुद्र से जुड़े हैं इसलिये समुद्र से यात्रा करना आसान था। यही कारण है कि ७वीं शताब्दि से इसका महत्व व्यापार के कारण बढ़ने लगा और १३वीं शताब्दि से १७वीं शताब्दि तक यह व्यापार की दृष्टि से, दुनिया का सबसे महत्वपूुर्ण शहर था।
दुनिया का सबसे पहला पेटेंट कानून, जैसा कि आजकल समझा जाता है, सबसे पहले १५वीं शताब्दि में, १४ मार्च १४७४ में वेनेशियन सेनेट ने पास किया था।
शेकस्पीयर स्वयं कभी वेनिस नहीं गये। लेकिन नाविकों से वहां के किस्से सुने और उसी से प्रेरित हो कर 'मर्चेन्ट ऑफ वेनिस' नाटक की रचना की।
पोर्शिया, इस नाटक की, सुन्दर और बुुद्धिमान नायिका है। वह अमीर है लेकिन उसके पिता ने उसकी शादी के लिये, वसीयत में एक शर्त रखी थी।।
मर्चेन्ट ऑफ वेनिस में, पोर्शिया और शाइलॉक - चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से
पोर्शिया के पास तीन सिंगारदान थे। उसमें एक सोने का था दूसरा, चांदी का और तीसरा सीसा का था। उसका चित्र किसी एक में था। उसका हाथ उसी को दिया जाने वाला था जो यह बता सकता कि किसमें उसका चित्र है। इन सिंगारदान के बाहर कुछ लिखा था जो संकेत देता था कि उसमें क्या है।
पोर्शिया और बसैनिओ एक दूसरे से प्यार करते थे। वह जब सिंगारदान चुनने जाता है तो पोर्शिया के घर वाले गीत गाते हैं जिससे उसे संकेत मिलता है और वह सही सिंगारदान चुुन लेता है।
लेकिन आधुनिक पोर्शिया तो कुछ फर्क है। वह, उस पुरुष से शादी करना चाहती जो बुुद्धिमान हो। उसने तीनों सिंगारदान पर निम्न वक्तव्य लिख थे,
- सोने वाले में - चित्र इस सिंगारदान में है।
- चांदी वाले में - चित्र इस सिंगारदान में नहीं है।
- सीसे वाले में - चित्र सोने वाले सिंगारदान में नहीं है।
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आपने वेनिस के बारे में अच्छी बात बताई. :(
ReplyDeleteसही है, कुछ चीजों का सपना, सपना ही बना रहे तो बेहतर...
हर चीज के बारे में
ReplyDeleteजैसा सुना सच ही हो जरूरी नहीं
बेहतरीन लेख .... तारीफ-ए-काबिल .... Share करने के लिए धन्यवाद...!! :) :)
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