भाग-१: पेटेंट
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तीसरी पोस्ट: इतिहास की दृष्टि में
यह पोस्ट: पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया का सरलीकरण
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प्रत्येक देश का अपना पेटेंट कानून है । साधारण तौर पर आविष्कारको को प्रत्येक देश में पेटैंट के लिए आवेदन देना आवश्यक है जहां वे अपने आविष्कारों का प्रयोग करना चाहते हैं। हर देश में अलग अलग आवेदन पत्र देना कठिन कार्य है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए निम्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास किये गये हैं।
- देशों में पेटेंट संबंधी अन्तरों को कम करने का पहला प्रयास International Convention for the protection of Industrial Property था। इसे पेरिस में 1883 में अंगीकार किया गया है। इसे अनेक बार संशोधित किया गया। इसने आविष्कारकों को किसी एक सदस्य देश में आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की प्रथम तारीख का लाभ अन्य सदस्य राज्यों में आवेदन पत्र दाखिल करने की तिथि के लिये दिया।
- Patent Cooperation Treaty 1970 (P.C.T. या पी. सी. टी.) पेटेंट के लिये आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करती है। यह पेटेंट के लिये आवेदन पत्र का मानकीकृत फारमेट बताती है और इसके साथ उन्हे दाखिल करने की केन्द्रीयकृत सुविधा देती है। हमने इसके अनुच्छेद 64 के उप अनुच्छेद 5 के अलावा‚ इसे7-12-98 को स्वीकार किया है।
- European patent Convention, 1977 में लागू हुआ। इसके द्वारा एक यूरोपियन पेटेंट कार्यालय की स्थापना हुई। इसके द्वारा दिया गया पेटेंट, आवेदक द्वारा नामित सदस्य देशों में पेटेंट का कार्य करता है।
- World Intellectual Property Organisation WIPO (वाईपो) ने Patent Law Treaty (PLT) ( पी.एल.टी. ) बनायी है। यह 1 जून 2000 को अंगीकार कर ली गयी है पर हमने इस पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किये हैं। पी.एल.टी., पी.सी.टी. के अधीन है और विभिन्न देशों में पेटेंटो को प्राप्त करने की प्रक्रिया को और सरल बनाती है । यह पेटेंट के Substantive Law को प्रभावित नहीं करती है।
- Substantive Patent Law को एक लय में लाने के लिए वाईपो, Substantive Patent Law Treaty (SPLT) (एस पी. एल. टी.) का आयोजन कर रही है । जहां तक मुझे मालुम है हम इसमें भाग नहीं ले रहे। हमें इसमें भाग लेकर अपनी बात कहनी चाहिये।
मेरा प्रयत्न रहेगा कि इस सिरीस की चिट्ठियां और इनकी ऑडियो क्लिपें, भारतीय समय के अनुसार हर बृहस्पतिवार की रात्रि को पोस्ट होंं। तो फिर मिलेंगे अगले बृहस्पतिवार १० अगस्त को।
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