Thursday, June 28, 2007

आप स्विटज़रलैण्ड में हैं

मैं जहां जाता हूं वहां लैपटाप भी ले जाता हूं शायद यह मेरे ठाकुर जी हैं पर कश्मीर ट्रिप में साथ नहीं ले गया था।
  • अक्सर बोलना होता है - लैपटाप साथ हो तो यह आसान होता है। कशमीर का यात्रा मौज मस्ती की थी। कोई भाषण नहीं देना था इसलिए लैपटाप साथ नहीं लाया।
  • मेरे पास रिलायंस का मोबाईल फोन है। इसके कारण हमेशा अंतरजाल पर जाया जा सकता है। कशमीर में रिलायंस फोन जम्मू तक ही है और कहीं नहीं। इसलिये यह इस ट्रिप में बेकार था।
कश्मीर में, जल्द ही अन्तरजाल की याद आने लगी। पहलगांव में एक ही साईबर कैफे है। वहां पहुंचा तो पता चला कि वह खराब है :-(

पहलगांव में कोई हिन्दू या सिख नहीं है पर पुलिस स्टेशन के सामने एक मंदिर और गुरूद्वारा है। मेरे पूछने पर बताया कि जब अमरनाथ की यात्रा होती है तो यात्री इसमें जातें हैं। सिख यात्रियों के लिए गुरूद्वारा में लंगर होता है।

पहलगांव में ९ होल का गोल्फ कोर्स है। उस पर काम चल रहा है और अन्तरराष्ट्रीय स्तर का १८ होल का गोल्फ कोर्स बन रहा है। इस समय इसके तीन होल पर ही खेल हो सकता है।

पहलगांव से पास में चन्दरबाड़ी भी है। यहां टैक्सी से जाया जा सकता है। यहां पर बर्फ रहती है और स्लेजिंग की जा सकती है। हमारे लिये समय कम था। यह करना संभव नहीं था। इसलिये वहां नहीं गये।

पहलगांव में बाईसरन भी देखने की जगह है। वहां पैदल या फिर घोड़े पर बैठ कर जाया जा सकता है। वहां जाने के लिये रोड तो है पर बहुत खराब है। घोड़े वालों की विरोध के कारण, टैक्सी नहीं जा सकती पर आप अपनी कार से जा सकते हैं।

बाईसरन एक घासस्थली (Meadow) है। वहां हम लोग घोड़ों पर गये। पहुंचते ही, घोड़े वाले ने कहा,
'आप स्विटज़रलैण्ड में हैं।'
मैं कभी स्विटज़रलैण्ड नहीं गया इसलिये कह नहीं सकता कि उसकी बात सच है या नहीं पर यह जगह बहुत खूबसूरत बड़ा सा मैदान है।

हम जब बच्चों के साथ ऎसी जगह जाते थे तो हमेशा चटाई रखते थे और फिर शतरंज होता था। मुन्ने की मां को शतरंज पसन्द नहीं है इसलिए उसके साथ तो नहीं खेला जा सकता। हांलाकि यदि खेलती होती तो भी नहीं खेलता। कहीं पत्नियों से चालों में क्या कोई जीत सकता है।

ऐसी जगह हम लोग कभी-कभी donkey-donkey भी खेलते थे। इसमें गेंद या फ्रिस्बी को एक फेकता है और दूसरा पकड़ता है। पहली बार न पकड़े जाने पर D दूसरी बार O और इसी तरह से जो पहले Donkey बन जाय वह बाहर।

आप लोग स्विटज़रलैण्ड का आनन्द लीजये और मैं चलता हूं गुलमर्ग - कमरे में बन्द होने के लिये।

कश्मीर यात्रा
जन्नत कहीं है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।। बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है।। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने चौकीदार को क्यों निकाल दिया।। आप स्विटज़रलैण्ड में हैं।।

4 comments:

  1. "कहीं पत्नियों से चालों में क्या कोई जीत सकता है।"
    कहीं कहीं तो हारने में ही अधिक अच्छा लगता है.

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  2. रुचिकर विवरण, फोटो सुंदर है।

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  3. बहुत सुन्दर...अच्छा लगा पढ़कर...:)

    तस्वीर भी सुन्दर है मगर कुछ बढी होती तो स्पष्ट देख पाते...

    शानू

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  4. उन्मुक्त जी बहुत जल्दी-जल्दी मे लिखा है क्या । फोटो अच्छी है पर कुछ और फोटो होती तो अच्छा होता ।
    हम ८३ मे कश्मीर गए थे तब तो कश्मीर बहुत ही सुन्दर था ।

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