भारत-पाकिस्तान सेमी फाइनल मैच में, जब सचिन तेन्दूलकर २३ रन पर खेल रहे थे तब उन्हें मैदानी अम्पायर ने एलबीडब्लू आउट दे दिया था लेकिन तीसरे अम्पायर ने, इस फैसले को पलट दिया। इस चिट्ठी में चर्चा है कि क्यों तीसरे अम्पायर का निर्णय सही था।
२०११ क्रिकेट विश्व कप के भारत-पाकिस्तान के बीच सेमी फाइनल मुकाबले में, सचिन तेन्दूलकर का एलबीडब्लू निर्णय अम्पायर डिसिशन रिवियू सिस्टिम (यूआरडीएस) के अन्तरगत पलट दिया गया था। बहुत से लोग, इसे बेईमानी का फैसला बताते हैं। यह इसलिये हुआ क्योंकि तीसरे अम्पायर के मुताबिक यदि गेंद पैड से न टकराती तब विकेट पर नहीं लगती। लेकिन मैदानी अम्पायर और तीसरे अम्पायर के फैसले में क्यों अन्तर हो गया?
यदि गेंद एकदम सीधी है एवं विकेट के ऊपर से नहीं जा रही है तब विकेट पर लगेगी। लेकिन यदि गेंद कुछ कोण बनाकर जा रही है या कुछ स्पिन कर रही हो तब उसका विकेट पर लगना, इस बात पर निर्भर करेगा कि गेंद बैट्समैन के पैड पर छूते समय, विकेट से कितनी दूर है। यह यह दूरी कम है तो गेंद को विकेट पर लगने की संभावना ज्यादा है। यदि यह दूरी ज्यादा तब कोण (Angle) के कारण, बाल विकेट में न लगकर, बाहर निकल सकती है।
आप दाहिने तरफ, ऊपर का चित्र देखें। इसमें सचिन तेंदूलकर, मैदानी अम्पायर, पिच, विकेट एवं गेंद की दो स्थितियां जहां गेंद गिरी और जहां पैड पर लगी दिखाया गया है। इसमें लाल रंग से दोनो गेंदो को जोड़ते हुऐ एक त्रिभुज भी दिखाया गया है। इस त्रिभुज में, लम्बवत भुजा वह दिशा है जैसा कि मैदान के अम्पायर ने गेंद की दिशा को समझा। लेकिन वास्तव में गेंद की दिशा इस त्रिभुज का कर्ण है। यदि पैड और विकेट के बीच की दूरी कम है तो यह विकेट पर जायगी अन्यथा यह विकेट को छोड़ कर निकल जायगी।
ईश्वर ने हमें दो आंखें दी हैं। इसकी सहायता से हम दो बिन्दुओं के बीच की दूरी का अन्दाज लगा सकते हैं । लेकिन जब दो बिन्दु दूर हों तब, दो आखों के बावजूद, यह अन्दाज लगा पाना मुश्किल हो जाता है।
क्रिकेट में पिच की दूरी लगभग २२ गज या २०.८ मीटर होती है। लगभग यही दूरी अम्पायर और बल्लेबाज के बीच में रहती है। यह इसलिये है, क्योंकि बल्लेबाज विकेट के कुछ आगे खड़ा रहता है और अम्पायर दूसरी तरफ के विकेट के पीछे। इतनी दूर से विकेट एवं उस जगह के बीच की दूरी, जहां पैड पर बाल लगी हो, का सही अन्दाज लगा पाना मुश्किल है।
सचिन के केस में कुछ ऎसा ही हुआ। मैदान के अम्पायर तेंदुलकर के पैड व विकेट की दूरी का ठीक प्रकार से अंदाजा नहीं लगा पाये।
पैड और विकेट के बीच ज्यादा दूरी कहीं ज्यादा थी जितनी मैदानी अम्पायर ने अन्दाज की थी। इसलिये यदि सचिन के पैड पर न लगती तब वह विकेट को छोड़ती निकल जाती।
बॉल ट्रैकर तकनीक के कारण यह पता चल पाया कि,सचिन के केस में, गेंद कोण बनाते जा रही थी और पैड एवं विकेट के बीच में दूरी तय करने पर, गेंद विकेट पर न लग कर, बगल से निकल जाती।
सचिन के आउट दिये जाने वाले निर्णय के बदल जाने के कारण, अन्तरजाल पर तनाव इतना बढ़ गया कि अन्तत: हॉक आई इन्वेशनस् को इस बारे में स्पष्टीकरण देना पड़ा।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड अम्पायर डिसिजन रिवियू सिस्टिम (यूआरडीएस) का समर्थक नहीं है। इसका कारण, शायद, २००८ में खेली गयी भारत-श्रीलंका टेस्ट श्रृंखला है। इस श्रृंखला में पहली बार टेस्ट मैचों में, इसका प्रयोग किया गया था। तीन टेस्ट की श्रृंखला में २९ फैसले भारत के खिलाफ गये थे।
मैदानी अम्पायर मानव हैं। उनमें मानव की ही कमियां हैं। यह सोचना - कि उनमें कोई पुर्वाग्रह नहीं होता - गलत है।
यह सच है कि कि बॉल ट्रैकर तकनीक वह प्रक्षेप पथ दिखाती है जो कि आंकड़ों के आधार पर (statistically) सबसे संभावित होता है। कोई जरूरी नहीं कि वैसा ही हुआ होता। लेकिन यह सब तकनीक के द्वारा निकाला जाता है। इसमें कमियां हो सकती हैं लेकिन बेहतर कैमरों के साथ यह बेहतर होता जायग। मेरे विचार में, बॉल ट्रैकिंग तकनीक एक उम्दा तकनीक है। इसे स्वीकार न करना, एक भूल है। यह विज्ञान की देन है। इसे आज नहीं तो कल, स्वीकारना पड़ेगा। मैं आने वाले कल में, ऐसे मैच की भी कल्पना करता हैं जब हमें मैदान में अम्पायर की जरूरत ही न पड़े।
भारत-पाकिस्तान के पूरे मैच के मुख्य अंश का मजा लीजिये
इस चिट्ठी के चित्र, न्यूयॉर्क टाइमस् के इस पेज से हैँं जहां आप इस बारे में, पहेली के साथ, पढ़ सकते हैं।
क्रिकेट और अम्पायर डिसिशन रिव्यू सिस्टम
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विश्व कप सेमी-फाइनल में भारत ने बेईमानी की?।। बॉल ट्रैकर, गेंद का संभावित प्रक्षेप पथ बताता है।। अंतरजाल पर तनाव इतना बढ़ा कि स्पष्टीकरण देना पड़ा।।
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this is a very useful system... but the people are not accepting it as they have some kind of ...
ReplyDeleteहॉक आई ..से तो अब गेंद की दिशा का पता लगाना बिलकुल आसान हो गया है...और दर्शक भी..तीसरे अम्पायर की भूमिका बखूबी निभा लेते हैं..खिलाड़ियों से पहले,उन्हें पता चल जाता है..कि खिलाड़ी आउट है या नॉट आउट.
ReplyDeleteपर अम्पायर के बिना....howzzzzat !! की चिल्लाहट के बिना खेल का मैदान कितना नीरस लगेगा...
पता नहीं कि क्या सच है?
ReplyDeleteबाल ट्रेकिंग तकनीक और जुड़े पहलुओं पर जानकारी भरी पोस्ट!
ReplyDeleteज्ञानवर्धक पोस्ट.
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