इस चिट्ठी में, सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा निर्णीत किया गया एम.सी. मेहता विरुद्घ भारत संघ ए.आई.आर. १९८७ एस.सी. १०८६ (ओलियम
गैस लीकेज़ केस) तथा उसमें प्रतिपादित सिद्धान्त की चर्चा है।
दिसम्बर १९८५ में, श्रीराम फूड एंड फिर्टिलाईजर्स कारखाने से ओलियम गैस का रिसाव हुआ, तब एम.सी. मेहता विरुद्घ भारत संघ ए.आई.आर. १९८७ एस.सी. १०८६ (ओलियम गैस लीकेज़ केस) निम्न बातें तय करने के लिये दाखिल किया गया।
- जोखिम वाले उत्पादों के निर्माण एवं विक्रय में लगे हुए उद्यमों का दायित्व क्या है; तथा
- वे कौन सी परिस्थितियां हैं, जिनमें उन्हें संचालन की अनुमति दी जानी चाहिए।
इस प्रकरण का निर्णय करते समय, उच्चतम न्यायालय ने, राईलैण्ड बनाम फ्लैचर १८६१-१८७३ All ELR (पुनः मुद्रित) १ (राईलैण्ड केस) पर विचार करते हुए अपना फैसला सुनाया। इसमें राईलैण्ड केस में प्रतिपादित सिद्धान्त स्वीकार नहीं किया और पूर्ण दायित्व का नियम स्थापित किया गया। न्यायालय ने कहा,
- यदि जोखिम भरे या खतरनाक गतिविधियों से कोई हानि होती है तो पीड़ित मुआवजा पाने का अधिकारी है। चाहे उद्यम के द्वारा यथोचित सावधानी बरती गई हो या नहीं;
- ऐसी परिस्थिति में। राईलैण्ड केस में बताये अपवाद, लागू नहीं होते हैं;
- इस परिस्थिति में उद्यम के द्वारा दायित्व सुनिश्चित/ मुकम्मल है।
अगली बार बात करेंगे कि, अभी तक दिये गये निर्णयों में, न्यायालय ने, पर्यावरर्ण के संबन्ध में क्या नियम प्रतिपादित किये हैं।
भूमिका।। विश्व पर्यावरण दिवस ५ जून को क्यों मनाया जाता है।। टिकाऊ विकास और जनहित याचिकाएं क्या होती हैं।। एहतियाती सिद्घांत की मुख्य बातें क्या होती हैं - वेल्लौर केस।। नुकसान की भरपाई, प्रदूषक पर - एन्वायरो एक्शन केस।। राज्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षणकर्ता है।। वन, वृक्ष, और जैव विविधता का संरक्षण - आवश्यक।। जोखिम गतिविधि - पीड़ित मुआवजा का अधिकारी
सांकेतिक शब्द
। MC Mehat vs Union' AIR 1987 SC 1086, Oleum Gas Leakage Case,
। पर्यावरण, environment, Ecology, Environment (biophysical), Natural environment, Environmental movement, Environmentalism, Environmental science,
।हिन्दी,
What is राईलैण्ड बनाम फ्लैचर १८६१-१८७३ case ? if it is being referred its good to describe that too in post.
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