हर मोबाइल, हर देश में काम नही करते। इसका अनुभव मुझे अमेरिका में हुआ। गलती मेरी थी और में दोष नेटवर्क वालों को दे रहा था। इसी की चर्चा इस चिट्ठी में है।
कुछ साल पहले, अपने काम से, बर्लिन और साउथ अफ्रीका जाने का मौका मिला। बर्लिन यात्रा के दौरान वियाना भी जाने का मौका मिला। इन यात्राओं का वर्णन मैंने अपने इसी उन्मुक्त चिट्ठे पर कड़ियों में किया। उसके पश्चात, उन्हें संकलित कर लेख चिट्ठे पर यहां, यहां, और यहां किया। इन यात्राओं के दौरान मुझे मोबाइल में, कुछ मुश्किलें आयीं। इसका वर्णन मैंने यहां पर किया है।
मेरे पास पहले सैमसंग का मोबाइल था। यह बहुत महंगा था और अच्छा भी नहीं था। बहुत जल्दी खराब हो गया। दुकान पर पूछने पर बताया कि गर्मी में जेब में रखने पर, पसीने से यह खराब हो जाता है।
इसके बाद मैंने एचटीसी का मोबाइल लिया। यह भी बहुत महंगा था। इसमें फोन पूूरा चार्ज हो जाने के बाद भी, चार्जिंग बन्द नहीं होती थी और यह हैंग हो जाता था। यह ठीक तो हो गया पर कुछ न कुछ मुश्किल हमेशा रहीं। इन सब अनुभवों के बाद मुझे लगा कि भारतीय कम्पनी का मोबाइल लेना चाहिये। वह शायद अपने देश की मुश्किलों को बेहतर समझे और उसमें इस तरह की दिक्कतें न आयें।
कुछ पता लगाने के बाद, मैंने इन्टेक्स कम्पनी का एक्वा ४ जी मोबाइल लिया। यह सस्ता भी है और अच्छा भी। मुझे यह सैमसंग और एचटीसी दोनो से बेहतर लगा। मेरी जेब से, कम से कम से, यह सौ बार गिर चुका है लेकिन अब भी बेहतरीन काम करता है, हल्का भी है। इसमें उस तरह की कोई मुश्किलें नहीं हैं जैसी मेरे पहले मोबाइलों में थीं।
शुभा के पास लिनोवो का मोबाइल था वह भी तंग करता था। मैंने उसे भी इन्टेक्स का मोबाइल खरिदवा दिया।
मेरे पास वोडाफोन का कनेक्शन है। इस होली पर हम लोग श्रीलंका चले गये थे। मैंने वोडाफोन के रोमिंग को अन्तरराष्ट्रीय़ करा लिया था। इसने वहां भी अच्छा काम किया।
आजकल हम लोग, मुन्ने के पास, अमेरिका आये हैं। आने से पहले, मैंने वोडाफोन के रोमिंग को अन्तरराष्ट्रीय़ करा लिया ताकि यहां पर मुश्किल न हो। यहां आ कर जब मैंने वोडाफोन को को उनकी सहयोगी कम्पनी पर रजिस्टर करवाना चाहा, तब बार-बार सूचना मिली कि
'कैन नॉट रजिस्टर जस्ट नॉओ औन दिस नेटवर्क, ट्राई आफ्टर सम टाइम'।जब कई दिन बाद भी यही सूचना मिलती रही और वोडाफोन की सहायता से बात करने के बाद भी कई हल नहीं निकला तो मुझे लगा कि वोडाफोन का सहयोगी कम्पनी से करार समाप्त हो गया और वे इसे समझ नहीं पा रहे हैं। मैं उन्हीं को दोष देता रहा।
हार कर मैंने अमेरिका की एटी&टी कम्पनी का सिम लेकर काम चलाना चाहा। एटी&टी कम्पनी का सिम लगवाने के लिये उनके शोरूम में गया, सिम लगवाया पर मेरे मोबाइल पर उसने काम नहीं किया। वहां पर भी मोबाइल पर वही सूचना आयी जैसे पहले आती थी।
अब मुझे लगा कि शायद मेरे मोबाइल में ही कोई दिक्कत हो। अन्तरजाल पर मुझे एक वेबसाइट मिली। इस पर चेक किया तब पता लगा कि मेरा मोबाइल अमेरिका में काम नहीं करेगा। मैं बेकार में ही वोडाफोन वालों की गलती समझ रहा था। गलती तो मेरे मोबाइल की ही थी। यह जीवन में अक्सर होता है पर इस बात को भूल गया था।
चलिये इस अनुभव से, यह तो पता चला कि सारे मोबाइल सब देशों में नहीं चलते हैं। वहां जाने से पहले चेक करना चाहिये कि मोबाइल वहां चलेगा कि नहीं।
उन्मुक्त की पुस्तकों के बारे में यहां पढ़ें।
सांकेतिक शब्द
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"...इन सब अनुभवों के बाद मुझे लगा कि भारतीय कम्पनी का मोबाइल लेना चाहिये। वह शायद अपने देश की मुश्किलों को बेहतर समझे और उसमें इस तरह की दिक्कतें न आयें।
ReplyDeleteकुछ पता लगाने के बाद, मैंने इन्टेक्स कम्पनी का एक्वा ४ जी मोबाइल लिया।..."
इंटेक्स के भी तमाम उत्पाद चीन निर्मित होते हैं.
मैने भी विंडोज़ नोकिया लूमिया लिया था, जो अपनी बिल्ड क्वालिटी के नाम से प्रसिद्ध था, परंतु वो भी कुछ समय बाद ही खराब हो गया था. इसका चार्जिंग यूएसबी कनेक्शन ही गल गया था, चार्जिंग के दौरान. हालांकि उसका रिप्लेसमेंट अभी भी काम कर रहा है, गिरने और डिस्प्ले के टूट जाने के बाद भी! तो इस तरह की समस्याएँ मोबाइलों में आती ही रहती हैं, और, आमतौर पर आइसोलेटेड होती हैं. अलबत्ता अभी सेमसुंग नोट 7 का केस तो यूनिवर्सल है.
जब मैं अपनी पत्नी के लिये खरीदने के लिये गया तब इसके बारे में पता चला।
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