ऐलेन ट्यूरिंग आधुनिक कंप्यूटर के पिता कहे जाते हैं। दूसरे विश्व युद्ध में उनका योगदान महत्वपूर्ण था। इस चिट्ठी में, उनकी जीवनी 'ऐलेन ट्यूरिंग - द एनिगमा' (Alan Turing: The Enigma) पर बनी फिल्म 'द इमिटेशन गेम' की (The Imitation Game) की समीक्षा है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी अपने आदेशों और संदेशों को कूट रूप में भेज रहा था। इसके लिये वह एनिगमा मशीन का प्रयोग कर रहा था। जिसकी काट मित्र देशों के पास नहीं थी। उनके विचार से इसकी काट नामुमकिन थी। दूसरा विश्वयुद्ध जीतने के लिये जरूरी था कि उसकी काट निकाली जाय।
एनिगमा मशीन के द्वारा भेजे कूट संदेशों की काट के लिये, ब्रिटेन ने, गणित के प्रोफेसर ऐलेन ट्यूरिंग का सहारा लिया। ट्यूरिंग ने एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन बनायी जिसके द्वारा इन कूट संदेशों को तोड़ा जा सका और द्वितीय विश्वयुद्ध को जीतना संभव हो सका।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद, १९५१ में, ट्यूरिंग के घर के चोरी हो गयी। पुलिस के द्वारा इसकी तहकीकात के दौरान पता चला कि ट्यूरिंग संलैंगिक हैं। उस समय तक ब्रिटेन में संलैगिक रिश्ते बनाना कानूनी अपराध था। उन पर मुकदमा चलाया गया और १९५२ में उन्हें सजा हो गयी। उनसे कहा गया कि या तो वे दो साल की सजा स्वीकार कर लें या फिर हार्मोन उपचार।
ट्यूरिंग ने हार्मन उपचार लेना ठीक समझा। लेकिन वे सदमें से नहीं उबर पाये और १९५४ में उन्होंने पोटैशियम साइनाउड में डूबा सेब खा कर खुदकुशी कर ली। १९५० के दशक में, ब्रिटेन में, संलैंगिक रिश्तों को अपराध के दायरे से हटा दिया गया। यह अब वहां अपराध नहीं है।
फिल्म से एक उद्धरण जो कि ऐसे लोगों के बारे में बताता है |
फिल्म, उनके घर में हुई चोरी से शुरू होती है। एक पुलिस ऑफिसर उन पर संलैंगिक रिश्ते बनाने के कारण मुकदमा चलाना चाहता है और दूसरा कहता है कि वे रूस के जासूस हैं और उनसे सवाल पूूछने की आज्ञा लेता है। जिसके दौरान पता चलता है कि किस तरह ट्यूरिंग ने दूसरे विश्वयुद्ध में एनिगमा मशीन का काट निकाला।। यह एक बेहतरीन फिल्म है और देखने लायक है।
पिछले दशक में, दुनिया भर में मुहिम चलायी गयी कि ट्यूरिंग की सजा समाप्त कर देनी चाहिये। इस याचिका में एक दस्ख़त मेरे भी हैं। २००९ में, ब्रिटेन प्रधान मंत्री ने उनहें सजा देने के लिये माफी मांगी और २०१३ में उनकी सजा माफ कर दी है।
यह फिल्म, अपने देश में आ कर चली गयी। शायद न किसी पत्रिका ने, न ही किसी समाचार पत्र ने उसकी चर्चा की। आपको कभी डीवीडी या टेलीविज़न पर देखने को मिले तो अवश्य देखें। मैंने इसे अमेरिका में, नेटफ्लिक्स में देखा। इसे आप अपने परिवार के साथ देख सकते हैं। इसमें कोई भी दृश्य ऐसा नहीं जो कि आपत्तिजनक हो। समलैंगिक रिश्तों को भी यह संवेदनशील तरीके से बताती है।
ट्यूरिंग पिछली शताब्दी के महानतम वैज्ञानिकों में से एक थे। वे ऐसे शख्स थे जिसके कारण दूसरे विश्वयुद्ध में जीत संभव हो सकी। ऐसे व्यक्ति पर इस बात के लिये मुकदमा चलाना या उन्हें सजा देना, एक दुखद बात थी। लोग अक्सर ऐसे लोगों को समझ नहीं पाते हैं। मैंने संलैगिक अधिकार के समर्थन में कुछ चिट्ठियां, 'चार बराबर पांच, पांच बराबर चार, चार…', 'आईने, आईने, यह तो बता – दुनिया मे सबसे सुन्दर कौन', 'मां को दिल की बात कैसे बतायें', और 'अब, मां को बताने पर शर्म कैसी' नाम से लिखी हैं। यह फिल्म इन संलैगिक अधिकारों को नये रूप में भी पेश करती है।
इस फिल्म का ट्रेलर देखें
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यह फिल्म, अपने देश में आ कर चली गयी। शायद न किसी पत्रिका ने, न ही किसी समाचार पत्र ने उसकी चर्चा की।
ReplyDelete>> Sorry , i do not agree over it much . This movie was liked by many in our country too. May be due to English language couldn't be so popular among masses. 'Aligarh' is one of such movie inspired by this movie's concept.
मैंने अलीगढ़ नहीं देखी इसलिये इसके बारे में कहना उचित नहीं होगा। लेकिन अखबार में जो समीक्षा निकली थी उसके आधार पर लगता है कि यह फिल्म मुख्यतः संलैंगिक रिश्तों के बारे में थी। जहां तक द इमिटेशन गेम की बात है यह फिल्म मुख्यतः ट्यूरिंग का दूसरे विश्वयुद्ध में सहयोग और उसने विज्ञान को जो नया आयाम दिया, नयी दिशा दी उसके बारे में है। इसमें संलैगिकता का पुट है पर बहुत कम और एकदम अलग तरीके से दिखाया है। ट्यूरिंग ने जोन कलार्क के साथ सगाई की थी इस प्रेम प्रसंग को भी भावुक तरीके से दिखाया है। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। इसे बनाने में १४ मिलियन डॉलर लगे और इसने २३३.६ मिलियन डॉलर कमाये।
Deleteमेरे विचार में, इस फिल्म और अलीगढ़ फिल्म में कोई समानत नहीं।
True . Not much similarity between both of these movies . All i mean to say that it didn't go unnoticed .
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