इस चिट्ठी में सर्फ-एक्सल के नये के विज्ञापन पर उठे विवाद पर चर्चा है।
मैं प्रयत्न करता हूं कि स्वदेशी कंपनियों की वस्तुओं का प्रयोग करूं। यदि यह न हो सके, तब उन विदेशी कंपनियों की वस्तुओं का प्रयोग करूं, जो भारत में समान बनाते हैं और केवल मजबूरी में ही विदेशी कंपनियों का, विदेश में बना समान प्रयोग करता हूं। चीनी समान तो कभी नहीं प्रयोग करता, चाहे जितना सस्ता हो। कोका-कोला, पेप्सी या अन्य किसी मल्टी नेशनल कंपनी का पेय न ही पीता हूं और न ही मेहमानों को पिलाता हूं। यह मैं पिछले ५० साल से करता चला आ रहा हूं।
यूनिलीवर एक विदेशी कंपनी है। सर्फ-एक्सल, इसी का साबुन है :-( मैंने सर्फ-एक्सल का होली पर नया विज्ञापन नहीं देखा था। लेकिन, कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना होने लगी, तब इसे देखा। मेरे विचार से यह बहुत अच्छा विज्ञापन है। यह न केवल भाई-चारे का संदेश देता है पर धर्म (नमाज़ पढ़ना) और होली के रंगों, दोनो को महत्व देते हुऐ, महिला सशक्तिकरण का भी संदेश देता है।
एक प्यारी सी बेटी (बेटा नहीं) साईकल चलाते हुऐ, मोहल्ले के लड़के लड़कियों का रंग समाप्त करा कर, अपने दोस्त को नमाज़ पढ़ने के लिये ले जाती है ताकि उसके कपड़ों पर रंग न लगे। जब वह ले जा रही है तब एक लड़का बचा हुआ गुब्बारा फेकने की कोशिश करता है पर दूसरी लड़की मना कर देती है।
ऐसा नहीं है कि मुसल्मान दोस्त होली नहीं खेलना चाहता। क्योंकि मस्ज़िद पर छोड़ने के बाद, बेटी कहती है कि लौटते समय रंग पड़ेगा, जिसे मुसल्मान दोस्त मुस्करा कर स्वीकार कर लेता है। बस वह नमाज़ पढ़ने से पहले भीगना नहीं चाहता। मैं नहीं समझता कि इसमें कुछ भी आपत्तिजनक है। इसकी निर्मलता, प्यारापन, दिल को छूता है।
यह केवल विज्ञापन है। काश, वास्तविक जीवन में भी हो सकता हो। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम ऐसा सोच नहीं सकते या ऐसा होने की आशा नहीं कर सकते। मेरे विचार से अपना भारत यही है।
होली भाई-चारे, प्रेम और मिलन का त्योहार है। इस विज्ञापन पर विवाद उठाने वाले गलत संदेश दे रहें हैं। वे देश को पीछे ले जा रहे हैं। विज्ञापन देखें, फिर राय कायम करें।
सोचता हूं, सर्फ-एक्सल का प्रयोग करना शुरू कर दूं :-)
सांकेतिक शब्द
#हिन्दी_ब्लॉगिंग #RangLaayeSang
culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो,
आपको लगता है तो बिलकुल सर्फ़ का उपयोग शुरू करना चाहिए. लेकिन बात भाईचारे की थी तो सब साथ में रंग खेलते.
ReplyDeleteजहां तक सर्फ का उपयोग करना है वहां आप देखेंगे कि वह वाक्य :-) के साथ समाप्त होता है।
Deleteजहां तक रंग साथ खेलने की बात है मेरे विचार से यह उस व्यक्ति की इच्छा पर है। हमें उसका सम्मान करना चाहिये। यह उसी प्रकार है यदि कोई व्यक्ति किसी तरह की टोपी नहीं पहनना चाहता या किसी जगह नहीं जाना जाता तो हमें उसकी इच्छा का सम्मान करना चाहिये। केवल इस कारण से वह व्यक्ति बुरा नहीं हो जाता।
मैं और शुभा दोनो न तो होली खेलते हैं न ही रंग - मुझे रंगों से एलर्जी है। मेरे मित्र तथा मेरे सहयोगी मेरे इच्छा का सम्मान करते हैं। इससे न उनका सम्मान कम हुआ न मेरा।
विज्ञापन टीवी पर आया क्या?
ReplyDeleteमेरे यहां डिश टीवी नहीं है सलिये नहीं कह सकता। मैंने जब इसके बारे में सोशल मीडिया पर पढ़ा तब से यू-ट्यूब पर देखा और लिखा।
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व नींद दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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