इस चिट्ठी में, कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य और मोतीपुर विश्राम भवन की चर्चा है।
१८८० में बना मोतीपुर गेस्ट हाउस जहां हम ठहरे थे। |
कुकरैल संरक्षित वन लखनऊ में, घड़ियालों का सरंक्षण किया जाता है। वहां कई बार संरक्षित तलाबों में, घड़ियालों को देखने का मौका मिला पर कभी खुली नदी में नहीं। पिछली सर्दियों में, हम लोग राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य गये थे। यह मुख्यतः घड़ियालों के सरंक्षण के लिये बनाया गया है। वहां पक्षी और मगर दिखे पर घड़ियाल नहीं। वहीं बताया गया कि घड़ियाल देखने के लिये, सबसे अच्छी जगह, कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य में, गिरवा नदी पर है। यह बहराइच में है। इसलिये इस होली में, हम लोग वहीं गये।
गिरवा नदी, घाघरा नदी से ही निकली है और इसी में मिल जाती है। घाघरा नदी मानसरोवर झील, तिब्बत के पास से निकल कर, नेपाल में आती है। यहां इसे कर्णाली नाम से जाना जाता है। चिसपानी, नेपाल में, यह दो भाग, गिरवा और कौड़ियाल, में बंट जाती है। यह दोनो भाग पुनः कतर्निया घाट रेंज, बहराइच में, मिल जाते हैं और तब इसे घाघरा कहा जाता हैं। इसी संगम पर कैलाशपुरी डैम और गिरिजा बराज बना है, जहां से शारदा परियोजन के लिये नहरें निकली हैं। इसके दक्षिण, बहराइच जिले में, शारदा नदी, घाघरा से मिलती है। छपरा बिहार में, घाघरा गंगा से मिलती है।
दुधवा टाइगर रिजर्व - किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य, कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य, और दुधवा नेशनल पार्क को मिला कर बनाया गया है। यह उत्तर प्रदेश के तराई इलाके के, लखीमपुर खीरी एवं बहराइच जिले में, नेपाल की सीमा से लगा हुआ है।
कतर्निया घाट अभयारण्य, अपने देश में, दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर अभयारण्य को, एवं नेपाल मेें बर्दिया नेशनल पार्क को, जोड़ता है। यहां पर सब तरह के जानवरों के साथ बाघ, तेंदुवे, हाथी और गैंडे देखे जा सकते हैं। यह जंगल मुख्यतः साल और सागौन का जंगल है, जहां हरे-भरे घास के मैदान, कई दलदल और आर्द्रभूमि हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ५५१.०१ किमी है इसमें १५०.०३ वर्ग किमी का बफर क्षेत्र शामिल है।
मोतीपुर गेस्ट हाउस, कतर्निया घाट अभयारण्य की सीमा से लगा हुआ है
और अभयारण्य के अन्दर कर्तनिया घाट पर भी गेस्ट हाउस है। इन दोनो जगहों पर वन विभाग का विश्राम गृह है और उत्तर प्रदेश में पर्यटन विभाग ने रहने के
लिये कुटेरें बनाई हैं। जहां ठहरा जा सकता है। हम लोग, मोतीपुर में ठहरे थे। यहां का वन विभाग का विश्राम गृह, १८८० में बना था।यानि कि यह एक धरोहर इमारत (हेरिटेज बिल्डिंग) है।
हम लोग, गेस्ट हाउस शाम को पहुंचे और रात का खाना खा कर, जंगल की सैर करने गये। जंगल नज़ारा बहुत सुन्दर था पर रात में, हमें वहां कोई जानवर नहीं दिखा।
गिरवा नदी में बोट सफारी या फिर जंगल सफारी के लिये जीप, कतर्निया घाट से मिलती है। हम वहां अगले दिन गये थे। इसकी चर्चा अगली बार।
जंगल में रात का नज़ारा |
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