Thursday, September 23, 2021

फ्लोरिडा के सी-वर्ल्ड में मस्ती

वॉशिन्गटन के बाद अम्मां फ्लोरिडा गयीं थी वहां मेरी बहन की दूसरी ननद रहती थी। इस चिट्ठी में वहीं का वर्णन है।

जीजी अपने ससुराल किन्नरपट्टी में, अपनी पाचों ननदों के साथ - सबसे दाहिने हैं मीरा दी जिनके साथ अम्मां फ्लोरिडा में रुकी थी। दाहिने से तीसरी हैं मुक्ता दी जिनके साथ अम्मां लन्दन में थीं।
 

दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा 

भूमिका।। लन्दन होते हुऐ, वॉशिन्गटन।। फ्लोरिडा के सी-वर्ल्ड में मस्ती।।

 

Wednesday, September 15, 2021

लन्दन होते हुऐ , वॉशिन्गटन

इस चिट्ठी में, अम्मां ने लन्दन होते हुऐ,  वॉशिन्गटन पहुचने और वहां के कुछ दर्शनीय स्थलों की चर्चा की है।

अम्मां और दद्दा, इस ट्रिप में कैनाडा भी गये थे।  यह चित्र कैनाडा में विनिपेग में खींचा गया था।

 दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा 

भूमिका।। लन्दन होते हुऐ, वॉशिन्गटन।।

Monday, September 06, 2021

दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा

१९८२ में, मेरी मां, अमेरिका घूमने गयीं थी। उन्होंने इसका विवरण पत्रों के द्वारा मेरे बेटे को दिया। यह चिट्ठी उन पत्रों की भूमिका है। 

पहली यात्रा- गंगोत्री

सबसे नीचे, बायें तरफ से - चन्द्रा बुआ जी (रज्जू भैइया की सगी बहन), रूबी दादा (चन्द्रा बुआ जी के पुत्र), ऊषा बुआ (अशोक सिंघल की सगी बहन) 

उसके ऊपर की पंक्ति में - दद्दा (मेरे पिता), अम्मां (मेरी मां), बड़े चाचा जी (रज्जू भैइया)

सबसे ऊपर उनके साथ गये दो सहयोगी 

 दादी की चिट्ठी - रमरीका यात्रा 

भूमिका