इस चिट्ठी में, आजकल आयी गर्मी की लहर और उससे निजात पाने के उपायों पर चर्चा है।
हाय, हाय यह मजबूरी
यह मौसम और यह गरमी
उस पर, पानी की यह किल्लत
और साथ में, गुल बिजली
हाय, हाय यह मजबूरी
इस समय जानलेवा गर्मी की लहर चल रही है। ऊपर से, अक्सर बिजली का चली जाना, फिर पानी की कमी तो है ही। क्या करें? कैसे निजात पायें?
शायद सबसे आसान तरीका है कि घर पर, एयर कंडिशन चला कर, आराम से बैठें।
यही कारण है कि इस साल एयर कंडीशन, रेफ्रीजरेटर की बिक्री दुगनी हो गयी है। लेकिन इनकी बिजली खपत ज्यादा है। इन से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैस, हानिकारक है और जलवायु परिवर्तन की बड़ी वजह है।
यानि कि हमारे आराम से बैठने का कारण, हमारी मुशकिलें बढ़ा रहा है, हमें भट्टी में झोंक रहा है। अगर इनका इस्तेमाल इसी तरह जारी रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब गर्मी के कारण यह भी काम करना बन्द कर देंगें।
हमारी अबादी बढ़ रही है। लोगो को रहने, खेती के लिये के लिये, स्थान की जरूरत है। प्रगति का यही तकाजा है। इसके लिये जंगलो और पेड़ों की कटाई हो रही है। नये पेड़ लगाने के लिये, न तो जगह है न ही जोश। फिर निजात कैसे मिले।
सरकारों को अपनी नीति बदलनी चाहिये। लेकिन हम भी कुछ कर सकते हैं। हमें चाहिये कि अपने परम्परागत तरीकों को फिर से अपनाये और उन्हें शुरू करें।
मैंने अपने घर के ऊपर हरा पर्दा डाल दिया है। इससे तापमान में लगभग २-३ डिग्री का
फर्क आता है।
मै सुराही का पानी पीता हूं। अब एक बड़ा घड़ा रख लिया है। आने वालों से पहले पूछता कि क्या वे घड़े का पानी पीना पसन्द करेंगे।
मैं जब अपना मकान बना लिये तब मेरे ठेकेदार ने 'वास्तु' के हिसाब से मकान के लिये कुछ सुझाव दिये। मैं उनसे बिलकुल सहमत नहीं था। मैंने कहा मेरा घर बनाते समय 'वास्तु' पर ध्यान न दे कर इसका ख्याल रहे कि हवा और रोशनी आये।
उसे कुछ अजीब लगा। वह कहने लगा कि आप पहले व्यक्ति हैं जो ऐसा कह रह हैं।
मैंने उसे समझाया कि किसी समय जब बिजली नहीं थी और जगह भी थी तब 'वास्तु' के नियम प्रसांगिक थे अब नहीं। अब तो जरूरत है उन कारणों को लागू करने की, जिनके लिये 'वास्तु' के दिशा के नियम, आम व्यक्ति के समझने लिये, बनाये गये।
इसका हल यह निकला कि, घर बनाते समय, किस दिशा में क्या हो, इसकी परवाह नहीं की गयी पर घर में बाहर के जाने के अधिकतर दरवाजे शीशे के हैं। बड़ी-बड़ी खिड़कियां है। इसके कारण रोशनी में कमी नहीं है।
हर बाहर जाने वाले दरवाजों और खिड़कियों में जाली के पल्ले हैं जिससे मच्छर और मक्खी तो अन्दर नहीं आ पाते पर हवा का अच्छा आवागमन रहता है।
खिड़कियों में बाहर और अन्दर दोनो तरफ पर्दे हैं। अन्दर का पर्दा निजता देता है तो बाहर का पर्दा गर्मी, बाहर रखता है।
घर की छत पर ऐयर वॉशर लगा रखा है। यह एयर कूलर का ही दूसरा रूप है। उसी सिद्धान्त पर काम करता है। यह उतना कारगर तो नहीं है जितना कूलर - पर मच्छर अन्दर नहीं आते जो कि एयर कूलर की सबसे बड़ी मुश्किल है।
ऐयर वॉशर पूरे घर को आरामदायक रखता है। इसकी बिजली की खपत, एयर कंडिशन से काफी कम है। हां रात में अवश्य एयर कंडीशन चलाना पड़ता है।
घर में बिजली की खपत कम हो। इसके लिये ७.६ केवीए के सोलर पैनल लगा रखे हैं। इनसे दिन में पैदा होन वाली बिजली घर में प्रयोग आती है पर बिजली का बिल भी कम आता है।
लेकिन क्या कुछ लोगों के बदलने से, जलवायु में परिवर्तन होगा। क्या मालुम घड़ा तो बूंद-बूंद पानी से ही भरता है।
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