इस चिट्ठी में बीबीसी के द्वारा बनायी गयी फिल्म 'आइन्स्टाइन एण्ड एडिंगटन' की समीक्षा है।
'उन्मुक्त जी, यदि यह चिट्ठी आइन्सटाइन के बारे में फिल्म की समीक्षा है तब इस शीर्षक का क्या मतलब है।'
अरे भाई, जल्दी भी क्या है, पहले समीक्षा तो पढ़े।
अल्बर्ट आइन्स्टाइन (१४ मार्च १८७९ – १८ अप्रैल १९५५) जर्मनी में जन्मे - आजतक के सबसे महानतम, सबसे प्रभावशाली और सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं। उन्होंने भौतिकी के बहुत से विषयों पर काम किया पर उनका सबसे महत्वपूर्ण काम सापेक्षिकता पर है।
वर्ष १९०५ में, आइन्स्टाइन ने विशेष और १९१६ में सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत प्रतिपादित किया। दुनिया का सबसे प्रसिद्ध समीकरण E = mc2 द्रव्यमान ऊर्जा समतुल्यता विशेष सापेक्षता का सिद्धांत से मिलता है। यदि आइन्स्टाइन विशेष सापेक्षता का सिद्धांत , उस साल न प्रकाशित करते तो बहुत जल्दी कोई अन्य वैज्ञानिक इसे प्रकाशित कर देता, क्योंकि उस पर की गयी गणित पर सारा काम हो चुका था। लेकिन १९१६ में प्रकाशित सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत विज्ञान की महत्वपूर्ण खोज थी। यह उस साल नहीं होती तो शायद इसे आने में ५० साल और लगते।
सामान्य सापेक्षता सिद्धांत, गुरुत्वाकर्षण को नयी तरह से समझाता है। इसके पहले इस विषय पर न्यूटन ने काम किया था। जिसके आधार पर सौर मंडल के ग्रहों का सूरज की चारो तरफ चक्कर समझा जा सकता था। लेकिन बुध ग्रह सूरज के सबसे पास है, जिसके डगमगाने को न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम नहीं समझा पाता। इसे आइन्स्टाइन का सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत समझाने में सफल है।
मोटे तौर पर, सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत यह बताता है कि हर वस्तु अपने द्रव्यमान के अनुसार, अपने आस-पास के दिक्-काल (स्पेस-टाइम) को मोड़ देती है या दूसरे शब्दों में, उसमें झुकाव पैदा कर देती है। लेकिन इस नियम को तभी माना जा सकता था, जब इसे किसी प्रयोग से सिद्ध किया जा सके।
आर्थर स्टेनली एडिंगटन (२८ दिसंबर १८८२- २२ नवंबर १९४४) अंग्रेज खगोलशास्त्री, भौतिकशास्त्री और गणितज्ञ थे। १९१४ में , उन्हें कैम्ब्रिज वेधशाला का निदेशक और रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया। बाद में उन्हें रॉयल मेडल से भी सम्मानित किया गया।
एडिंगटन ईसाइयों के पन्थ क्वैकरस् से जुड़े थे और उसके सिद्धन्तों के कारण युद्धविरोधी एवं शांतिवादी थे। प्रथम विश्वयुद्ध के शुरू होने पर विलायत में सेना में अनिवार्य रूप से भरती करने की उम्र ३५ साल कर दी गयी थी। उस समय एडिंगटन ३४ साल के थे। उन्हें सेना में जाना अनिवार्य था, जिसके लिये वे अवश्य मना कर देते। यदि वे ऐसा करते तब उन्हें नज़रबंद कर, आलू छीलने के लिये भेज दिया जाता, जैसा कि अन्य क्वैकरस् कर रहे थे। यह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिन्टी कॉलेज के लिये शर्मिंदगी की बात होती।
२९ मई, १९१९ में, पूर्ण सुर्य ग्रहण पड़ रहा था। इसे अफ्रीका के मध्य पश्चमी तट पर स्थित प्रिंस्पे द्वीप पर अच्छी तरह से देखा जा सकता था। वहां पर, यह प्रयोग किया जा सकता कि क्या सूरज के कारण वहां स्पेस बदल रहा है। यदि ऐसा हो रहा है तब प्रकाश की किरणें झुक जायंगी और उस समय तारे अपनी जगह से अलग जगह दिखायी देंगे। इससे यह सिद्ध किया जा सकता था कि जरमन वैज्ञानिक आइन्स्टाइन गलत हैं ब्रिटानी वैज्ञानिक न्यूटन सही हैं।
यह सोचा गया कि यदि इस प्रयोग का नेतृत्व एडिंगटन करें तो उन्हें सेना में भरती होने से छूट मिल सकती है। फिर क्या था उन्हें इस काम के लिये चुन लिया गया और उन्हे सेना में लड़ने नहीं जाना पड़ा। हांलाकि जब यह अभियान गया था तब तक जर्मनी ने अपनी हार मान ली थी और प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त हो गया था।
एडिंगटन ने इस अभियान का नेतृत्व किया और उसके द्वारा लिये गये चित्रों ने सिद्ध कर दिया कि सूरज के कारण प्रकाश मुड़ रहा है और आइन्स्टाइन का सामान्य सापेक्षता सिद्धांत सही है। इसने भौतिकी की दिशा बदल दी और आइन्स्टाइन को दुनिया के सबसे महानतम वैज्ञानिक की श्रेणी में ला दिया। बीबीसी द्वारा निर्मित 'आइन्स्टाइन एण्ड एडिंगटन' इसी प्रयोग की फिल्म है।
यह फिल्म शुरू होती है जब एडिंगटन और उसके साथी अपने उपकरण को प्रिंस्पे द्वीप पर ले जा रहे हैं। बीच-बीच में, यह फिल्म अतीतावलोकन में चली जाती है। इसमें दिखाया जाता है कि किस तरह एडिंगटन इस अभियान में जाते हैं। इसके साथ, इसमें आइन्स्टाइन की कहानी भी चलती है।
आइन्स्टाइन की पहली पत्नी मिलेवा मेरिक थी जिससे उनके दो बेटे थे। फिल्म में, उनकी कहानी, वहां से शुरू होती है, जब दोनो के वैवाहिक जीवन में दूरियां शुरू हो जाती है। इसके बाद आइन्स्टाइन मैक्स प्लांक के कहने पर बर्लिन चले जाते हैं जहां उनका अपनी मौसेरी बहन एल्सा से प्रेम प्रसंग चलने लगता है।
अपने अभियान के बाद एडिंगटन सूर्य ग्रहण के चित्र रॉयल सोसयटी में दिखाते हैं जिससे सिद्ध होता है कि आइन्स्टाइन का समान्य सापेक्षता सिद्धान्त सही है। फिल्म की समाप्ति अखबारों में इस बात की चर्चा से होती है कि एक ब्रिटानी वैज्ञानिक ने जर्मन वॅज्ञानिक को सही पाया और आइन्स्टाइन प्रसिद्ध हो जाते है।
फिल्म के समापन में, दोनो वैज्ञानिकों के बाद के काम पर नजर डाली गयी है। आइंस्टीन अपने काम के कारण यशस्वी हो जाते हैं पर एडिंगटन अपने धार्मिक विचारों को विज्ञान से सिद्ध करने के कारण गुमनामी में खो जाते हैं।
एडिंगटन विज्ञान में धार्मिक विचारों को लाने की बात करने के बारे में, उनका और सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर का एक चर्चित किस्सा है।
चंद्रशेखर जाने-माने खगोलशास्त्री थे। उन्हें ब्लैक होल पर काम करने के लिये १९८३ में नोबल पुरस्कार से नवाज़ा गया था। १९३५ में, इंग्लैंड में, एक सम्मेलन हुआ था, जिसमें चंद्रशेखर ब्लैक होल पर बोल रहे थे। उनके बाद, इस विषय पर एडिंगटन ने अपने विचार रखे।
एडिंगटन ने, चंद्रशेखर की ब्लैक होल की बात का मजाक उड़ाया और कहा कि यदि चंद्रशेखर सही भी हों तो ईश्वरीय शक्ति यह होने नहीं देगी। चंद्रशेखर को एहसास हुआ कि उनका इंग्लैंड में कोई भविष्य नहीं है और वे अमेरिका चले गए। अंतत: चंद्रशेखर को सही और एडिंगटन को गलत पाया गया।
अमीर डैन एक्ज़ेल इजरायल में जन्मे और अमेरिका में, गणित- विज्ञान के इतिहास एवं गणित के अध्यापक थे। उन्होंने गणित पर बहुत सी लोकप्रिय पुस्तकें लिखी है। इसमें दो पुस्तकों - 'The Artist and the Mathematician: The Story of Nicolas Bourbaki, the Genius Mathematician Who Never Existed', और 'The Mystery of the Aleph: Mathematics, the Kabbalah, and the Search for Infinity' - की चर्चा 'बोरबाकी, ज़ीरो और डॉ बनवारी लाल शर्मा' और 'अनन्तता समझो, ईश्वर के पास पहंचो' नाम के शीर्षक से की है।
उन्होंने एक और पुस्तक 'God's Equation: Einstein, Relativity, and the Expanding Universe' नाम से लिखी है। इसमें आइन्स्टाइन के जीवन के साथ उनके विज्ञान की भी चर्चा की गयी है। इस पुस्तक में एक चैप्टर 'प्रिंस्पे आइलैण्ड' के नाम से है। इसमें एडिंगटन और उसके सूर्य ग्रहण पर अभियान की चर्चा है।
फिल्म भारत में, हॉटस्टारस् पर देखी और पुस्तक इंटरनेट से खरीदी, जा सकती है। फिल्म देखने और पुस्तक पढ़ने योग्य हैं।
'उन्मुक्त जी, अब तो बताइये कि इस शीर्षक का क्या मतलब है।'
सापेक्षता सिद्धान्त के बारे में, एक बार आइन्सटाइन ने कहा कि
'I want to know God's thoughts'
बस, यह शीर्षक वहीं से है 😀
सांकेतिक शब्द
। Einstein and Eddington, Albert Einstein, Arthur Eddington, Amir D. Aczel, God's Equation: Einstein, Relativity, and the Expanding Universe,
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