Sunday, October 22, 2006

पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा: Don't you have time to think?

रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन के बारे में पोस्ट यहां देखें
पहली पोस्ट: Don’t you have time to think?
यह पोस्ट: पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा

'कयामत से कयामत तक' की पिक्चर का एक गाना है,

पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा,
बेटा हमारा ऐसा काम करेगा।
मगर यह तो कोई न जाने,
कि मेरी मंजिल है कहां।

मैंने इस पिक्चर को नहीं देखा है पर यह गाना मुझे बहुत पसन्द है लेकिन किसी के पापा का केवल यह कहना या सोचना कि - बेटा ऐसा काम करेगा - पर्याप्त नहीं है। बेटा कोई अच्छा काम करे, इसके लिये पापा को बहुत कुछ करना पड़ेगा। अब यदि फाइनमेन के जीवन को देखें तो पायेंगे कि उसमें, उनके पिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। उनको विज्ञान में रुचि पैदा करने में, उनके पिता का बहुत बड़ा हांथ था।

NBC टेलीविजन ने १९६१ में 'About time' नामक फिल्म विज्ञान सीरीस के अर्न्तगत बनायी थी। फाइनमेन इसमें वैज्ञानिक सलाहकार थे। इस फिल्म के प्रदर्शन के पहले जब इसके बारे में जब लिखा जाने लगा तो फाइनमेन से पूछा गया कि उन्हें विज्ञान मे किस प्रकार से रुचि आयी तो उन्होंने बताया कि,

'My father, a businessman, had a great interest in science. He told me fascinating things about the stars, numbers, electricity, etc. Wherever we went there were always new wonders to hear about; the mountains, the forest, the sea. Before I could talk he was already interesting me in mathematical designs made with blocks. So I have always be a scientist. I have always enjoyed it, and thank him for this great gift to me.'

१९८१ में रौडिनी ल्यूस को पत्र लिखते हुऐ फइनमेन बताते हैं कि नीरस पाठ्य पुस्तक से मत घबराओ। उनको केवल तथ्यों के लिये पढ़ो, फिर उन बातों को अपनी तरह से प्रकृति के आश्चर्य की तरह सोचो। वे आगे बताते हैं कि किस प्रकार उनके पिता ने उन्हें इस तरह से सोचने के लिये प्रेरित किया। वे कहते हैं कि,
'My father taught me how to do that when I was a little boy on his knee and he read the Encyclopaedia Britannica to me! He would stop every once in a while and say—now what does that really mean. For example, “the head of tyrannosaurus rex was four feet wide, etc.” —it means if he stood on the long outside his head would look in at your bedroom on the second floor, and if the poked it in the window it would break casement on both sides. Then when I was a little older when would read that again he would remind me of how strong the next muscles had to be—of ratios of weight and muscle area—and why land animals can’t become size of whales—and why grasshoppers can jump just about as high as a horse can jump. All this, by thinking about the size of a dinosaur’s head!'

सच, हमारे बच्चे ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं। उनको अच्छे संस्कार मिलना, उनका ठीक दिशा में रहना ही हमारी सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण उपलब्धि है। वे अच्छे व्यक्ति बने, इसका दायित्व हम पर है। पुरानी कहावत है,
'पूत सपूत तो क्या धन संचय, पूत कपूत तो क्या धन संचय।'
हम अक्सर अपने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने बच्चों के साथ समय बिताना, उन्हे अच्छी बातें बताना, जो कि सबसे महत्वपूर्ण है, उसे भूल जाते हैं।

इस गाने को यहां देखें

3 comments:

  1. "बेटा कोई अच्छा काम करे, इसके लिये पापा को बहुत कुछ करना पड़ेगा।"

    हमेशा की तरह आपका उन्मुक्त और प्रभावशाली लेखन!

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  2. जिन उंलियों को थाम कर मैं पग बढ़ाया
    उन उंगलियों की धार मेरे हाथ में अब छप गयी हैं
    भाग्य की रेखायें बन कर

    मेरे हर एक सूट में
    परफ़्यूम में हर कोट में
    हर मीत में
    हर जीत में
    हर बात में
    हर रात में
    आज भी पापा तुम्हें मैं साथ पाता हूं
    हर जीत में मुस्कान तेरी याद आती है
    हर हार में कंधे पे तेरा हाथ पाता हूं।

    अनुराग श्रीवास्तव 23-अक्टूबर-2006

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  3. उनमुक्त भाई साहब
    इतने अच्छे विषय पर पोस्ट लिखी, पर ज्यादा अच्छा होता जब आप इसे हिन्दी में अनुदित कर देते, भई हमें तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि फ़ाईनमेन के पिताजी ने उन्हें क्या कहा। :(

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