ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके की श्रृंखला की इस कड़ी में तारों और ग्रहों की चर्चा है।
ब्रह्माण्ड में बनते तारे |
पहली पोस्ट: भूमिका
यह पोस्ट: तारे और ग्रह
अगली पोस्ट: प्राचीन भारत में खगोल शास्त्र
रात में आकाश में कई पिण्ड चमकते रहते हैं, इनमें से अधिकतर पिण्ड हमेशा पूरब की दिशा से उठते हैं और एक निश्चित गति प्राप्त करते हैं और पश्चिम की दिशा में अस्त होते हैं। इन पिण्डों का आपस में एक दूसरे के सापेक्ष भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। इन पिण्डों को तारा (Star) कहा गया।
लेकि कुछ ऐसे भी पिण्ड हैं जो बाकी पिण्ड सापेक्ष में वे कभी आगे जाते थे कभी पीछे यानी कि वे घुमक्कड़ थे। Planet एक लैटिन का शब्द है जिसका अर्थ इधर-उधर घूमने वाला है। इसलिये इन पिण्डों का नाम Planet और हिन्दी में ग्रह रख दिया गया।
हमारे लिये आकाश में सबसे चमकीला पिण्ड सूरज है, फिर चन्द्रमा और उसके बाद रात के तारे या ग्रह। तारे स्वयं में एक सूरज हैं। ज्यादातर, हमारे सूरज से बड़े ओर चमकीले, पर इतनी दूर हैं कि उन्की रोशनी हमारे पास आते आते बहुत क्षीण हो जाती है इसलिये दिन में नहीं दिखायी पड़ते पर रात में दिखायी पड़ते हैं।
सबसे प्रसिद्ध तारा, ध्रुव तारा (Polaris या North star) है। यह इस समय पृथ्वी की धुरी पर है इसलिये अपनी जगह पर स्थिर दिखायी पड़ता है। ऐसा पहले नहीं था या आगे नहीं होगा। ऐसा क्यों है, इसके बारे में आगे चर्चा होगी।
तारों में सबसे चमकीला तारा व्याध (Sirius) है। इसे Dog star भी कहा जाता है क्योंकि यह Canis major (बृहल्लुब्धक) नाम के तारा समूह का हिस्सा है।
नरतुरंग (Centaurus) एक तारा समूह है। मित्रक (Alpha Centauri) इसका एक तारा है। यदि सूरज को छोड़ दें तो तारों में यह हमसे सबसे पास है। इसकी दूरी लगभग ४.३ प्रकाश वर्ष (टिप्पणी-१ देखें) है। वास्तव में यह एक तारा नहीं है पर तीन तारों का समूह है जो एक दूसरे के तरफ चक्कर लगा रहें हैं, इसमें Proxima Centauri हमारे सबसे पास आता है।
ग्रह और चन्द्रमा, सूरज नहीं हैं। यह अपनी रोशनी में नहीं चमकते पर सूरज की रोशनी को परिवर्तित करके चमकते हैं।, तारे टिमटिमाते हैं पर ग्रह नहीं। तारों की रोशनी का टिमटिमाना, हवा में रोशनी के अपवर्तन (refraction) के कारण होता है। यह तारों की रोशनी पर ही होता है क्योंकि तारे बहुत दूर हैं और इनके द्वारा आती रोशनी की किरणें हम तक पहुंचते पहुंचते समान्तर हो जाती हैं पर ग्रहों कि नहीं।
टिप्पणी-१: प्रकाश की किरणें १ सेकेन्ड मे ३x(१०)^८ मीटर की दूरी तय करती हैं। एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो कि प्रकाश की किरणें एक साल में तय करती हैं।
अगली बार हम लोग प्राचीन भारत में खगोल शास्त्र के बारे में बात करेंगे।
अन्य चिट्ठों पर क्या नया है इसे आप दाहिने तरफ साईड बार में, या नीचे देख सकते हैं।
इस चिट्ठी का चित्र विकिपीडिया से।
अन्य चिट्ठों पर क्या नया है इसे आप दाहिने तरफ साईड बार में, या नीचे देख सकते हैं।
इस चिट्ठी का चित्र विकिपीडिया से।
सांकेतिक शब्द
सरल भाषा में अच्छी जानकारी देना का प्रयास सराहनीय हैं.
ReplyDelete