Wednesday, June 20, 2007

अपने देश में Patrimony - घरेलू हिंसा अधिनियमः आज की दुर्गा

(इस बार चर्चा का विषय है कि, अपने देश में कब Patrimony मिल सकती है तथा घरेलू हिंसा अधिनियम क्या है। इसे आप सुन भी सकते हैं। सुनने के चिन्ह ► तथा बन्द करने के लिये चिन्ह ।। पर चटका लगायें।)
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हमारे देश में दो एक ही लिंग के व्यक्ति साथ नहीं रह सकते हैं और न उन्हें कोई कानूनन मान्यता या भरण-पोषण भत्ता दिया जा सकता है।

यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या किसी महिला को, उस पुरुष से भरण-पोषण भत्ता मिल सकता है जिसके साथ वह पत्नी की तरह रह रही हो जब कि,
  • उन्होने शादी न की हो; या
  • वे शादी नहीं कर सकते हों।
पत्नी का अर्थ केवल कानूनी पत्नी ही होता है। इसलिए न्यायालयों ने इस तरह की महिलाओं को भरण-पोषण भत्ता दिलवाने से मना कर दिया। अब यह सब बदल गया है।

संसद ने, सीडॉ के प्रति हमारी बाध्यता को मद्देनजर रखते हुए, घरेलू हिंसा अधिनियम (Protection of Women from Domestic Violence Act) २००५ पारित किया है। यह १७-१०-२००६ से लागू किया गया। यह अधिनियम आमूल-चूल परिवर्तन करता है। बहुत से लोग इस अधिनियम को अच्छा नहीं ठहराते है, उनका कथन है कि यह अधिनियम परिवार में और कलह पैदा करेगा।

समान्यतया, कानून अपने आप में खराब नहीं होता है पर खराबी, उसके पालन करने वालों के, गलत प्रयोग से होती है। यही बात इस अधिनियम के साथ भी है। यदि इसका प्रयोग ठीक प्रकार से किया जाय तो मैं नहीं समझता कि यह कोई कलह का कारण हो सकता है।

इसका सबसे पहला महत्वपूर्ण कदम यह है कि यह हर धर्म के लोगों में एक तरह से लागू होता है, यानि कि यह समान सिविल संहिता स्थापित करने में बड़ा कदम है।

इस अधिनियम में घरेलू हिंसा को परिभाषित किया गया है। यह परिभाषा बहुत व्यापक है। इसमें हर तरह की हिंसा आती हैः मानसिक, या शारीरिक, या दहेज सम्बन्धित प्रताड़ना, या कामुकता सम्बन्धी आरोप।

यदि कोई महिला जो कि घरेलू सम्बन्ध में किसी पुरूष के साथ रह रही हो और घरेलू हिंसा से प्रताड़ित की जा रही है तो वह इस अधिनियम के अन्दर उपचार पा सकती है पर घरेलू संबन्ध का क्या अर्थ है।

इस अधिनियम में घरेलू सम्बन्ध को भी परिभाषित किया गया है। इसके मुताबिक कोई महिला किसी पुरूष के साथ घरेलू सम्बन्ध में तब रह रही होती जब वे एक ही घर में साथ रह रहे हों या रह चुके हों और उनके बीच का रिश्ता:
  • खून का हो; या
  • शादी का हो; या
  • गोद लेने के कारण हो; या
  • वह पति-पत्नी की तरह हो; या
  • संयुक्त परिवार की तरह का हो।

इस अधिनियम में जिस तरह से घरेलू सम्बन्धों को परिभाषित किया गया है, उसके कारण यह उन महिलाओं को भी सुरक्षा प्रदान करता है जो,
  • किसी पुरूष के साथ बिना शादी किये पत्नी की तरह रह रही हैं अथवा थीं; या
  • ऐसे पुरुष के साथ पत्नी के तरह रह रही हैं अथवा थीं जिसके साथ उनकी शादी नहीं हो सकती है।

इस अधिनियम के अंतर्गत महिलायें, मजिस्ट्रेट के समक्ष, मकान में रहने के लिए, अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए, गुजारे के लिए आवेदन पत्र दे सकती हैं और यदि इस अधिनियम के अंतर्गत यदि किसी भी न्यायालय में कोई भी पारिवारिक विवाद चल रहा है तो वह न्यायालय भी इस बारे में आज्ञा दे सकता है।

अगली बार चर्चा करेंगे वैवाहिक संबन्धी अपराध के बारे में और तभी चर्चा करेंगे भारतीय दण्ड सहिंता की उन धाराओं की जो शायद १९वीं सदी के भी पहले की हैं। जो अब भी याद दिलाती हैं कि पत्नी, पति की सम्पत्ति है।

आज की दुर्गा
महिला दिवस|| लैंगिक न्याय - Gender Justice|| संविधान, कानूनी प्राविधान और अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज।। 'व्यक्ति' शब्द पर ६० साल का विवाद – भूमिका।। इंगलैंड में व्यक्ति शब्द पर इंगलैंड में कुछ निर्णय।। अमेरिका तथा अन्य देशों के निर्णय – विवाद का अन्त।। व्यक्ति शब्द पर भारतीय निर्णय और क्रॉर्नीलिआ सोरबजी।। स्वीय विधि (Personal Law)।। महिलाओं को भरण-पोषण भत्ता।। Alimony और Patrimony।। अपने देश में Patrimony - घरेलू हिंसा अधिनियम

3 comments:

  1. बहुत ही अच्छा जानकारी दे रहे है उंमुक्त भाई आप, निरंतरता बनाये रखे हम वकील होकर भी एसी जानकारी लोगो को नही दे पा रहे है । आपने सराहनीय कार्य किया है । सधुवाद

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  2. अच्छा जानकारी है.काफ़ी विवरण दिया है आपने.

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  3. Achhi jaankari ke liye dhanyavaad. Aap bahut acha likhte hain. Maaf kijiye, samay ki pabandi ke kaaran English lipi ka upyog kar rahi huN.

    Mere blog par aane ka shukriya. Aapke prashno ka uttar maine waha diya hai. Aasha hai aage bhi aate rahenge hausla afzayi ke liye. :)

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