साउथ अफ्रीका की यात्रा विवरण की इस कड़ी में, प्रिटोरिआ में देखे गये बॉसवेल सर्कस की चर्चा है।
प्रिटोरिया में हमारे होटल के बगल में एक बहुत बड़ा सा मैदान था। लौटते समय हमनें देखा कि वहां पर एक सर्कस लगा हुआ था। इसका नाम ब्राइन बॉस्वल सर्कस (Brian Boswell's Circus) था। हम इसे देखने पहुँचे। इस सर्कस की सबसे सस्ती सीट ५० रैंड और सबसे मंहगी सीट १०० रैंड की थी। हम लोगों ने ५० रैंड का टिकट लेना उचित समझा। इसके रोज दो शो होते थे: एक साढ़े तीन बजे और एक साढ़े सात बजे। केवल शनिवार को तीन शो थे। यह अपने देश की तरह का सर्कस लगता था। यह एक टेंट में था जो कि अपने देश की तरह ही था। हालांकि इस टेंट का घेरा बहुत छोटा, अपने देश के टेंट का, एक तिहाई था।
अपने देश में रात के समय सर्च-लाइट की बीम आकाश में फेंक कर सर्कस की सूचना दी जाती है। यहां इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी पर विज्ञापन के लिये इनके पास गाड़ियां थीं जिस पर शहर में सूचना देने की व्यवस्था थी। इनकी वेबसाइट पर भी इनके प्रदर्शन की विस्तार से सूचना है।
शो में बहुत ज्यादा लोग नही थें ६०-७० लोग रहें होगें। सर्कस शेर और टाइगर के करतब से प्रोग्राम शुरू हुआ। यह उसी तरह का एक शो था जैसे अपने देश के सर्कसों में होता है। उसके बाद कई और करतब थे जिसमें कई जानवरों के थे।
एक करतब में एक चाइनीज़ लड़की आयी। वह एक पहिये की साईकिल चला रही थी। यह भी अपने देश के प्रोग्राम की तरह था पर कुछ देर बाद उस लड़की ने साइकिल सहित रस्सी कूदना शुरू किया। उसने अपने दोनों टांग से साइकिल को पकड़ लिया था और जब वह ऊपर उछलती थी तो साइकिल भी ऊपर उछलती थी और रस्सी नीचें से निकलती थी। वहाँ एक मेज रखी थी। वह उसी तरह से कूदकर चढ़ती हुई मेज के ऊपर पहुँच गई। अपने देश में मैंने इस तरह का करतब नहीं देखा है। इसमें कुछ करतब और भी देखे जिसे मैंने अपने देश में नही देखा है।
इस सर्कस की खास बात यह लगी कि इसमे बहुत कम लोग थे। वही लोग टिकट चेक कर रहे थे, वही लोग जोकर बने हुए थे, और वही लोग सामान, जिस पर करतब दिखाते थे, उसको हटाते थे। मुझे आश्चर्य लगा कि इतने कम लोग इस सर्कस को चला रहे थे।
एक व्यक्ति कुछ संगीत बजा रहा था और शायद ३-४ लोग उसका सहयोग कर रहे थे जो करतब नहीं कर रहे थे। बाकी सब लोग जो लोग करतब करते थे वही लोग सर्कस में अन्य काम भी करते थे। इसमें कुछ चाइनीज़ युवतियां भी थीं। वे जब करतब नहीं करती थी तो कपड़े बदलकर हम लोगों को पंखे या खाने की चीजें बेचने के लिए इधर उधर घूम रही थीं।
इस सर्कस का १९४८ का पोस्टर
इस सर्कस में एक इन्टरवल भी हुआ। उन्होंने इन्टरवल में सर्कस के सारे पोनीज़ आ गये। यह बहुत छोटे घोड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि इन पर सवारी कर सकते हैं। उस सर्कस मे जितने बच्चें थे वे सब उन पर सवारी करने के लिए पहुंच गये। पोनीज़ ने सर्कस के अन्दर के गोल घेरे का चक्कर लगाया जिसके लिए पांच रैंड देना पड़ा।
हमारे देश में यदि शुरूवात ट्रेपीज़ के करतब से होती है तो अन्त शेर के करतब से। यहां प्रोग्राम, शेरों के करतब से शुरू हुआ लेकिन ट्रेपीज के करतब द्वारा इसका अंत नहीं हुआ। बल्कि अंत में दो जोकर आ गयें यह वही लोग थे जो बीच में करतब दिखा रहे थे। उन्होंने देखने वालों से तीन महिलायें और एक पुरूष को लिया और चार कोने मे खड़ा कर दिया और एक बॉक्सिंग रिंग बनायी और बॉक्सिंग की ऎक्टिंग करते रहे। इसी के साथ यह पूरा प्रोग्राम समाप्त हो गया।
सारा प्रोग्राम लगभग एक घंटा ४० मिनट चला। सर्कस देखकर मजा आ गया और लगा कि ५० रैंड वसूल हो गये।
अगली बार हम जोहेन्सबर्ग घूमने चलेंगे।
इस चिट्ठी का पहला वा अन्तिम चित्र मेरा खींचा हुआ है। बाकी सारे चित्र मैंने इनकी वेबसाइट की इस पन्ने से लिये हैं जहां पर बहुत सारे अन्य चित्र भी हैं।
अफ्रीकन सफारी: साउथ अफ्रीका की यात्रा
झाड़ क्या होता है? - अफ्रीकन सफारी पर।। साउथ अफ्रीकन एयर लाइन्स और उसकी परिचायिकायें।। मान लीजिये, बाहर निलते समह, मैं आपका कैश कार्ड छीन लूं।। साउथ अफ्रीका में अपराध - जनसंख्या अधिक और नौकरियां कम।। यह मेरी तरफ से आपको भेंट है।। क्रुगर पार्क की सफाई देख कर, अपने देश की व्हवस्था पर शर्म आती है।। हम दोनो व्यापार कर बहुत पैसा कमा सकते हैं।। फैंटम टार्ज़न ... यह कौन हैं?।। हिन्दुस्तानी, बिल्लियों से क्यों डरते हैं।। आपको तो शर्म नहीं आनी चाहिये।।। लगता है, आप मुझे जेल भिजवाना चाहती हैं।। ऐसा करोगे तो, मैं बात करना छोड़ दूंगी।। भगवान की दुनिया - तभी दिखायी देगी जब उसकी खिड़की साफ हो।। सर, पिछली रात, आपने जूस का पैसा नहीं दिया।। मैंने, आज तक, यहां हवा में कूदती हुई मछलियां नहीं देखी हैं।। आश्चर्य - सर्कस को चलाने वाले, इतने कम लोग।।हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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सांकेतिक शब्द
Boswell circus, circus, circus, perfoming arts, entertainment and sports, circuses and rodeos,साउथ अफ्रीका, Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सिक्किम, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण,
Wah.. bachpan me main kabhi dekha tha.. :)
ReplyDeleteअच्छा लगा आप के साथ सरकस देख कर!
ReplyDeleteहमारे देश में यदि शुरूवात ट्रेपीज़ के करतब से होती है तो अन्त शेर के करतब से।
ReplyDeleteनहीं उन्मुक्त जी यह इस पर डिपेंड करता है की आप कौन सा शो देखते हैं -पहला शो जहां खत्म होता है अगला वहीं से शुरू होता है ! यह मैंने जब पहली बार जाना था तो लगा कि एक बड़े ज्ञान का खजाना हाथ लग गया !
हमें तो अपने यहां वाला सर्कस ज्यादा विविधता वाला लगता है इसके मुकाबले। और ज्यादा समय तक चलता भी है।
ReplyDeleteखैर बहुत समय से सर्कस नहीं देखा!
बहुत ही अच्छा ,रिपोर्ट और चित्र दोनों ही सजीव .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विवरण. मजा आ गया. अरविन्द जी की बात से हम भी सहमत हैं..
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली. दर्शकों की कम संख्या एक आम समस्या हो चुकी है सर्कस संचालकों के लिए. बिना सरकारी समर्थन के इस तरह के उद्यम कितने दिन टिक पाएँगे?
ReplyDeleteमेरी समझ से किसी भी काम को करने के लिए भीड की नहीं कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है।
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SBAI TSALIIM