Sunday, May 14, 2017

मैं शेर को उसके पंजे से पहचानता हूं

यह चिट्ठी विलियम डनहैम (William Dunham) के द्वारा लिखी पुस्तक 'जर्नी थ्रू जिनियस - द ग्रेट थ्योरमस् ऑफ मैथमैटिक्स' (Journey Through Genius: The Great Theorems of Mathematics) की समीक्षा है।

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आप कोई भी क्षेत्र ले लें, चाहे वह कला हो, या संस्कृति, या खेल, या गायन, या फिर विज्ञान - सब के अपने मील के पत्थर हैं। वे क्षण, वे काम, जिनसे उस क्षेत्र में बदलाव आया।  इसी तरह से गणित के क्षेत्र के मील के पत्थर हैं, इसके प्रमेय। विलियम डनहैम की पुस्तक 'जर्नी थ्रू जिनियस - द ग्रेट थ्योरमस् ऑफ मैथमैटिक्स' गणित के महत्वपूर्ण प्रमेयों को उनके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में बताती है।

प्रमेयों के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ, वह उन गणितज्ञों की संक्षिप्त जीवनी और उनसे जुड़े रोचक प्रसंगो की भी चर्चा करती है। यह इस पुस्तक को रोचक बना देते हैं। काश मैंने यह पुस्तक तब पढ़ी होती जब मैं स्कूल में था। लेकिन बेहतर होता कि इसे मेरे गुरुवों ने पढ़ा होता और वह प्रमेय पढ़ाते समय, उसका एतहासिक महत्व और रोचक किस्से भी बताताे। यदि ऐसा होता तो हम सब शायद आज गणितज्ञ होते :-)

यदि आपको गणित में रुचि है तो इसे पढ़ कर देखें पसन्द आयगी। यदि आपका मुन्ना या मुन्नी हाई स्कूल या उसके ऊपर की कक्षा में गणित पढ़ रहा हो तब उसे पढने के लिये दें।

'उन्मुक्त जी यह सब तो ठीक है लेकिन इसका इस चिट्ठी के शीर्षक से क्या संबन्ध है?'
रुकिये भी,  इतनी क्या जल्दी है। इसी पुस्तक से एक प्रसंग।

 कैलक्युलस का अविष्कार सत्तरहवीं शताब्दि में हुआ था। न्यूटन ने पहले किया था लेकिन प्रकाशित नहीं किया। लिबनज़ ने न केवल इसे पहले प्रकाशित किया पर आगे भी बढ़ाया। कैलक्युलस के अविष्कार का श्रेय किसे दिया जाय, इस बारे में पहले दोनो के समर्थकों के बीच, फिर आपस में बहस चली वह दुखद है। लेकिन  आज इन दोनो को इसका जनक माना जाता है।

सत्तरहवीं शताब्दि में दो भाई जेकब बरन्यूली (Jacob Bernoulli) योहान बरन्यूली (Johann Bernoulli) नाम के दो  गणितज्ञ भाई हुऐ हैं। इनमें आपस में भी स्पर्धा रहती था। उस समय गणितज्ञ अक्सर सवाल पूछ कर दूसरों के सामने चुनौती रखते थे। योहान ने जून १६९६ में गणितज्ञों के सामने निम्न चुनौती रखी।

'क' और 'ख' अलग अलग उंचाई पर दो बिन्दु हैं। लेकिन, वे ठीक एक दूसरे के ऊपर नहीं हैं।इन दोनो बिन्दुओं को अनन्त वक्रों (curves) के द्वारा जोड़ा जा सकता है। अब यदि हम कल्पना करें कि एक गेंद बिन्दु 'क' से 'ख' तक जाती है तो उसमें कितना समय लगेगा यह इस वक्र के आकार पर निर्भर करेगा। उसने गणितज्ञों के सामने चुनौती रखी कि वह पता करें कि ऐसा कौन सा वक्र होगा। 
योहान ने इस वक्र का नाम ब्रैचिस्टोक्रौन (Brachistochrone) रखा। यह लैटिन के दो शब्दों से बना है जिसका अर्थ "सबसे कम' और 'समय'। योहान ने गणितज्ञों को १ जनवरी १८९७ (छः महीने) का समय इसका हल निकालने के लिये दिया। इसके साथ उसने कुछ संकेत भी दिया। पहला कि 'क' और 'ख' को जोड़ने वाली सीधी पंक्ति सबसे छोटी तो है लेकिन सबसे कम समय नहीं लेती। दूसरा यह कि सबसे कम समय लेने वाला वक्र ज्यामिति के अध्यन करने वालों को अच्छी तरह से पता है।

समय समाप्त होने पर उसे लिबनिज़ के द्वारा एक हल तो मिला पर उसमें उससे ईस्टर तक का और समय देने को कहा गया। योहान ने यह समय दिया और इसके साथ इस चुनौती कि प्रतिलिपि न्यूटन के पास भी भेज दी।

न्यूटन उस समय विज्ञान छोड़, इंगलैण्ड की टकसाल को देख रहे थे और अपनी भतीजी के साथ रहते थे। उनकी भतीजी लिखती हैं कि जब न्यूटन को पत्र मिला तब वे वे टंकशाला जा रहे थे। वे शाम को लौट कर आये तब चुनौती को देखा। उन्होंने कहा

'मुझे, विदेशियों के द्वारा,  गणित की प्रश्नों पर परेशान करना अच्छा नहीं लगता।'
लेकिन फिर भी वह उसका हल निकालने में जुट गये। वे रात को नहीं सोये और जब सुबह चार बजे उउसका हल निकाल लिया तब योहान को पत्र लिख कर सोने गये।

समय समापप्त होने पर योहान के पास पांच हल थे - पहला उसका ही था, दूसरा उसके बड़े भाई जेकब का, तीसरा लिबनिज़ का, चौथा मार्क्विस डि लॉपिटल (Marquis de l'Hospital)का, और पांचवें पत्र में ब्रिटानी डाक थी पर किसी के दस्तखत नहीं थे। वह अज्ञात में था। कहते हैं कि योहान श्रद्धा से संयत हऐ और कहा।

'I recognise the Lion by his paw'
मैं शेर को उसके पंजे से पहचानता हूं।

About this post in English and Hindi-Roman
This post is review of the book 'Journey Through Genius: The Great Theorems of Mathematics' written by William Dunham. You can translate it in any other language – see the right hand widget for converting it in the other script.

Hindi (Devnagri) kee is chhitthi mein William Dunham kee likhee pustak 'Journey Through Genius: The Great Theorems of Mathematics' kee smeeksh hai. ise aap kisee aur bhasha mein anuvaad kar sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

सांकेतिक शब्द  
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5 comments:

  1. आपका कहना -
    काश मैंने यह पुस्तक तब पढ़ी होती जब मैं स्कूल में था। लेकिन बेहतर होता कि इसे मेरे गुरुवों ने पढ़ा होता और वह प्रमेय पढ़ाते समय, उसका एतहासिक महत्व और रोचक किस्से भी बताताे। यदि ऐसा होता तो हम सब शायद आज गणितज्ञ होते :-)

    एकदम सही है.
    आज तक मुझे यह समझ नहीं आया कि कलन में लिमिट का क्या अर्थ है. ये मेरे गुरुओं को ही नहीं पता था तो मुझे क्या समझाते. मैंने भी समझना छोड़ दिया था तब. :(

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  2. >>लेकिन बेहतर होता कि इसे मेरे गुरुवों ने पढ़ा होता और वह प्रमेय पढ़ाते समय, उसका एतहासिक महत्व और रोचक किस्से भी बताताे।

    Agreed . It would have added extra interest during mathmatics classes . But may be due to unavailability of internet data was not widespread that time , so that teachers can explore more and distribute more among students .

    Nice post.

    Thanks

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  3. सर, मेरे बच्चे ७वे और ९वें क्लास में पढ़ रहे हैं, उनके लिए गणित और विज्ञान की पुस्तकें सजेस्ट करने की कृपा करें जो सरल भाषा में हों और पढने में रूचि बढायें.

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    1. मेरे विचार से उचित होगा कि आप उन्हें महीने में कम से कम दो या तीन बार किसी अच्छी पुस्तकों की दुकान ले जायें और उन्हें अपने मन की पुस्तकें पढ़ने के लिये खरीदें। इससे उनके मन में पुसतकें पढ़ने का शौक जागेगा। फिर जिस विषय में शौक हो उस पर कुछ पुस्तकों की चर्चा की जा सकती है।

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  4. गणित ही नहीं , विज्ञान के सभी अनुशासनों में ऐतिहासिक संदर्भ उन्हें अधिक रोचक बनाते हैं।क्वाण्टम भौतिकी को पढ़ते हुए यदि second creation जैसी किताब भी साथ हो तो समझ के आयाम बढ़ जाते हैं।

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