Friday, September 03, 2010

क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले सकते हैं

इस चिट्ठी में, रॉजर पेनरोज़ के द्वारा लिखी 'द एमपररस् न्यू माइण्ड: कंसर्निग कंप्यूटरस्‌, माइण्डस् एण्ड द लॉज़ ऑफ फिज़िक्स' पुस्तक की समीक्षा है। 
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रॉजर पेनरोज़ अंग्रेज गणित-भौतिक शास्त्री हैं। आपने 'द एमपररस् न्यू माइण्ड: कंसर्निग कंप्यूटरस्‌, माइण्डस् एण्ड द लॉज़ ऑफ फिज़िक्स' नामक बेहतरीन पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में मुख्य तौर पर यह बताने की कोशिश की गयी है कि कंप्यूटर कभी भी व्यक्तियों की जगह नहीं ले सकता हैं।

गणीतीय तर्क शास्त्र अलगोरिथम  पर आधारित है। यह गर्डल के अपूर्णनता सिद्धान्त से बंधा है। पेनरोज़ का मानना है कि मानव चेतना  ग़ैर-अलगोरिथमी (non-algorithmic) है।  यही कारण है कि इसे कभी भी गणीतीय तर्क शास्त्र पर आधारित डिज़िटल कंप्यूटर से नहीं बदला जा सकता है।

पेनरोज़, इस पुस्तक में पुस्तक में, न्यूटन के भौतिक शास्त्र, आइंस्टाइन के सापेक्षता सिद्धान्त  (special and general relativity), क्वांटम भौतिक शास्त्र (quantum physics), ब्रह्माण्ड विज्ञान (cosmology), समय की प्रकृति (nature of time) और गणित का दर्शन एवं उसकी सीमा (the philosophy and limitations of mathematics), की चर्चा करते हुऐ अपनी बात रखते हैं।

यह पुस्तक भौतक शास्त्र का एक विहंगम दृश्य (bird's eye view) दिखाता है और इस विषय के बारे में रोचक तरीके से सूचना देता है।

यह  बेहतरीन पुस्तक है और उत्कृष्ट पुस्तकों में से एक हैं।   इस पुस्तकों को समझने के लिए कम से कम  इण्टरमीडिएट या स्नातक स्तर के भौतिक शास्त्र का ज्ञान जरूरी  है और तभी यह पढ़ने पर अच्छी तरह से समझ में आ सकेगी।  यदि आप विज्ञान के छात्र है या विज्ञान में आगे कुछ कार्य करना चाहते है। या आपके बेटे, बेटियां इन क्षेत्रों में काम करना चाहती है तब उन्हें यह पुस्तक पढ़ने के लिए अवश्य दें।

ऐलेन मैथिसॉन ट्यूरिंग (२३.६.१९१२ से ७.६.१९५४) अंग्रेज गणितज्ञ, तर्क शास्त्री, गूढ़लेखिकी विशेषज्ञ (cryptanalyst) एवं कंप्यूटर विज्ञानिक थे। कंप्युटर विज्ञान  और अलगोरिथम (algorithm) को रूप देने और आधुनिक कंप्यूटर के निर्माण में अग्रणी थे।
बीबीसी की डेंजरस् नॉलेज (Dangerous Knowledge) श्रृंखला का जिक्र मैंने अपनी चिट्ठी 'नाई महिला है' में किया था। यह श्रृंखला चार विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति, जिसमें तीन गणितज्ञ- जॉर्ज कैंटर, कोर्ट गर्डल, और ऐलन ट्यूरिंग  - और एक भौतिक शास्त्री लुडविंग बॉल्टज़मैन पर थी। उस चिट्ठी में, श्रृंखला का वह भाग भी दिखाया था जिसमें गर्डल के शुरू के जीवन के बारे में है। उसके बाद एवं ट्यूरिंग के जीवन के बारे में यहां देखिये। इसमें ट्यूरिंग गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त को कंप्यूटर के क्षेत्र में लागू करते समय भी यह कहते हैं कि कुछ सवाल ऐसे भी हैं जिन्हें कंप्यूटर के द्वारा हल नहीं निकाला जा सकता है।

'उन्मुक्त जी, हमें तो घबराहट हो रही है। लगता है कि जिन पुस्तकों की आपने चर्चा की है वे सारी कठिन हैं। क्या गणित और अपूर्णता के सिद्धान्त के बारे में कोई आसान पुस्तक है?'
है तो।

इन्दू जी गणित की अध्यापिका हैं। उनके चिट्ठे का नाम उनकी पुत्री के नाम 'पार्थवी' पर है। उस चिट्ठे पर वे गणित और उसकी पहेलियां पर चर्चा करती हैंमुझे आपका चिट्ठा अच्छा लगता है। 

कुछ समय पहले उन्होंने 'गणित की वो समस्याये : जिन्हें कोई हल ना कर सका --१' लिखते समय गोल्डबाख अनुमान की चर्चा की थी। उस समय मुझसे इसके बारे में लिखने के लिये कहा था। ऊपर जिस आसान पुस्तक का मैंने जिक्र किया है वह गोल्डबाख अनुमान और गर्डल के सिद्धान्त से सम्बंधित है। 

इन्दू जी की अनुरोध पर, उसकी चर्चा इस श्रंखला की अगली कड़ी में।
तू डाल डाल, मैं पात पात
भूमिका।। नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है।। नाई, महिला है।। मिस्टर व्हाई - यह कौन हैं।। गणित, चित्रकारी, संगीत - क्या कोई संबन्ध है।। क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले सकते हैं।।
 

About this post in Hindi-Roman and English  is chitthi mein roger penrose kee likhi pustak  'The Emperor's New Mind: Concerning Computers, Minds and The Laws of Physics' kee sameeksha hai. yeh chitthi {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.
This post is book review of The Emperor's New Mind: Concerning Computers, Minds and The Laws of Physics' by Roger Penrose. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. 
सांकेतिक शब्द
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7 comments:

  1. रोजर पेनरोज के अवदानों से आधुनिक भौतिकी समृद्ध हुयी है -उनकी आलोच्य पुस्तक की समीक्षा प्रतीक्षित थी ..
    इंदु जी और पार्थवी से परिचय दर्शन बवेजा जी ने कार्या था -यह दम्पति एक अतुलनीय योगदान चिट्ठाजगत को कर रहा है ...
    मैंने दर्शन जी से पूछा की पार्थवी का अर्थ क्या है तो वे पहले तो अचकचाए फिर प्रत्युत्पन्न मति से कहा पार्थ अर्जुन हैं और इस तरह पार्थवी -मैं संतुष्ट नहीं हुआ ..प्रश्न आज भी अनुत्तरित है .....
    पार्थवी, इस समाज -उपकार की चेतना से संपृक्त दंपत्ति की भग्यवान पुत्री है ....
    मुझे गणित से दहशत होती है क्योंकि मेरी रूचि ही नहीं जगी ...और यह मेरे इस जन्म की बड़ी रिक्तता है ...
    और जले पर नमक यह कि
    पुनरा गमनं कुतः

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  2. अरविन्द जी, मुझे यह बात नहीं मालुम थी।

    सच तो यह है कि मुझे न केवल इन्दू जी एवं दर्शन जी का चिट्ठा Science Activities In Hindi विज्ञान गतिविधियां हिंदी में, पर इस वेबसाइट के सभी चिट्ठे अच्छे लगते हैं।

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  3. बहुत अच्छी जानकारी है बच्चों के काम आयेगी मगर बहुत दिनो से इसी विषय पर मेरे मन मे एक कहानी चल रही है कि क्या कम्प्यूटर और रोबोट के सहारे ही जीया जा सकता है? समय मिलते ही लिखती हूँ। गणित साईस तो दसवीं के बाद पढे नही मगर ज़िन्दगी का गणित खूब पढा है। उसे ही लिखती हूंम। शुभकामनायें

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  4. Very good, Unmukt jee. I guess U already know about Turing Test & Chinese Room Test. In am also certain that no machine will ever be able to match human intelligence though they will be able to imitate human intelligence in some special ways.

    I have a gut feeling that Goldbach's conjecture can never be proven correct or incorrect. There are infinite number of integers and even modern computers are not smart enough to check them for its validity.

    It is quite interesting to know that these mathematical genius have written so many good books that an ordinary student can enjoy. I have never had any problem reading their books until they fall into theoretical jargon and everything begins to sound a total nonsense! For example, I tried to comprehend superstring theory but everytime I read about it I become absolutely baffled by a 26-dimension-universe!

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  5. गणितीय मार्ग लोगों को कठिन दिखते हैं पर हैं नहीं, बस एकाग्रता चाहिये।

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  6. .
    Very informative post. It has enriched my knowledge. Thanks and Regards,

    ZEAL
    .

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