फाइनमेन ने स्नातक की शिक्षा मैसाचुसेट इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलोजी से पूरी की| वह वहीं पर शोध कार्य करना चाहते थे पर फिर प्रिंक्सटन मे शोध कार्य करने के लिये चले गये। बाद में वे कहा करते थे,
'यह ठीक ही था| मैने वहां जाना कि दुनिया बहुत बड़ी है और काम करने के लिये बहुत सी अच्छी जगहें हैं।'
यहां पर युवा फाइनमेन को व्हीलर के साथ शोध करने का मौका मिला। उस समय तक व्हीलर को नोबेल पुरूस्कार तो नहीं मिला था पर वे वह काम कर चुके थे जिस पर उन्हें नोबेल पुरूस्कार मिलना चाहिये था। वे कुछ आडम्बर प्रिय थे कुछ अपनी अहमियत भी जताते थे। उन्होंने फाइनमेन को सप्ताह में एक दिन का कुछ निश्चित समय मिलने का दिया। पहले दिन मुलाकात के समय वह सूट पहने थे उन्होंने अपनी जेब से अपनी सोने की विराम घडी निकाल कर मेज पर रख दी ताकि फाइनमेन को पता चल सके कि कब उसका समय समाप्त हो गया है। फाइनमेन उस समय विद्यार्थी थे। उन्होंने एक बाजार से एक सस्ती विराम घड़ी खरीदी क्योंकि मंहगी घड़ी खरीदने के लिये उनके पास पैसे नहीं थे। अगली मीटिंग पर उन्होंने अपनी सस्ती घड़ी उस सोने की घड़ी के पास रख दी। व्हीलर को भी पता चलना चाहिये कि उनका समय भी महत्वपूर्ण है। व्हीलर को मजाक समझ में आया और दोनो दिल खोल कर हंसे। दोनों ने घड़ियां हटा ली। उनका रिश्ता औपचारिक नहीं रहा, वे मित्र बन गये, उनकी बातें हंसी मजाक में बदल गयीं, और हंसी-मजाक नये मौलिक विचारों में।
इसी बीच दूसरा महायुद्ध शुरू हो गया। जर्मनी मे परमाणु बम बनाने का काम हो रहा था, यदि पहले वहां बन जाता तो हिटलर अजेय था। अमेरिका की लौस एलमौस लेबौरेटरी मे दुनिया के वैज्ञानिक इक्कठा होकर परमाणु बम बनाने के लिये एकजुट हो गये। फाइनमेन को भी वहां बुलाया गया और उन्होने वहां काम किया।
लौस एलमौस मे सुरक्षा का जिम्मा सेना का था जिनके अपने नियम अपने कानून थे। यह नियम फाइनमेन को अक्सर समझ मे नहीं आते थे। फाइनमेन ताले खोलने मे माहिर थे। वे सेना के अधिकारियों को तंग करने के लिये की लेबोरेटरी की तिजोरियों खोल कर उसमे कागज पर guess who लिख कर छोड़ देते थे पर तिजोरियों से कुछ निकालते नहीं थे यह वह केवल, सेना के अधिकारियों को बताने के लिये करते थे कि उनकी सुरक्षा प्राणाली कितनी गलत है।
उनके जीवन का एक और दृष्टान्त - बिल्कुल असम्भव सा लगता है, मै तो हमेशा सोचता था कि यह सब कहानियों या पिक्चरों में होता है इस वास्तविक दुनियां में नहीं।
स्कूल के दिनों में फाइनमेन का अपनी सहपाठिनी अरलीन से प्रेम हो गया। उन्होने शादी तब करने की सोची जब फाइनमेन को कोई नौकरी मिल जाय। जब फाइनमेन शोध कार्य कर रहे थे तब अरलीन को टी.बी. हो गयी उसके पास केवल चन्द सालों का समय था। उन दिनों टी.बी. का कोई इलाज नहीं था। अरलीन को टी.बी. हो जाने के कारण, फाइनमेन उसे चूम भी नहीं सकते थे। उन्हे मालुम था कि अरलीन के साथ उसके सम्बन्ध केवल Platonic ही रहेगें। इन सब के बावजूद, फाइनमेन अरलीन से शादी करना चाहते थे पर उनके परिवार वाले और मित्र इस शादी के खिलाफ थे। इस बारे मे उनकी अपने पिता से अनबन भी हो गयी। फिर भी फाइनमेन ने अरलीन के साथ शादी कर ली।
फाइनमेन, जब लौस एलमौस में काम कर रहे थे तो वहां के निदेशक रौबर्ट ओपेन्हाईमर1 ने अरलीन को पास ही के सैनीटेरियम में भरती करवा दिया ताकि फाइनमेन उससे मिल सके| फाइनमेन के लौस एलमौस रहने के दौरान ही अरलीन की मृत्यु हो गयी। इस घटना चक्र पर एक पिक्चर भी बनी है जिसका नाम इंफिनिटी (Infinity) है इसे मैथयू बौरडविक (Malthew Bordevick) ने इसे निर्देशित किया है।
फाइनमेन जीवन्त थे और अक्सर मौज मस्ती के लिये काम करते थे। मौज मस्ती मे ही उन्होने उस विषय पर काम किया जिस पर उन्हे नोबेल पुरुस्कार मिला। वह क्या था, यह जानेगे, अगली बार।
1मै, आगे कभी, रौबर्ट ओपेनहाईमर के बारे मे भी बात करना चाहूंगा।
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