सिक्किम यात्रा की इस कड़ी में युमसंगडॉन्ग ज़ीरो पॉइन्ट की चर्चा है।
लाचुंग से सुबह हम लोग युमसंगडॉन्ग (Yumesondong) और युमथांग घाटी (Yumthang valley) देखने के लिए निकले। युमसंगडॉन्ग ज्यादा दूर है। इसलिए पहले उसे देखने की सोची। सुबह भाग्य हमारे साथ नही था। हल्की-हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी और बादल छाये हुये थे। इसलिए रास्ते में न तो कुछ ठीक से देख पाये और न ही चित्र ले पाये। मुझे कुछ दुख भी लग रहा था कि इतनी दूर आने के बाद लगता था कि सब व्यर्थ ही रहेगा।
युमसंगडॉन्ग में हम लोग जीरो प्वांइट तक गए। इसे जीरो प्वाइंट इसलिये कहा जाता है क्योंकि यहां रोड समाप्त हो जाती है। यह लगभग ४६६३ मीटर १५३०० फीट की ऊँचाई पर है हम लोग जब पहुंचे तो बूंदा बादीं बन्द हो गयी थी पर बादल थे। लेकिन बहुत जल्दी ही भाग्य ने हमारा साथ दिया और धूप निकल आयी। हम लोग वहां करीब एक घण्टा रहे और पूरे समय मौसम सुहावना रहा। मुझे लगा कि शायद भगवान भी हम लोगों का साथ देना चाहते है। यहाँ पर बहुत सी जगह बर्फ जमी हुई थी। बहुत सारे पर्यटक थे और बर्फ में खेल रहे थे।
इस जगह की खूबसूरती कुछ अलग कस्म की है और इसे बयान कर पाना मुश्किल है। इसके लिये मेरी जबान पर अंग्रेजी का शब्द - raw beauty आता है। मैं नहीं जानता कि इसे हिन्दी में क्या कहा जाय। मुझे तो बस यही गाना याद आता था।
'तारीफ करूं क्या उसकी,इस गाने को आप यहां देख वा सुन सकते हैं।
जिसने तुझे बनाया
यह चांद सा रोशन चेहरा
झुल्फ़ों का रंग सुनहरा।
यह झील सी नीली आंखें,
कोई राज है इसमें गहरा।'
यहां एक बात मुझे अच्छी नही लगी कि चारों तरफ बिसलेरी, शराब की बोतलें, रैपर इधर उधर पड़े हुए थे। यदि इन रैपरों की गंदगी नही हटायी गई तो बहुत जल्दी ही यह बेहतरीन जगह एक कूड़ेखाने में बदल जायेगा।
यहाँ पर मेरी मुलाकात बम्बई से आए हुए कुछ व्यापारी परिवार से हुई। यह चार परिवार एक साथ सिक्किम घूमने आये थे । साथ साथ घूमने जाने का आनन्द है तो मुश्किल भी। सबकी रूचि भी मिलना चाहिए अन्यथा तकरार हो सकती है। इनका भी यही कहना था कि पर्यटकों यहां गन्दगी नहीं करनी चाहिए और सरकार को कूड़ेदान और उसे साफ करने का तरीका अपनाना चाहिये।
सिक्किम में सबसे ज्यादा पैसा पर्यटन से आता है। मेरे विचार से सरकार को कुछ कदम अति शीघ्र उठाने चाहिए:
- इन जगहों पर तीन तरह के कूड़ा फेकने की व्यवस्था होनी चाहिए एक में शीशा, दूसरे में प्लास्टिक एवं तीसरे में कागज। इन्हें सप्ताह में दो बार उठाया जाना चाहिए अन्यथा बहुत शीघ्र ही यह जगह घूमने के लायक नही रह जायेगी।
- सार्वजनिक शौचालय भी होने चाहिए जिसको पैसा देकर प्रयोग किया जा सकता है। युमसंगडॉन्ग में न कोई पेड़ है, न ही कोई आड़। पुरूष तो जहां चाहे वहां शंका निवारण कर ले पर महिलाओं को अवश्य परेशानी होती होगी।
यहां पर दो अस्थायी दुकाने थी। दोनों में शराब और चाय मिल रही थीं। एक दुकान को एक जाकिन नामक महिला चला रही थी। उसने कुछ देर तक मुझसे बात की लेकिन बाद में रूठ गयी और बात करने से मना कर दिया क्योंकि मैंने उसके दुकान से चाय नहीं पी। मैने चाय इसलिए नहीं पी क्योंकि उसमे चीनी बहुत मिली हुई थी और मीठी थी और मैं चीनी नहीं के बराबर लेता हूं। वह युमसंगडॉन्ग जैसी जगह चाय की दुकान लगा कर चाय बेच रही थी। वहां शराब भी मिल रही थी। यह साहस का काम है - शायद महिला सशक्तिकरण यही है। मैं बिना चाय पिये उसे पैसे दे कर, न खुद को, न ही उसको शर्मिंदा करना चाहता था। शायद मुझसे गलती हो गयी - मीठी ही सही, मुझे चाय पी लेनी चाहिये थी।
इस श्रंखला की अगली कड़ी में - वापसी का रास्ता, युमथांग घाटी, और गर्म पानी का झरना।
सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं।। नाथुला पास – भारत चीन सीमा।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे।। मंदाकिनी झरना - 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म वाला।। सात राजकुमारियां, जिन्होंने प्रकृति से शादी कर ली।। तारीफ करूं क्या उसकी जिसने तुझे बनाया।।हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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Sikkim Yatra kee is post per Yumesondong zero point kee charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen. This post describes Yumesondong zero point in Sikkim. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. |
सांकेतिक शब्द
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sikkim ki sundar sachitr yatr ka achcha manamohak vivran ke liye dhanyawaad. esa lag raha hai ki mai sikkim pahunch gaya hun .
ReplyDeleteसिक्किम तो जन्नत है ही.. सफाई के मामले में मुझे तो बहुत बेहतर लगा था... खासकर दार्जिलिंग की तुलना में. और हाँ ये चाय वाली घटना हमारे साथ भी हुई... पर दार्जिलिंग के टाइगर हिल पर. मेरे मित्र आज तक दुखी रहते हैं... उन्होंने काफ़ी नहीं पी... और काफ़ी बेचने वाली उन्हें बहुत अच्छी लग गई थी. :-)
ReplyDeleteये तो धांसू घुमवा दिया जी आपने अपने साथ साथ. बहुत बढ़िया विवरण.
ReplyDelete" wow, maira bachpan sikkim ke gantak mey beeta hai, appx for five years we stayed there and i started my education form there only. its wonderful place, aaj aapka ye artical pdh kr vo bachpan ke sunehre din gantak kee vadeeyon mey fir se yaad aa gye....really it is a heaven bhut accha lga aaj' thanks for sharing this"
ReplyDeleteRegards
आपकी पोस्ट से अपनी सिक्किम यात्रा याद आ गई । हर तरफ़ खुबसूरत नजारे और मंजर ।
ReplyDeleteक्या बात है। आपकी सिक्किम यात्रा का वृत्तान्त सुनकर मई 2002 की याद आ गयी, जब मैं अपनी पत्नी के साथ हनीमून के लिए मनाली गया था।
ReplyDeleteअनजाने में ही सही, उन खूबसूरत लम्हों को याद दिलाने का शुक्रिया।
मीठी ही सही, मुझे चाय पी लेनी चाहिये थी। :)
ReplyDeleteमैं आपके करीब -2 सभी विचारों से सहमत होती हूँ लेकिन क्या कूड़ेदान बना देने से सफ़ाई हो जायेगी ? क्या हम नागरिक इतने समझदार हैं ? जब मैं मनाली गई थी तब साथ में एक थैला भी लिया था ताकि ऊपर पहाड़ पर गन्दगी न फैलाएं और सब थैले में इकठ्ठा करें और वही किया | नीचे आकर जहाँ कूड़ेदान था वहाँ फेंका | कितने लोग अपने मन से ऐसा करते हैं या करेंगे ?
बस एक बात और पूछनी थी.. आपको ये सब नाम कैसे याद रहते हैं .. युमसंगडॉन्ग, युमथांग आदि | मुझे तो सब एक जैसे लगते हैं | :P
सुंदर विवरण.पर मुझ जैसे ज्यादा एस्नोफिल वालों को सोंचना पड़ेगा जाने के लिए नही तो ..और कहीं जाने लायक शायद बचें.
ReplyDeleteRocking Post Buddy. I have been to Gangtok once. Your post got me deja vu. Great. Keep posting .
ReplyDeleteRegards.
क्या बात है!
ReplyDeleteहमारा ख़ुद भी मन करने लग गया ऐसे किसी भ्रमण पर निकलने के लिए
सिक्किम तो अभी तक देखा न था पर आपने ० पॉइन्ट की सैर करवा दी । पहाड बिना पेडों के एक अलग किस्म का सौंदर्य बोध कराते हैं ।
ReplyDeleteचाय आपको पी लेनी चाहिये थी अससे आपका नारी जागरण में सहयोग भी हो जाता ।