सिक्किम यात्रा की इस कड़ी में, गैंगटॉक में गणेशटोक, फूलों की प्रर्दशनी और नमग्याल तिब्बतोलोजी संस्थान की चर्चा है।
हम लोगों को दो दिन गैंगटॉक में रहना था और यह समय हमने यहीं की जगहों को घूमने में बिताया। पहले दिन हम लोगों ने गणेशटोक गये। यहां पर गणेशजी का मंदिर है और वहाँ से शहर का नजारा दिखाई पड़ता है। यहां से दृश्य साफ तरीके से नहीं दिखाई पड़ रहा था क्योंकि बादल छाये हुए थे और हल्का-हल्का पानी बरस रहा था। गणेशटोक के बगल में ही चिड़ियाघर है। पानी बरसने के कारण हम वहां न जाकर, फूलों की प्रर्दशनी देखने चले गये ।
यह फूलों स्थायी प्रर्दशनी है। क्योंकि बहुत से पेड़ जमीन पर लगे हुए है और कुछ गुलदस्ते भी जगह-जगह पर रखे हुए हैं। पानी बरस रहा था यह ऊपर से ढ़की है इसलिए इसके अन्दर बहुत से लोग थे। यहाँ जगह -जगह फोटो सेशन चल रहा था लोग तरह-तरह के पोज़ (Pose) देकर फोटो खिंचवा रहे थे। यहां पर मेरी मुलाकात मनोज से हुई जो कि अपनी महिला मित्र (या शायद उस की पत्नी हो) के साथ, सिल्लीगुड़ी से घूमने आये थे। इन लोगों के व्यवहार से लगता था कि शायद ये दोनों मित्र है और शादी शुदा नही है। मैने जब इनसे पोज़ देकर चित्र खीचने की बात की तो युवती शर्मा गई। मुझे उनसे यह पूछना ठीक नही लगा कि क्या वे शादी शुदा हैं।
सिक्किम में महिलायें एक खास तरह के कपड़े पहनती है । इसे बख्खू कहतें हैं । कई स्कूलों में यही ड्रेस है। मैंने दो लड़कियों से बात की । इनका नाम उषा और छानकी था। वे इंचे स्कूल की नवीं कक्षा में पढ़ती हैं। इसमें लड़के भी पढ़ते हैं उनके स्कूल की लड़कियो के लिये ड्रेस भूरे रंग की बख्खू है।
वहाँ से निकलकर हम लोग नमग्याल तिब्बतोलोजी संस्थान (Namgyal Institute of tibbtology) देखने चले गये। इस संस्था में तिब्बती सभ्यता एवं भाषा पर शोध होता है। यह तीन मंजिले भवन में है।
- पहली मंजिल संग्रहालय पर संग्रहालय है;
- दूसरी मंजिल पर पुस्तकालय है; और
- तीसरी मंजिल पर चित्र प्रर्दशनी लगी हुई थी।
संगहालय में गौतम बुद्व और बौध धर्म से जुड़े लोगों की मूर्तियां लगी हैं। वहां प्रार्थना की पुस्तकें और कुछ अन्य वस्तुएं रखी हुई थीं जिसमें लिखा था कि यह तांत्रिक विद्या में प्रयोग की जाती हैं। मुझे नही मालूम था कि बौध धर्म में भी कुछ तांत्रिक विद्या का प्रयोग होता है मैंने वहाँ के गार्ड से पूछा,
'क्या बौध धर्म मे भी तांत्रिक विद्या होती है'?उसने कहा मुझे नहीं मालूम पर उसने बगल में बैठी एक लड़की की तरफ इशारा कर उससे पूछने को कहा।
युवती ने अपना नाम पासंग बताया । उसने बताया,
'मैं वाणिज्य (commerce) में स्नातक हूं। मेरे पिता इसी सस्थान में शोधकर्ता थे और मैं इस समय संग्रहालय की इंचार्ज हूं।'उसके मुताबिक वह सारा सामान सब बौद्ध धर्म की पूजा में प्रयोग किया जाता है।
पासंग गुलाबी रंग की बख्खू ड्रेस पहने हुई थी। उसकी पलकें भी हल्के गुलाबी रंग की थी। वह प्यारी सी गोल मटोल बिटिया लग रही थी। मैंने पूछा,
'पलको का गुलाबी रंगा प्राकृतिक है अथवा फैशन।'उसने बताया कि यह फैशन है।
हम लोग दूसरी मंजिल पर पुस्तकालय देखने चले गये। जाते समय मेरे व मेरी पत्नी के बीच बात शर्त लगी। मेरे विचार से मस्कारा (mascara) लगाये हुई थी पर मेरी पत्नी के विचार से उसने आई लाइनर (eye-liner) लगाये हुई थी । मैंने लौटकर पासंग अपनी शर्तें के बारे में बताया। वह मुस्करा कर बोली,
'आप अपनी पत्नी से ज्यादा महिलाओं के फैशन के बारे में नहीं जानते हैं। आप यह शर्त हार गये है।'मुझे नहीं मालुम था कि मस्कारा भौंहों में लगाया जाता है और आई लाइनर पलकों में। मेरा हारना लाजमी था।
यदि आप स्वयं मस्कारा लगाना चाहती हैं तो इसकी सही विधि नीचे देखें।
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आई लाइनर कैसे लगाया जाय, इसके लिये यहां देखें
मेरे जीवन का सबसे बड़ा दर्द यही है कि मुन्ने की मां को फैशन बिलकुल पसन्द नहीं है। वह यह सब या लिपस्टिक या बिन्दी वगैरह नहीं लगाती न ही चूड़ी या फिर गहने पहनने पसन्द हैं। मैं नहीं समझता कि उसने शादी में मिले गहनों (जिसे ३० साल से भी अधिक समय हो गया है) एक बार भी पहना हो हां बेटे की शादी में वे सब बिटिया रानी के पास चले गये जो कि यहीं छोड़ कर अमेरिका चली गयी। इस बारे में, मुझे तो न वह न ही बिटिया रानी समझ में आती हैं। शायद इसी लिये हैदराबाद में सलारजंग संग्रहालय में निजाम के गहनों देखते समय हमारे साथ की महिला ने टिप्पणी की,
‘आप लोगों को देखकर लगता है कि कोई आप तो किसी प्रकार के गहने नहीं पहन सकते।‘
मैंने हैदराबाद घूमते समय तीन चिट्ठियां, पहली चिट्ठी: 'आप किस बात पर, सबसे ज्यादा झुंझलाते हैं', दूसरी चिट्ठी: 'निजाम के गहने और जैकब हीरा', और तीसरी चिट्ठी: 'गोलकुण्डा का किला और अंधेरी रात' नाम से लिखी हैं।
मैंने बख्खू पहने लड़कियों एवं पासंग का चित्र लिया था पर गलती से मिटर गया है। इसलिये उसे पोस्ट नहीं कर पा रहा हूं।
सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं।। नाथुला पास – भारत चीन सीमा।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे।। मंदाकिनी झरना - 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म वाला।। सात राजकुमारियां, जिन्होंने प्रकृति से शादी कर ली।। तारीफ करूं क्या उसकी जिसने तुझे बनाया।। फूलों के रंग से ... लिखी ... पाती।। मस्का नहीं, मस्कारा कैसे लगायें और मस्का पायेंहिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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Sikkim Yatra kee is post per Gangtok mein Ganeshtok, Flower show aur Namgyal Institute of tibbtology kee charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen. This post describes Ganeshtok, Flower show and Namgyal Institute of tibbtology in Gangtok It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. |
सांकेतिक शब्द
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उन्मुक्त जी अगर इसे आप मेरी कोई ऐसी जुर्रत न माने की मैं आप के रहन सहन से कोई तुलना कर रहा हों जो किमैं नही कर रहा हूँ तो कई ख़ास दीगर समानताये भी मैं लोगों में देखता हूँ जिनकी रुचियाँ एक सी होती हैं -मैं ख़ुद कोई आभूषण नहीं पहनता -परिणय अंगूठी भी नहीं ,धर्म पत्नी की शायद कुछ छुपी वृत्ति इअसी रही हो पर मुझ जैसे इस शौक के नीरस व्यक्ति के साथ उन्होंने भी अपने को ढाल लिया है -जबकि मुझे उनके आभूषण लगाव(यदि है ) पर कभी आपत्ति नही रही है -आदर्श दंपत्ति (!)एक दूसरे के परफैक्ट मैच नही होते ? पर कहीं यह हमारी हमें ही अज्ञात अप्रत्यक्ष ज्यादती तो नही है कि हमने अपनी आदरणीय अर्धान्गानियों को उनके नारी सुलभ व्यवहार से वंचित कर रखा है ? इस मामले में भी गांधी बाजी मारते दिखाई देते हैं -वे बा के गहनों को दान में देने को उद्यत हो जाते हैं जबकि बा इसका घोर प्रतिवाद करती हैं -
ReplyDeleteपर यह बॉटम लाइन है इस प्रसंग में -
विधु वदनी सब भाति सवारी ,.सोह न बसन बीमा वर नारी (रामचरित मानस ,बालकाण्ड )
इसके अर्थबोध में किंचित भी दुरूहता आए तो खाकसार को याद कीजियेगा ,फौरन हाजिर होगा !
आपकी सिक्किम यात्रा मनोरम प्रसंगों से गुजर रही है और एक यात्रा मैंने शुरू की थी उसके राम ही मालिक हैं खैर ...
गजब भाई. बहुत रोचक और दिलचस्प पोस्ट रही. गंगटोक कैसे जाना है..किस होटल में ठहरे..क्या एतिहात बरतें..इस पर जरा सलाह दिजिये न!!
ReplyDeletebahut badhiya vivaran aur photo aur maskara bhi:)
ReplyDeleteमुझे वहां गए हुए काफी वक्त हो गया पर इन तस्वीरों ने फ़िर से यादे जीवंत कर दीं.
ReplyDeleteआपका यात्रा वृत्तांत अब ग्लैमराज होने लगा है। वैसे पढकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteमस्कारा और आईलाइनर में अन्तर पता चला।
ReplyDeleteयह पोस्ट न पढ़ी होती तो कुछ साल और निकल जाते बिना जाने।
आप का यात्रा विवरण रोचक है। कुछ तो नई बातें जानी ही हैं।
ReplyDeleteaaj kuch nahi kahungi ..waise aapke dard se purn sahanubhuti -)
ReplyDeleteयात्रा का उतम विवरण बधाई स्वीकार करे
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी पधारे