यह चिट्ठी हमारी कुमाऊँ यात्रा की भूमिका है।
जिम कॉर्बेट रुद्रप्रयाग के आदमखोर तेंदुऐ को मारने के बाद - १९२५ वित्र विकिपीडिया से |
मेरा बचपन जानवर और जिम कॉर्बेट की पुस्तकों को पढ़ते बीता। मैंने उनका आनन्द पुनः तब लिया जब मुन्ना बड़ा हो रहा था। उनकी लिखी पुस्तकें हैं,
- मैन ईटरस् ऑफ कुमाऊं (Man-eaters of Kumaon) (१९४४);
- द मैन-ईटिंग लेपर्ड ऑफ रुद्रप्रयाग (The Man-eating Leopard of Rudraprayag) (१९४७);
- माई इंडिया (My India) (१९५२);
- जंगल लोर (Jungle Lore) (१९५३);
- द टेम्पल टडगर एण्ड मोर मैन-ईटरस् ऑफ कुमाऊँ (१९५४);
- ट्री टॉपस् (Tree Tops) (१९५५)।
जिम ने अपनी आत्मकथा नहीं लिखी लेकिन शायद इसके सबसे करीब उनकी पुस्तक जंगल लोर है।
जिम का का जन्म २५ जुलाऊ १८७५ को नैनीताल में हुआ था। उन्के माता-पिता आयरिश थे और १८६२ में नैनीताल गये जब उनके पिता को को नैनीताल के पोस्टमास्टर बने।
जिम अपने माता पिता के १३ बच्चों में से आठवीं संतान था। उन्हें बचपन से जंगलों और जानवरों से प्रेम था। जिम ने १९०७ से १९३८ के बीच १९ आदमखोर शेर और १४ आदमखोर तेंदुऐ मारे।
जिम शिकारी थे लेकिन वे बाद में संरक्षण समर्थक हो गये थे। उन्हें शेरों के भविष्य और उनके प्राकृतिक रहने की जगहों की चिन्ता थी। उन्होंने भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क कुमाऊं में बनाया जिसका पहले नाम हेली नेशनल पार्क था पर जिम के मृत्यु के बाद यह उनके नाम से जिम कॉर्बेट नेशनल पारक के नाम से जाना जाता है। यह बेहद सुन्दर जगह है। यदि आप वहां नहीं गये हैं तब अवश्य अपने मुन्ने या मुन्नी के साथ जाइये।
जिम और उनकी बहन मैगी ने शादी नही की थी, वे दोनो १९४७ में वे केनया चले गये। १९ अप्रैल १९५५ में दिल के दौरे से उनकी मृत्यु हो गयी है।
२००२ में, जिम कॉर्बेट की पुस्तक मैन ईटरस् ऑफ कुमाऊं के आधर पर एक आइमैक्स फिल्म इंडिया: द लैण्ड ऑफ टाईगरस् नाम की बनी थी। उसका आनन्द लें।
इस श्रृंखला की अगली कड़ी में हम लोग नैनीताल चलेंगें।
जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
भूमिका।।
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- विटलबाख डायमंड: ►;
- नेपोलियन की तलवार में जड़ा - भारतीय हीरा: ►।
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सांकेतिक शब्द
। Jim Corbet, India: Kingdom of the Tiger, Man-Eaters of Kumaon;
। Kumaon,
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जिम कार्बेट ने आत्मकथा नहीं लिखी, लेकिन उनकी बढि़या लिखी जीवनी 'कारपेट साहब' है.
ReplyDeleteलोग उस समय काफी त्रस्त थे नरभक्षियों से..
ReplyDeleteजिम कार्बेट के कुमायूँ की प्रतीक्षा रहेगी..
ReplyDeleteयह वास्तव में एक बहुत आच्छा ब्लॉग है, मैं सभी कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत(GTI Travels Pvt. Ltd.) टीम की ओर से शुक्रिया अदा करना चाहूँगा.
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ReplyDeleteजिम कॉर्बेट साहब की लिखी पुस्तको को पड़ने में एक अलग सा जादू फील होता है । उनकी लेखनी जादुई थी ।
ReplyDeleteजिम कॉर्बेट साहब की लिखी पुस्तको को पड़ने में एक अलग सा जादू फील होता है । उनकी लेखनी जादुई थी ।