इस चिट्ठी में, नैनीताल के फ्लैट पर लगी कुछ अन्य दुकानों की चर्चा है।
नैनीताल फ्लैट पर लगी एक अन्य दुकान |
दुकान को एक छोटा सा लड़का देख रहा था। उसने अपना नाम अभितारी बताया और कहा,
'बन्दूक चलाने के लिये २०/-रूपया लगते हैं और उतने पैसों में १२ बार चलाने को मिलेगा।'मैंने कहा कि मुझको १२ बार नहीं चलाना है तुम मुझसे कुछ कम पैसा ले लो। अभितारी ने कहा
'आपको केवल ट्रायल करना है तो ऎसे ही चला लीजिए। आपको पैसा देने की जरूरत नही है।'मैंने एक गोली रायफल से तथा एक गोली पिस्टल से चलायी। वह मुझसे पैसा नहीं ले रहा था और पैसा लेने से मना कर रहा था लेकिन मैंने उसको जबरदस्ती पांच रूपया दे दिया। मैंने पूछा कि क्या यह दुकान तुम्हारी है। उसने बताया,
'यह दुकान उसके एक मित्र की है। मैं इसमें बैठता हूं और मैं प्राइवेट हाई स्कूल की परीक्षा दे रहा हूं। मैं जो भी पैसा कमाते हैं उसमें से आधा आधा बांट लेते हैं।'
विक्की, बुलबुले बनाते हुऐ |
'मेरा नाम विक्की है। यह गुब्बारे साबुन के बुलबुले नहीं है पर यह एक चेन से बने हुए गुब्बारे हैं।'
विक्की एक छोटी सी ट्यूब २०/-रूपया में दे रहा था और उसके साथ एक छोटी सी नली, हवा फूंकने के लिए दे रहा था। ट्यूब का लेप फूंकने की नली के आगे लग कर, हवा को फूकने पर गोल गोल बुलबुले बन जाते थे। मैंने इसे खरीद लिया।
विक्की के पास साबुन से बुलबुले बनाने के लिए एक मशीन थी और इसे भी चलाकर दिखाया। हम लोग बचपन में नीम की पत्तियों की डंढल से गोल, गोल छेद बना कर, साबुन के घोल में डुबा कर बुलबुले बना कर उड़ाया करते थे।
फ्लैट पर घूमने के बाद हम घर वापस आ गये। अगली बार, हम बिन्सर चलेंगें।
जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।। इस अदा पर प्यार उमड़ आया।। उंचाई फिट में, और लम्बाई मीटर में नापी जाती है।। चिड़िया घर चलाने का अच्छा तरीका।। नैनीताल में सैकलीज़ और मचान रेस्त्रां जायें।। क्रिकेट का दीवानापन - खेलों को पनपने नहीं दे रहा है।। गेंद जरा सी इधर-उधर - पहाड़ी के नीचे गयी।। नैनीताल झील की गहरायी नहीं पता चलती।। झील से, हवा के बुलबुले निकल रहे थे।। नैनीताल झील की सफाई के अन्य तरीके।। पास बैटने को कहा, तो रेशमा शर्मा गयी।। चीनी खिलौने - जितने सस्ते, उतने बेकार।। कमाई से आधा-आधा बांटते हैं।।
सांकेतिक शब्द
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कितना सरलतम व्यवहार है ...सीखने योग्य...
ReplyDeleteवाह, बुलबले..साबुन के।
ReplyDeleteमुझे भी नहीं समझ में आया . चेन से गुब्बारे कैसे बने ?
ReplyDeleteरोचक , मन बच्चा बन जाना चाहता है बार बार !
ReplyDeleteरोचक, आपकी पोस्ट में सदैव रोचकता रहती है ।
ReplyDeleteबहुत रोचक .
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