Friday, August 05, 2022

फ़रमानी नाज़ के विचारों को सलाम

इस चिट्ठी पर फ़रमानी नाज़ के गाये भजन 'हर-हर शंभू' पर उठे विवाद पर चर्चा है।

चित्र - फ़रमानी नाज़ के गाये भजन के वीडियो से

फ़रमानी नाज़ गायिका हैं। वे उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के एक कस्बे से आती हैं। मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता पर उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया है; उनके बेटे को बिमारी है जिसका ऑपरेशन होना है; और शायद उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। 

मैंने उनके गाने अन्तरजाल पर सुने हैं। वे अधिकतर फिल्मों के गाने, जिन्हें अन्य लोगों ने लिखा और गाया है, गाती हैं। 

कुछ समय पहले, उन्होंने किसी व्यक्ति (जीतू शर्मा) के लिखे भजन, जिसे किसी अन्य गायिका (अभिलिप्सा पंडा) के गाये भजन 'हर-हर शंभू' को गाया।

इसमें गौर करने की बात है कि संस्कृत के कठिन शब्दों का भी वे सही तरह उच्चारण करती हैं। इस समय कॉपीराइट के मुश्किलों के कारण, यह हटा दिया गया है।

उनके इस भजन गाने पर विवाद उठ गया। इस विवाद पर, बीबीसी ने एक विडियो बना कर, प्रकाशित किया है। जिसे आप नीचे देख सकते हैं।

  

उनके भजन गाने पर मुसलमानों और हिन्दुओं, दोनो को आपत्ति है। 

कई मौलवियों को यह इसलिये नहीं पसन्द आया कि वे मुसलमान हो कर भगवान शिव का भजन क्यों गा रहीं हैं। हिन्दुओं की आपत्ति के कई कारण हैं। इन दोनो विडियो पर, दोनो तरफ से आयी आपत्तियों को, टिप्णियों में पढ़ा जा सकता है। 

बीबीसी के विडियो पर उस गायिका के विचार भी हैं, जो उसके संतुलित और परिपक्व विचारों को दर्शाता है। इस पर मैंने टिप्पणी की, 

'गायक का धर्म संगीत है जिसमें गज़ल और सूफी गीत हैं तो भजन भी है - फ़रमानी नाज़ के विचारों को सलाम।' 

इस टिप्पणी पर, कुछ नासमझ लोगों ने बेतुकी आपत्ति जतायी - दुख लगा। 

मोहम्मद रफ़ी, अकेले ऐसे गायक रहे, जो हर तरह के गानों को प्रवीणता से गा सकते थे। उनके गाये भजन, सबसे अच्छे गाये भजन हैं। हम उन्हें स्वीकारते हैं फिर फ़रमानी नाज़ को क्यों नहीं। क्या यह इस लिये है कि समय बदल गया है। 

पिछले समय में, कुछ बेहतरीन विज्ञापन आये - होली पर सर्फ एक्सल का, गोद भराई पर तनिष्क का, दिवाली पर फैबइंडिया का। इन पर चन्द लोगों ने आपत्ति जतायी। इसके बारे में मैंने 'यह हम क्या कर रहे हैं', 'हम कहां जा रहे हैं', और 'दीवाली तो है ही जश्न का त्योहार' शीर्षक नाम से चिट्ठीयां लिखीं। 

हमारा देश किसी एक धर्म का नहीं है। हम पंथ निरपेक्ष हैं। यह, हमें सब धर्मों का आदर करने के लिये प्रेरित करता है। हम गलत रास्ता अपना रहे हैं। 

हमें उस तरह का बर्ताव करना चाहिये; उस तरह के विचार रखने चाहिये - जैसा कि फ़रमानी नाज़ के। वे संविधान को बहुतों से बेहतर समझती हैं। उनके विचारों पर, मुझे फ़क्र है। काश, हमारे विचार, उसके जैसे संतुलित और परिपक्व होते।

उनके पति ने, उसे छोड़ दिया है। उसका बेटा बीमार है। उसे ऑपरेशन की जरूरत है। मुझे इस कार्य मे, आर्थिक सहयोग करने में प्रसन्नता होगी।

इस भजन को पहले अभिलिप्सा पंडा ने गाया है। इनका भी सक्षात्कार बीबीसी ने लिया है। इसे आप नीचे सुन सकते हैं।

 

About this post in Hindi-Roman and English
Hindi (Devanagari script) kee is chitthi mein, Farmani Naaz ke gaye bhajan 'Har Har Shambhu' per utthe vivaad per charcha hai. 
This post in Hindi (Devanagari script) is about controversy over bhajan 'Har Har Shambhu' sung by Farmani Naaz.

सांकेतिक शब्द
culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो, 
#हिन्दी_ब्लॉगिंग #HindiBlogging
# FarmaniNaaz #HarHarShambhu
 



2 comments:

  1. M Jaiswal7:50 am

    मैं बिल्कुल सहमत हूं , आपकी सोच से।
    संगीत तो ईश्वर की इबादत है, मुझे कबीर , सूफी , भजन सुनना पसंद है। इस देश में खुसरो की छाप तिलक से लेकर , मोहमम्मद रफी , नुसरत, आबिदा परवीन, रहमान , पुरुषोत्तम जलोटा जी , सबको बड़ी मस्ती से सुना जाता है
    । मुझे Gurus of peace गाना याद आ रहा है।
    बहुत सुंदर टिप्पणी।

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  2. जी आपने बिल्कुल सही कहा। आपकी बात से सहमत हूँ।

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आपके विचारों का स्वागत है।