महिला वैज्ञानिकों को अक्सर उनके योगदान के लिए नजरअंदाज किया जाता है। रोसलैंड फ्रैंकलिन (२५ जुलाई १९२० - १६ अप्रैल १९५८) उनमें से एक थीं।
डीएनए जीवन के विकास, कार्यप्रणाली, वृद्धि और प्रजनन के लिए आनुवंशिक निर्देश के लिये महत्वपूर्ण है। उन्होंने डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज में मौलिक योगदान दिया था।
वे प्रायोगिक वैज्ञानिक थीं। डीएनए के दोहरे हेलिक्स का निर्धारण, उनके द्वारा निकाले गये डाटा और तस्वीरों से किया गया था। लेकिन, उन्हें अपने जीवनकाल में कभी भी अपने काम का श्रेय नहीं मिला। यही कारण है कि उन्हें अक्सर 'गलत नायिका', 'डीएनए की डार्क लेडी', 'भूली हुई नायिका' और 'नारीवादी आइकन' के रूप में जाना जाता है।
डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना की खोज के लिए फ्रांसिस क्रिक, जेम्स वॉटसन और मौरिस विल्किंस को १९६२ में नोबल पुरस्कार दिया गया था। उस समय, रोसलैंड फ्रैंकलिन को नोबल पुरस्कार नहीं दिया जा सका क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी थी। लेकिन दुखद बात यह है कि इसके उद्धरण में उनके नाम का उल्लेख नहीं है।
जेम्स वॉटसन ने भी अपनी पुस्तक 'डबल हेलिक्स' में भी उनकी सच्ची तस्वीर नहीं दी है। लेकिन इस बात को, जेम्स वॉटसन ने, इसी सदी में, स्वीकार किया कि यदि वे १९६२ में जीवित होतीं तो उनके साथ नोबल पुरस्कार साझा करतीं।
कुछ समय पहले मैंने उनकी दिलचस्प जीवनी 'रोज़लिंड फ्रैंकलिन द डार्क लेडी ऑफ डीएनए' पढ़ी। यह इस खोज की सच्ची तस्वीर बताती है और गलत बातों को ठीक करने की कोशिश करती है। यह पुस्तक पढ़ने योग्य है।
इस पुस्तक में उस घटना का जिक्र है जब वह अमेरिकियों के साथ ब्रिटिश शिक्षा पर चर्चा कर रही थीं। वह उनसे ११ प्लस परीक्षा में अंग्रेजी के पेपर में आया यह प्रश्न पूछती हैं कि OTTFFSS श्रृंखला में अगले तीन अक्षर कौन से हैं? मैं आपको, इस पहेली का हल ढूढने के लिये छोड़ता हूं।
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Rosalind Franklin’s story is a powerful reminder that real brilliance doesn’t always get instant recognition. Her research quietly shaped one of the biggest scientific breakthroughs of our time. It’s inspiring how Maddox’s book restores the credit she truly deserved. Thank you, sir, for highlighting her legacy — it’s a lesson in integrity and perseverance.
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