Sunday, March 16, 2008

बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता: बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां

ब्रम्हाण्ड (Universe) की उत्तपत्ति के दो सिद्घान्त हैं:
  • बिग बैंग (Big Bang theory) - इस सिद्घान्त के अनुसार सारा पदार्थ एक जगह था और खरबों (लगभग १३.७ खरब) वर्ष पहले गर्मी के साथ फैलना शुरू हुआ। इसी के साथ बने परमाणु, तारे, निहारिकायें और सौर मंडल। इसके अनुसार हमारा ब्रम्हाण्ड फैल रहा है।
  • स्टैडी स्टेट (Steady state Theory)- यह सिद्घान्त कहता है कि समय के साथ ब्रम्हांड का घनत्व (density) हमेशा एक रहता है। वैज्ञानिक प्रेक्षण (observation) के अनुसार हमारा ब्रम्हांड फैल रहा है। यह अनन्त है इसलिये इस सिद्घान्त के अनुसार हर समय पदार्थ बनते रहना चाहिये इसलिये इसको Infinite Universe theory या continuous creation theory भी कहते हैं।
आजकल सारे प्रेक्षण बिग बैंग सिद्घान्त की तरफ इशारा करते हैं और यह ही मान्य सिद्घान्त है।

बायीं तरफ का चित्र बनते हुऐ तारों का है। यह Large Magellanic Cloud (LMC) में स्थित है और हमसे लगभग १,६०,००० प्रकाश वर्ष दूर है। दायी तरफ का चित्र पिनव्हील गैलेक्सी का है। यह हमसे २७० लाख प्रकास वर्ष दूर है और सप्त ऋषी तारा मंडल में है। यह दोनो चित्र नासा, ईएसए, और हबल हेरिटेज़ के सौजन्य से हैं।

हमारे सौर मंडल के बनते समय, ग्रहों के साथ पदार्थ के छोटे छोटे कण, बालू, कुछ छोटे पिंड (boulder – size) उल्कापिंड (meteoroid), और कुछ उनसे बड़े पर ग्रहों और चन्द्रमाओं से छोटे पिंड {अर्थात छुद्र ग्रह या ग्रहिका (Asteroid)} भी बने । इन सबको अन्तरग्रहिक धूल (interplanetary dust) कहा गया। बालू के कण और छोटे पिंड (meteoroid), अपने सौर मंडल के बाहरी हिस्से में मिलते हैं। इसे क्यूपर पट्टी (kuiper belt) कहा जाता है। यह हिस्सा वरूण (Neptune) ग्रह के बाद है। प्लूटो (Pluto) क्यूपर बेल्ट का हिस्सा है।

क्यूपर पट्टी हरे रंग से है

छुद्रग्रह, सौरमंडल में मंगल (Mars) और ब्रहस्पति (Jupiter) के बीच में मिलते हैं। इस हिस्से को ग्रहिका पट्टी (Asteroid belt) कहते हैं।

ग्रहिका पट्टी सफेद रंग से है

कभी-कभी छुद्र ग्रह आपस में टकराते हैं। जिनसे बालू और छोटे पिण्ड बनते हैं। कई बार जब कोई धूमकेतु आता है तो उसके कण सूर्य के गुरूत्वाकर्षण के कारण उससे अलग हो जाते हैं। इस तरह से बनी बालू या छोटे पिंड अथवा क्यूपर पट्टी से बालू और छोटे पिंड, कभी-कभी हमारी पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण में आकर हमारे वातावरण में आ जाते हैं। यह जब हमारे वातावरण में आते हैं तो घर्षण के कारण गर्म हो जाते हैं और जलने लगते हैं। इसके कारण उनसे प्रकाश निकालने लगता है। यह हमें टूटते हुए तारे की तरह लगता है। इन्हे उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में टूटते हुए तारे (Shooting or fallings star) कहा जाता है।

इडा (Ida) और उसका चन्द्रमा। यह, इस तरह की पता चलने वाली, पहली ग्रहिका है

ऎसी मान्यता है कि टूटते हुए तारे को देखते समय मांगी गयी इच्छा पूर्ण होती है। इसमें कोई भी सत्यता नहीं। यह तो केवल कहने की बात है।

यह तीन राजा बहुत दूर से आये थे। वे तारे के कारण ही बेथलहम पहुंच सके। सफर लम्बा था। तारा बहुत समय तक रहा। इसलिये यह उल्का नहीं हो सकता। उल्का तो बहुत कम समय तक आकाश में दिखायी पड़ती है।

अगली बार उल्का पिंडो के द्वारा बने कुछ प्रसिद्ध
गड्ढ़ों (craters) की चर्चा करेंगे।

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। उल्का पिंडो के द्वारा बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।।

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इस चिट्ठी के अन्तिम तीन चित्र विकीपीडिया से है और ग्नू स्वतंत्र अनुमति पत्र की शर्तों के अन्तर्गत प्रकाशित किये गये हैं।

इस पोस्ट पर उल्कापिंड या ग्रहिका के बारे में चर्चा है और बताया गया है कि कि बेथलेहम का तारा क्यों उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

is post per charchaa ulkaapind aur grahikaa ke baare mein chrchaa hai aur bataayaa gayaa hai ki Bethlehem ka tara kyon ulkaapind yaa grahikaaa nheen ho sktaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is about meteoroid and asteroid. It explains why the star of Bethlehem could not be either of them. It is Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
Meteoroid, Asteroid,
Astronomy, Astronomy, bible, Bible, Star of Bethlehem, बेथलेहम का तारा
culture, Family, fiction, life, Life, Religion, जीवन शैली, धर्म, धर्म- अध्यात्म, विज्ञान, समाज, ज्ञान विज्ञान,

7 comments:

  1. आप का आलेख सही है। वाकई बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।

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  2. बेथलेहम तारे पर श्रृंखला की यह कड़ी भी जानकारीपरक है -अभी भी यह उत्कंठा बनी हुयी है कि आखिर वह तारा क्या था ?निशय ही वह उल्का पिंड तो नही था पर किसी पुच्छल तारे की संभावना से इनकार नही किया जा सकता .या यह कोई ग्रहीय युति थी ...आपने इन लेखों से जिज्ञासा तो जगदिया है पर रहस्योद्घाटन अभी भी दूर लगता है .

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  3. अरविन्द जी, यह श्रंखला आपके कारण शुरू की थी पर आपने ठीक फरमाया - लम्बी चलेगी।

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  4. अपनी बात को कहने का आपका सलीका लाजवाब है। मैं आपके इस हुनर को सलाम करता हूँ।
    अच्छी जानकारी के लिए बधाई।

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  5. sab kuchh ek se badhh kar ek hai unmuktaji!

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आपके विचारों का स्वागत है।