Thursday, June 25, 2009

आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी

इस चिट्ठी में, कोची (कोचीन) में घूमने की जगहों की चर्चा है।

सबसे पहले हम लोग वहाँ सिनागॉग, यानी की यहूदियों के पूजा स्थल, देखने गये। इसे १५६८ में स्पैनिश एवं डच यहूदियों ने बनावाया था। इसके उपर घड़ी की टावर १७६० में बनी। इसकी देखरेख करने वाले वाले ने बताया,

डच पैलेस से सियनगॉग के पीछे से दृश्य

'इस समय यहाँ पर यहूदियों के केवल पाँच परिवार रह गये है और उन पाँचों परिवार में केवल ग्यारह सदस्य है और पूरे केरल में केवल पन्द्रह परिवार यहूदियों के रह गये हैं।'


इस सिनागॉग के अन्दर का यह चित्र

सिनागॉग के बगल में डच पैलेस है। यह महल को पुर्तगलियों ने १५५५ में वहाँ के राजा वीर केरल वर्मा के लिए बनवाया था। १६६५ में, डच लोगों ने इसे बड़ा किया और इसकी मरम्मत करवायी। इसीलिए यह डच पैलेस के नाम से जाना जाता है। इसमें कोचीन के महाराजा की तस्वीरे, पालकियाँ, वेशभूषा व अस्त्र-शस्त्र रखे हुए हैं।


डच पैलेस घूमते समय हमारी मुलाकात अन्य पर्यटकों के साथ, मेरी मुलाकात जैताली नामक एक प्यारी सी युवती से हुई। उसके पैरों में लगी मेंहदी बहुत सुन्दर लग रही थी। वह स्वयं भी बहुत सुन्दर थी मैंने उससे कहा,

'आप जितनी खूबसूरत हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैर में मेंहदी लगी है। क्या आपने यह कोचीन में लगवायी है?'
यह सुन कर वह शर्मा गयी। उसने मुझसे कहा,
'मेरी एक सप्ताह पहले मेरी शादी हुई है। यह मेंहदी मैंने शादी के लिए लगवायी थी।'
मैंने जैताली से पूछा कि क्या में उसके पैरों में लगी मेंहदी का चित्र खींच सकता हूं। उसने कहा,
'जरूर।'
उसने पैरों में जूते पहन रखे थे। उसने अपने जूते उतार दिये, जींस को कुछ ऊपर कर लिया ताकि पैरों की मेंहदी अच्छी तरह से दिख सके और अपने पति के साथ चित्र खिंचवाया।

जैताली हनीमून के लिए अपने पति करनाल मोदी के साथ अहमदाबाद से आयी थी। लेकिन, उसके साथ केवल उसके पति नहीं थे। साथ में पति के बड़े भाई और उनकी पत्नी भी थी। यह चारो लोग वहाँ मस्ती से घूम फिर रहे थे। करनाल, सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और न्यूट्रॉन सिस्टम नामक कम्पनी के साथ काम करते है। मैंने पूछा कि क्या वह लोग मुक्त सॉफ्टवेयर पर काम करते हैं उसने कहा नहीं :-(

'करनाल, जैताली, नमस्ते
करनाल मुक्त सॉफ्टवेयर का भविष्य उज्जवल है तम्हें इस पर भी काम करना चाहिये।
जैताली तुम और करनाल हमेशा सुखी रहो, खुश रहो यही ईश्वर से प्रार्थना'
हम लोग सन्त फ्रांसिस चर्च भी देखने गये जिसे १५१६ ई० में पुर्तगलियों के द्वारा बनवाया गया था। वास्कोडिगामा के मरने के बाद, वहाँ उन्हें गाड़ दिया गया था पर कुछ साल बाद उसे पुर्तगाल ले जाया गया।

हम लोग दो साल पहले कालीकट घूमने गये थे मैंने इसके बारे में 'प्रकृति की गोद में तीन दिन' नाम से यात्रा विवरण लिखा था। इसकी पहली कड़ी में कप्पड़ समुद्र-तट पर वास्कोडिगामा के बारे में हुई चर्चा का वर्णन किया था। वहां पर वास्कोडिगामा के बारे में लोगों की राय, खराब थी। फ्रांसिस चर्च में बैठे पादरी से मैंने उस चर्चा का वर्णन किया। उनका कहना था कि उस समय कोचीन और कालीकट के राजा के बीच में लड़ाई चल रही थी। वास्कोडिगामा ने कोचीन के राजा का साथ दिया, इसलिये वे लोग वास्कोडिगामा के बारे में इस तरह की बात करते हैं।



यहाँ पर हम लोगों ने मछली पकड़ने के लिये चाईनीज जाल भी देखे। कोचीन मे चीन से बहुत लोग आये थे। वे अलग तरीके से मछली पकड़ते थे। अब वे नहीं रह गये हैं पर केरल के लोग, उसी तरह से मछली पकड़ रहे हैं। इसमें एक तरफ बडा सा जाल है दूसरी तरफ भारी-भारी पत्थर लगे हुए हैं। जाल के डंडो पर कुछ व्यक्ति चलते है तो वह नीचे पानी में चला जाता है जब व्यक्ति वहां से हट जाते है तो पत्थर के भार से जाल ऊपर आता है और जो मछली जाल में फंस जाती है वह जाल के साथ ऊपर आ जाती हैं। यह जाल ढ़ेकली लीवर (lever) के सिद्घान्त पर काम करता है।


हम लोग दोपहर के भोजन के समय कुमाराकॉम पहुंचे। यहां हमें ताज गार्डन रिट्रीट (Taj Garden Retreat) होटल में एक रात रूकना था। इसके बारे में अगली बार।

सिनागॉग के अन्दर का चित्र, मैंने नहीं खींचा है। मैंने किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के हिन्दी चिट्ठे से उड़ाया है। वह महत्वपूर्ण इसलिये है कि जब हम सिनागॉग पहुंचे तो उसका इंचार्ज किसी भी व्यक्ति को अन्दर कैमरा नहीं ले जाने दे रहा था। वह अन्दर के चित्र खींचने से भी मना कर रहा था। कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति ही सिनगॉग के अन्दर से चित्र खींच सकता है। मैंने इस चित्र को जिस चिट्ठकार के चिट्ठे से चुराया है वह व्यक्ति हिन्दी चिट्टजगत के लिये भी महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि वह चिट्ठकार, हम सब का उत्साह बढ़ाने के लिये, अधिक से अधिक चिट्ठियों पर टिप्पणी करता है। आज की चित्र पहेली यही है कि आपको उसका नाम बताना है। नहीं मालुम तो एक हिंट भी ले लीजिये। वह अंग्रेजी में भी चिट्टा लिखता है।

इस पहेली पर कोई भी व्यक्ति, पी एन सुब्रमनियम जी को छोड़, भाग ले सकता है।

कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा

क्या कहा, महिलायें वोट नहीं दे सकती थीं।। मैडम, दरवाजा जोर से नहीं बंद किया जाता।। हिन्दी चिट्ठकारों का तो खास ख्याल रखना होता है।। आप जितनी सुन्दर हैं उतनी ही सुन्दर आपके पैरों में लगी मेंहदी।।

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Click on the symbol after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
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  • Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
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About this post in Hindi-Roman and English

is chitthi mein, kochi (cochin) mein ghoomane kee jagahon kee charchaa hai. yeh hindi (devnaagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post describes places to see in Kochi (Cochin). It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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11 comments:

  1. बढिया लगा आपका यह यात्रा वृत्तान्त !

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  2. kalatmak chori... yaatra vritaant badhiya hai

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  3. रोचक यात्रा लिखी है शीर्षक रोचक है :)

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  4. बेहतरीन यात्रा वृतांत विथ भड़काऊ शीर्षक... हा हा!! आरोप लगाने में क्या जाता है.

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  5. आप की नजर के कायल हो गये जनाब, कहा कहा जाती है... अजी अब देखिये ना केरल की सुंदरता का कितने सुंदर ढंग से वर्णन किया आप ने:)
    धन्यवाद

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  6. आपकी पारखी नजर को सलाम करने को जी चाहता
    है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  7. वाकई आपकी पोस्‍ट को पढ़ कर घूमने का आनंद मिल जाता है।

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  8. बहुत फ्रैंक हैं उन्मुक्त जी वैसा कोम्प्लिमेंट तो मैं न दे पाता
    हाँ ,चायनीज डिप नेट माडल ड्राईंग रूम के लिए या नहीं

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  9. ज्ञानवर्धन के साथ जीवंत वर्णन !

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  10. जैताली नाम बड़ा सुंदर है

    - लावण्या

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  11. कोच्ची का सुन्दर यात्रा वृत्तान्त. हम भी गए थे. यहूदियों की गली में जाकर उनके धर्मस्थल को भी देखा था. लेकिन अन्दर नहीं जा पाए थे. हमारी एक पोस्ट है जिसका लिंक हम दे रहे हैं. अवश्य ही देखें.
    http://paliakara.blogspot.com/2008/10/jews-of-cochin.html

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