लीसा से मेरी मुलाकात वियाना में कॉन्वेंट में हुई थी। मैंने वायदा किया था कि उसके और मेरे बीच बीच ई-मेल की चर्चा करूंगा। यह चिट्ठी उसमें से एक है।
हिन्दू धर्म जीने का तरीका है और उन्हीं तरीकों को आसानी से समझने के लिये कथायें और देवी देवाताओं को रचा गया है। यही बात इस चिट्ठी में समझायी गयी है।
हिन्दू धर्म जीने का तरीका है और उन्हीं तरीकों को आसानी से समझने के लिये कथायें और देवी देवाताओं को रचा गया है। यही बात इस चिट्ठी में समझायी गयी है।
गुटन टाग (Guten Tag!) (नमस्ते), अंकल
आप कैसे हैं। मैं माफी चाहूंगी कि मैंने बहुत दिन से आपको कोई ईमेल नहीं लिखी। मैं स्कूल में व्यस्त रही।
हमारी कक्षा के विद्यार्थी पिछली सर्दी, आयरलैंड (Ireland) गये थे। हम लोग दिन में घूमते थे। शाम को पब भी जाते थे। वहां का मौसम बरसाती था और बहुत जोर से हवा चलती थी। वहां बहुत ठंडक थी। आप तो उसे बिलकुल सहन नहीं कर पाते क्योंकि मैं भी वहां बर्फ से जम गयी।
यह हमारे क्लास विद्यार्थियों का आयरलैण्ड में खींचा चित्र है। क्या आप मुझे पहचान सकते हैं।
हम लोग आज कल स्कूल में हिन्दू धर्म के बारे में पढ़ रहें हैं। शायद आप भी हिन्दू हैं। क्या आप मुझे हिन्दू मज़हब (religion) के बारे में बतायेंगे क्योंकि मैं इसे एक सच्चे हिन्दू से जानना चाहती हूं न कि ईसाई टीचर से, जो कभी भारत नहीं गयी।
क्या हिन्दू अन्य धर्मों की पवित्र पुस्तकें जैसे कुरान, बाईबिल पढ़ते हैं?
आप लोग इतने भगवान पर कैसे विश्वास कर लेते हैं? क्या यह आपको उलझन में नहीं डालता? हम तो केवल एक ही भगवान पर विश्वास करते हैं।
लीसा
प्यारी लीसा
तुम्हारी प्यारी ईमेल मिली, अच्छा लगा। यह सच है कि मुझे ठन्ड अच्छी नहीं लगती और मुझे आयरलैण्ड में अच्छा नहीं लगता।
तुम तो सबसे खास, सबसे अलग हो। चित्र में भी सबसे अलग - छाता लिये खड़ी हो।
मैं जन्म से हिन्दू हूं पर लालन-पालन, अपने वातावरण, और कर्म से, अज्ञेयवादी हूं।
हमारा देश धर्म-निरपेक्ष (secular) है। लेकिन पश्चिमी देशों और हमारे देश और की धर्म-निरपेक्षता में अन्तर है। पश्चिमी देशों में धर्म-निरपेक्षता का अर्थ है कि मज़हब (religion) को राज्य से दूर से रखो। हमारे यहां इसका अर्थ है कि सबका आदर करो। इसलिये राजकीय समारोह या शोक में सब मज़हब (religion) के लोग आते हैं और सारे मज़हब के अनुसार पूजा की जाती है। हमारे स्कूलों में भी सारे मज़हबों (religion) के बारे में पढ़ाया जाता है। इस कारण, मुझे सारे मज़हबों के बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान है।
हिन्दुओं के अनुसार भी भगवान एक ही है, वह सर्वशक्तिमान है, वह हम सब, यहां तक कण कण में है - सब उसी के रूप हैं।
हिन्दू धर्म, जीवन जीने का तरीका है। इन तरीकों को समझाने के लिये, अलग-अलग कथाऐं रची गयीं। उनमें देवी देवाताओं का समावेश किया गया ताकि लोग उन्हें आसानी से समझ सकें, उस पर श्रद्धा करें।
तुमने अंग्रेजी की कहावत सुनी होगी,
- United we stand, divided we fall, या
- Union is strength, या
- A house divided cannot stand.
तुमने ईसप की कहानियां पढ़ी होंगी। इसी बात को उसने अपनी दो कहानियों, 'चार बैल और शेर' (The Four Oxen and the Lion) एवं 'छड़ियों का गट्ठा' (The Bundle of Sticks) में बतायी है। इसी बात को समझाने के लिये हिन्दू ऋषियों, मुनियों ने देवी दुर्गा को की कथा बतायी।
हिन्दुओं में, देवी दुर्गा शक्ति का रूप हैं और वे शक्ति की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। हमारे पुराणों में उनका वर्णन है – उनके अनेक सिर हैं, अनेक हाथ हैं। प्रत्येक हाथ में वह अस्त्र-शस्त्र धारण किए हैं। सिंह, जो साहस का प्रतीक है, उनका वाहन है। ऐसा क्यों है? तुम, यह उनकी कथा पढ़ कर समझ सकोगी।
चित्र विकिपीडिया से
महिषासुर नामक एक दानव था। वह अत्याचारी था। देवता, महिषासुर से संग्राम में हार गये और उनका ऐश्वर्य, श्री, और स्वर्ग सब छिन गया तब वे दीन-हीन दशा में वे भगवान के पास पहुँचे। भगवान के सुझाव पर सबने अपनी सभी शक्तियॉं (शस्त्र) एक स्थान पर रखीं। शक्ति के सामूहिक एकीकरण से दुर्गा उत्पन्न हुई। उन्होंने ने महिषासुर का वध किया। वे महिषासुर मर्दनी कहलायीं।
देवी दुर्गा, संघटन की प्रतीक हैं। इसलिये उनके रूप का वर्णन है कि उनके सहस्त्र सिर और असंख्य हाथ हैं। यह वास्तव में संघटक के सहस्त्रों सिर और असंख्य हाथ हैं। यह कथा, एकता के महत्व को समझाने के लिये बतायी गयी है। देवताओं को जीत तभी मिली जब उन्होने अपनी ताकत एकजुट की।
इसी तरह से, ऋषि मुनियों ने अलग अलग महत्व को समझाने के भिन्न भिन्न देवी देवता को गढ़ा और उनकी कथायें बनायी।
आशा है तुम समझ सकी होगी कि इतने भगवान के रूप और कथायें होने का बाद भी, हिन्दू उलझन में क्यों नहीं पड़ते।
उन्मुक्त
आप शायद अगस्त २००९ में न्यूज़वीक में, हिन्दू धर्म से संबन्धित लेख 'अब, हम सब हिन्दू हैं' (We Are All Hindus Now) पढ़ना चाहें।
पुनः लगता है कि इस चिट्ठी में कुछ बातें स्पष्ट नहीं हो पायीं जैसा कि मेरे अज्ञात मित्र की टिप्पणी से लगता है। मैं यहां उसे स्पष्ट करना चाहूंगा।
- मैंने यह चिट्ठी, अपनी छोटी ऑस्ट्रियन ईमेल मित्र की हिन्दू धर्म के बारे में जिज्ञासा शान्त करने के लिये, उसे लिखा था। मैंने उसे, अपनी समझ के अनुसार, हिन्दू धर्म के बारे में लिखा था। बाद में, मुझे लगा कि शायद और लोग भी इसे पढ़ना चाहें, इस लिये इसे हिन्दी में अनुवाद कर पोस्ट कर दिया।
- इसी बीच न्यूज़वीक का लेख भी पढ़ लिया था चूंकि वह हिन्दू धर्म के बारे में है इसलिये उसकी भी लिंक दे दी।
- मेरी चिट्ठी में स्पष्ट लिखा है कि मैं अज्ञेयवादी हूं। मैं पूजा-पाठ में नहीं विश्वास करता। मेरी मां भी विश्वास नहीं करती थीं। यदि आप धर्म के बारे में, मेरे विचार जानना चाहते हैं तो आप मेरी चिट्टी मेरे जीवन में धर्म का महत्व में पढ़ सकते हैं। यह मेरी सबसे प्रिय चिट्ठी है। इसे मैंने अनुगूंज के लिये लिखा था।
- धर्म के बारे में मेरी लिखी चिट्ठी कुछ लोगों को पसन्द आती होगी क्योंकि यह मुझे कभी कभी अन्तरजाल कई नामों से मिल जाती है। उसमें एक जगह यह भी है।
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सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. his will take you to the page where file is. Click where ‘Download’ and there after name of the file is written.)
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बताये गये चिन्ह पर चटका लगायें या फिर डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लें।
सांकेतिक शब्द
Aesop, Aesop's fables, United we stand, divided we fall, secularism, Durga, Hinduism,
culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो,
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आपकी बातों से पूर्ण सहमत .. हिन्दू धर्म हिन्दुस्तान में रहने की एक जीवनशैली है .. और इसका इस ढंग से विकास किया गया है कि .. किसी भी क्षेत्र को नुकसान न हो .. इसमें मूर्ति पूजा किए जाने का कारण मूर्ति कला को विकसित करना भी हो सकता है !!
ReplyDeleteलीसा को आपने सहज सरल तरीके से हिन्दू धर्म के बारे में में बताया ! मगर हिन्दू धर्म (यदि यह धर्म है या नहीं है तब भी ) को व्याख्यायित करना सहज नहीं है -
ReplyDeleteयहाँ कोई भी परिभाषा /व्याख्या अंतिम नहीं है ! इदिमित्थम कही सकई न कोई ....मतलब यही अंतिम सत्य है इसे कोई कह नाहे सकता !
हिन्दू को किसी फ्रेम में बंद नहीं किया जा सकता -यहाँ विचारों और आचरण की जो स्वच्छन्दता है वह देव दुर्लभ है ! मांस खाएं ,शराब पीयें , जुआ खेलें ,धूम्रपान करें या यह सब न करें आप तब बनही हिन्दू बने रह सकते हैं ! याहन तक की ईश्वर को न मने तब भी -या ईश्वर को साकार माने या निराकार -आप हिन्दू हो सकते हैं ! चिंतन की यह स्वतंत्रता क्या कोई और धर्म देता है !
मैं तो अक्सर यही सोचता हूँ की मैं कितना धन्य हूँ हिन्दू होकर अगर मुसलमान होता तो जबरिया अल्लाह मियाँ को मानना पड़ता -नहीं तो काफिर हो जाता -हा हा हा !
बहुत सुन्दर और सरल ढंग से सही व्याख्या की है आपने बहुत बहुत बधाई और आभार्
ReplyDeleteन्यूजवीक का आर्टिकल पसंद आया. बाकी पोस्ट तो पसंद आई ही.
ReplyDeleteलीसा को आपने बहुत अच्छी तरह से समझाया। अरविंद जी की बात भी सही है। हिन्दुत्व या हिन्दू धर्म बहुत व्यापकता लिये है। इसे धर्म के तौर पर समझनेवालों को यह समझाना ज्यादा आसान है कि इसका दायरा उससे भी ज्यादा बड़ा है :)
ReplyDeleteएक सम्पूर्ण जीवनशैली है यह।
अच्छा लगा। न्यूजवीक की कड़ी भी देखता हूं।
सलीम भाई , जरा सोचिये आपके मरने के बाद आपको पता चलता है .... की इश्वर जैसी कोई चीजे कभी थी ही नहीं, और धर्म नाम की चीज का कोई अस्तित्व था | मरने जीने का चक्र चलता रहता है अनंत काल तक और विभिन्न ग्रहों पे और इसको इश्वर/ अल्लाह नाम का कोई तत्त्व/ ज्ञान संचालित नहीं करता | और आपको पता चलता है की जो भी प्रचार किसी भी धर्म का आपने किया वो बेकार था जिन भी चीजों की लिए आप लादे वो उसी दुनिया का विचार था और वो वही तक सिमित था ............. तो जो ये इसलाम / हिन्दू के विचार आप कॉपी करते है और जबरजस्ती लिखते है उन का कोई महत्व नहीं होगा, क्यों सही है न ? ................... ना आपकी kuran न मेरी geeta मुझे इश्वर/ अल्लाह दिखा/ महसूस करा सकती है ना ही ऐसा कुछ है | सिर्फ एक concept के पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे है | जाईये जिंदगी का आनंद उठाईये वही इश्वर है ........ और किसी को दुःख न पहुचना ही धर्म है ........................
ReplyDeleteमेरे अज्ञात मित्र,
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी का सन्दर्भ कुछ कम समझ में आया। यह सलीम भाई कौन हैं?
यह चिट्ठी मैंने अंग्रेजी में ईमेल मित्र को उसके हिन्दू धर्म के बारे में पूछे जाने पर लिखी थी। बाद में लगा शायद अन्य लोग भी पसन्द करें इस लिये यहां पोस्ट बना के लिख दी। तब तक न्यूज़वीक का लेख भी पढ़ लिया था। यह भी कुछ हिन्दू धर्म से संबन्धित था इसलिये यहां उसका लिंक डाल दिया।
जहां तक मेरी बात है, जैसा मैंने लिखा है अज्ञेयवादी हूं। भगवान ईश्वर मेरे परे है। मैं किसी पूजा-घर नहीं जाता और न ही मेरे घर में पूजा होती है। उसके बिना भी, अपना जीवन आनन्द से बिता रहा हूं।
यदि धर्म के बारे में मेरे विचार जानना चाहते हैं तो आप मेरी चिट्टी मेरे जीवन में धर्म का महत्व में पढ़ सकते हैं। यह मेरी सबसे प्रिय चिट्ठियों में से है। इसे अनुगूंज के लिये मैंने लिखा था।
मेरा ईमेल का पता यह है। मुझे आपसे ईमेल पर भी बात कर प्रसन्नता होगी।
हिंदू-धर्म सनातन-धर्म है। सनातन अर्थात निरंतर/ गतिशील। गति परिवर्तन करती है इसलिए सनातन/हिंदू-धर्म कठोर और जकड़ा हुआ नहें है।
ReplyDeleteहिन्दू जीवन शैली ही है। जिस में सभी उन धर्मों के लिए स्थान है जो दूसरे धर्मों को भी आदर दे सकते हैं। आप ने संक्षेप में बहुत अच्छी समझ दी है, जिस की भारत में अधिक आवश्यकता है।
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