Friday, September 11, 2009

विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं

डार्विन के विकासवाद सिद्धांत को पढ़ाने पर स्कोपस् के विरूद्व बीसवीं शताब्दी में दाण्डिक मुकदमा चला। इसे मन्की ट्रायल (Monkey trial) के रूप में भी जाना जाता है। पिछली बार, हमने इसी की चर्चा की थी। इस बार चर्चा करेंगे उस मुकदमें जिसने इस फैसले से मिली शर्म को दूर किया। 
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मंकी ट्रायल का फैसला लगभग चालिस साल तक लागू रहा। अमेरिका के कई राज्यों में, डार्विन के विकासवाद  सिद्धांत को पढ़ाने से मना करने वाले कानून चलते रहे।  ऐरकेनसाज़  (Arkansas) भी अमेरिका का  राज्य है। इसमें भी इस तरह का कानून था।  

 सूसन एपर्सन, लिटिल रॉक (पुलास्की कॉउंटी) के सेन्ट्रल हाई स्कूल {Central High School in Little Rock (Pulaski County)} में जीव विज्ञान की अध्यापिका थीं। उन्होंने डार्विन के विकासवाद  सिद्धांत को पढ़ाने से मना करने वाले कानून को चुनौती दी।

 सूसन एपर्सन का यह चित्र यहां से लिया गया है।

अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय  ने  इस कानून को सर्वसम्मति से एपर्सन बनाम ऎरकेनसाज़ (Epperson V Arkansas:  393 US 97: 21 LEd 2d 228) में गैरकानूनी  ठहराया। न्यायालय ने दिनांक १२ नवम्बर, १९६८  के फैसले में  कहा, 
'Arkansas' law cannot be defended as an act of religious neutrality. Arkansas did not seek to excise from the curricula of its schools and universities all discussion of the origin of man. The law's effort was confined to an attempt to blot out a particular theory because of its supposed conflict with the Biblical account, literally read. Plainly, the law is contrary to the mandate of the First, and is violation of the Fourteenth, Amendment to the Constitution.'

ऐरकेनसाज़ राज्य के कानून का बचाव, यह कह कर नहीं किया जा सकता है कि यह मज़हब निष्पक्षता का प्रतीक है। यह कानून अपने राज्य में प्राणियों के उत्पत्ति के बारे में पढ़ाने के लिए नहीं मना करता है। यह कानून उस सिद्धांत को पढ़ाने के लिए मना करता है जो बाईबिल के विरूद्ध है। यह न केवल पहले पर चौदहवें संशोधन के अन्दर असंवैधानिक है।

इस मुकदमें के निर्णय के साथ, अमेरीकी न्यायालय ने अपने ऊपर लगे धब्बे को साफ किया। लेकिन अमेरिका में इस ईसाई धर्म के अनुयायी लोगों ने, अपनी बात को कानूनी  जामा पहनाने का दूसरा रास्ता अपनाया। क्या था यह रास्ता क्या उसमें सफलता मिली -  अगली बार, हम लोग उसी की चर्चा करेंगे।

डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े 
भूमिका।। डार्विन की समुद्र यात्रा।। डार्विन का विश्वास, बाईबिल से, क्यों डगमगाया।। सेब, गेहूं खाने की सजा।। भगवान, हमारे सपने हैं।। ब्रह्मा के दो भाग: आधे से पुरूष और आधे से स्त्री।। सृष्टि के कर्ता-धर्ता को भी नहीं मालुम इसकी शुरुवात का रहस्य।। मुझे फिर कभी ग़ुलाम देश में न जाना पड़े।। ऐसे व्यक्ति की जगह, बन्दरों से रिश्ता बेहतर है।। विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है।। समय की चाल - व्यवस्था से, अव्यवस्था की ओर।। मैंने उसे थूकते हुऐ देखा है।। यदि विकासवाद जीतता है तो इसाइयत बाहर हो जायगी।। विकासवाद पढ़ाना मना करना, मज़हबी निष्पक्षता का प्रतीक नहीं।।



About this post in Hindi-Roman and English
vikaasvadd padhhaane ke kanoon ko, Eperson banaam Arkansas ke nirnay mein gair-kanooni ghoshit kiya gayaa. is chitthi mein isee kee charchaa hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

Anti-evolution laws were declared unconstitutional in Epperson V Arkansas. This post talks about the same.  It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक चिन्ह
Epperson V Arkansas, Epperson V Arkansas



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3 comments:

  1. लेखनी प्रभावित करती है.

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  2. यह विवाद आज भी अमेरिका में नहीं थमा है -वह सृजन्वादियों की शरणस्थली बन बैठा है ! अब उनका 'इंटेलिजेंट डिजाईन का दावा विकासवाद से लोहा ले रहा है !

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  3. Rochak aalekh hai.Shubkamnayen.

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