Friday, August 27, 2010

रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे

राजेन्द्र कुमार के साथ चाय का आनन्द
इस चिट्ठी में मनाली में एक रोचक व्यक्ति राजेन्द्र कुमार से मुलाकात।

हम जब मनाली में, वन विहार से बाहर निकल कर, रोड़ पर जा रहे थे तब एक मारूति कार रुकी। उसे चला रहे व्यक्ति ने पूछा, 
'क्या आपको गाड़ी चाहिए।'
मैनें पूछा कि आप मुझे गाड़ी किराये पर देंगे तो क्या ड्राइवर भी साथ में रहेगा या मुझे चलाने के लिए देंगे उसने कहा,
'यदि आप चाहेंगे तो ड्राइवर भी दिया जायेगा और केवल गाड़ी लेना चाहेंगे तो गाड़ी अकेले भी दी जा सकती है।'
मैंने कहा कि यदि मैं गाड़ी लेकर भाग गया तब। उसने कहा,
'आप देखने से बहुत सभ्य लगते हैं। आप नहीं भागेंगे।'
फिर मुस्करा कर बोला
'यहां से बाहर जाने का एक ही रास्ता है आप जायेंगे कहां?'
मुझे वह व्यक्ति थोड़ा सा रोचक लगा।  मैंने कहा कि आइये चाय पर बात करते है।  हम लोग चाय पीने बगल के एक रेस्त्रां में गये।
इस व्यक्ति ने अपना नाम राजेन्द्र कुमार बताया और कहा, 
'मेरी पत्नी अस्पताल में नर्स है। हमारा डेढ़ साल का एक बच्चा है। मैं एलआईसी का एजेंट हूं और टैक्सी से लोगों को जगहें घुमाने का भी काम करता हूं।'
हम लोगों ने काफी देर बात की मैने उससे पूछा कि आप सड़क पर चलते हुए पूछ रहे थे। क्या आप किसी होटल से नहीं जुड़े हैं या क्या कोई ऎसी जगह नहीं है जहां पर आपकी टैक्सी का रजिस्ट्रेशन होता हो ताकि लोग आपको बुला सकें।
 

राजेन्द्र जी ने बताया,
'ऐसा होता है। लेकिन कभी कभी ऐसे भी लोग मिल जाते है। इसलिए मैंने आपसे पूछा।'
मैंने उसको सुझाव दिया कि आप क्यों नहीं सारी सूचना अन्तरजाल पर डालते  और अपने बारे में लिखते हैं। इसमें किराये को भी लिखे। मैंने उसे अपनी साउथ अफ्रीका की यात्रा के बारे में बताया कि कैसे अंतरजाल पर हमने क्रुगर पार्क घूमने का इंतज़ाम किया था। उसने कहा,
'विचार तो अच्छा है। मैं स्वयं बहुत दिनों से कंप्यूटर लेने की बात सोच रहा हूं।'
इसी के साथ हम लोगों ने विदा ली। वह दूसरा ग्राहक ढूंढने के लिए चल दिया और हम लोग अपने होटल आ गये।

अगली बार मनाली के जॉन्सन होटल में स्मोकड ट्राउट और शाकाहरी पास्ता खाने चलेंगे।

देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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3 comments:

  1. यही बात तो जीवन पर भी लागू होती है। हमारे कर्मों का एक ही रास्ता है।

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  2. राजेन्द्र जी से मिलवाया. अच्छा लगा. धन्यवाद.

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  3. आपके अनुभवों का बहुत सुन्दर और सरल वर्णन पढ़ने को मिलता है..

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