पॉन्डेचेरी में श्री अरविन्दो आश्रम एक विद्यालय चलाता है। इस चिट्ठी में उसी की चर्चा है।
विद्यालय के स्नातक छात्र, चोल वंश के राजा द्वारा स्थापित वृहद मन्दिर के, शैक्षिक भ्रमण पर |
अरविन्दो आश्रम का स्कूल केजी स्तर से शुरू होकर विश्वविद्यालय स्तर तक का है। यह एक अनूठा स्कूल है। इसमें करीब चार सौ बच्चे है और पढ़ाने वाले करीब २५० लोग यानी दो विद्यार्थी के ऊपर एक अध्यापक। मुझे यह भी बताया गया कि कभी-कभी ऎसा भी होता है कि पढ़ाने वाले ज्यादा होते हैं और पढ़ने वाले कम। इस स्कूल में कोई भी परीक्षा नहीं होती है। विद्यार्थियों को इस बात की स्वतंत्रता रहती है कि वह क्या और किससे पढ़ना चाहता है। वह इस बात का चुनाव कर सकते है। यहां पर कोई डिग्री नहीं मिलती है। यह इसकी सबसे बड़ी कमी है।
मैं इनके स्कूल को भी देखने गया वहां पर देखा कि अलग अलग जगहों पर लड़के बैठे हुए थे और पढ़ाई कर रहे थे कुछ लाइब्रेरी में थे। छोटे बच्चों के लिए नियमित क्लास भी चल रही थी। इसमें ९-१० बच्चे थे। वहां का वातावरण भी मुझे अच्छा लगा।
१९६० के दशक में यूजीसी ने एक राजाज्ञा जारी की थी जिसमें यह लिखा था कि जिन बच्चों को यह स्कूल प्रमाणित कर देगा, वे यूनियन पब्लिक सर्विस की परीक्षा में बैठ सकते हैं। यानी कि वह कम से कम स्नातक के डिग्री के बराबर है। इस राजाज्ञा को मानकर कुछ विश्वविद्यालय इस सर्टिफ़िकेट को स्नातक की डिग्री मान लेते हैं और मास्टर डिग्री में पढ़ने के लिए अनुमति दे देते है। लेकिन कुछ विश्वविद्यालय इसे नहीं भी मानते है। यह ज़रूर इस विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए मुश्किल की बात होगी। हालांकि, यहां पर पढ़ाई करने का तरीका पसंद आया।
मैं स्वयं इस तरह के विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहता या मुन्ने को पढ़ने के लिए भेजता। लेकिन चूंकि डिग्री नहीं मिलती है। इसलिए शायद इतना बड़ा जोखिम न लेता।
यह सच है कि शिक्षा प्राप्त कर भी लोग बेकार हो जाते है और बिना शिक्षा प्राप्त किये लोग जीवन में उठ जाते है। बिल गेट्स, स्टीफ़न जॉबस् के पास विश्वविद्यालय की कोई डिग्री नहीं है। फिर भी वे दुनिया के सफलतम व्यक्तियों में से हैं। यह भी सच है कि इस स्कूल के पढ़े हुए पुराने छात्र अच्छा कर रहे हैं। लेकिन, यह अपने आप में प्रश्न है कि यदि आपके पास डिग्री न हो, तब एक आम व्यक्ति अपने देश में क्या कर पायेगा?
यह चित्र शौम्मो सेनगुप्ता की पिकासा वेबसाइट के सौजन्य से है। |
इस विद्यालय के, स्नातक स्तर के, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के छात्रों से मेरी मुलाकात हुई। उनसे उनसे बात चीत करने में पता चला कि ज्यादातर लोग वहां भाषा की पढ़ाई कर रहे थे और वे लोग एमबीए करना चाहते थे। मैंने पूछा कि क्या वह आईआईएम की परीक्षा में बैठ सकेगें। उनका कहना था कि नहीं। यानी हिंदुस्तान के सबसे अच्छे एमबीए के कॉलेज में वे लोग नही बैठ सकते है फिर ऐसे विश्वविद्यालय से एमबीए करना जिसकी कि डिग्री द्वितीय या तृतीय श्रेणी की हो उससे क्या फायदा होगा। यदि अपना कोई रोज़गार करना चाहता है तब अलग बात है।
दक्षिण में चोल राजवंश ने ९वीं से १४वीं शताब्दी तक राज्य किया। उन्होंने वृहद ईश्वर मंदिर बनवाया। अगली बार, इस मन्दिर को, इस विद्यालय के छात्रों के साथ देखने चलेंगे।
मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा
हो सकता है कि लैपटॉप के नीचे चाकू हो।। कोबरा मेरे हाथ पर लिपट गया।। घोड़ा डाक्टर, गायों और भैंसों की लात खाते थे।। पॉन्डेचेरी फ्रांसीसी कॉलोनी थी।। शाम सुहानी लग रही थी।। महिलाएं बेवकूफ़ बन रही हैं।। पैंतालिस मिनट में पांच हजार लोगों का खाना।। यह स्कूल अनूठा है।।हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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स्कूल तो अच्छा लगा लेकिन बात ले-देकर वहीं आ गयी-डिग्री का क्या होगा?
ReplyDeleteमहानता के लिये डिग्री की बाध्यता नहीं है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट. अब मेरी अभिलाषा इस स्कूल और इस शिक्षा पद्धति को देखने की है.
ReplyDeleteवैसे डिग्री के बिना पढाई जोखिम कतई नहीं होती, बल्कि बहुत आनन्ददायक होती है
वैसे अगर डिग्री आप्शनल कर दी जाये तो बहुत अच्छा हो. मतलब यह कि आपके पास डिग्री हो या न हो यदि आप एप्टीट्यूड टेस्ट पास कर लेते हैं तो व्यवसाय/नौकरी के काबिल हो जायें...
ReplyDeleteयह स्कूल अनूठा है, कोई शक नही ! इसके विद्यार्थी किसी अन्य स्कूलों से बेहतर होंगे इसमे भी कोई शक नही ।
ReplyDeleteलेकिन समस्या वही है, भारतीय समाज और व्यवस्था किसी भी नौकरी के लिए डिग्री चाहता है।
यदि इस स्कूल के विद्यार्थी स्वयं का उद्योग खोले तो उनके लिए सारा आकाश छोटा है।
स्कूल तो सचमुच में अनूठा है।
ReplyDeleteडिग्री की ज्यादा वैल्यू क्यों है, अनुभव की क्यों नहीं?
प्रशासन की वैल्यू क्यों है, तकनीक की क्यों नहीं?
प्रणाम
शिक्षा पाने का उद्देश्य क्या डिग्री ही है?
ReplyDeleteIs school ke bare me sun to rakkha hai!
ReplyDeleteHolee kee dheron shubhkamnayen!
मुझे अपने बच्चों के लिये ऐसे स्कूल की तलाश है। और जानकारी कैसे मिल सकती है, मसलन दाखिला कैसे होगा, खर्च कितना है आदि आदि। और यदि उत्तर भारत के किसी ऐसे संस्थान के बारे में भी बता सकें तो आभारी रहूँगा।
ReplyDeleteअपेक्षा ज्यादा ही कर रहा हूँ सर, लेकिन अगर बता सकें तो मेरी मेल आई डी पर कृपया जानकारी भेजने का कष्ट करें।