रात में, पॉन्डेचेरी का समुद्र तट |
आज़ादी मिलने से पहले, भारत में पांच अलग अलग जगहों पर फ्रांसीसी राज्य था - केरैकल (Karaikal), यनम (Yanam), माहे (Mahe), चन्द्र नगर, और पॉन्डिचेरी। ये जगहें एक दूसरे से मिले हुए नहीं थे।
चन्द्र नगर कलकत्ता के पास था। १९४८ में ही यहां के लोगों ने भारत के साथ रहना स्वीकार किया और इसे पश्चिम बंगाल के साथ ही जोड़ दिया गया।
बाकी चार जगहों का संचालन फ्रांस के पास ही रहा। १९५४ में, भारत सरकार का फ्रांसीसी सरकार के साथ अनुबंध हो गया और यह जगहें तथ्यत: (de facto) रूप में, हमारे साथ जुड़ गयीं। लेकिन क़ानूनी तौर (De jure) पर नहीं जुड़ी थीं।
१६ अगस्त १९६२ को, यह जगहें कानूनी तौर से भारत से जुड़ गयीं और इन चारों जगहों को मिलाकर पॉन्डिचेरी यूनियन ट्रेरिटरी बनाई गयी। यहां से लोक सभा की एक और राज्य सभा में एक सीट है। इसमें कुल ३० विधायक हैं। यह ३० विधायक, चारों जगहों पर यह इस प्रकार बटें हैं ―
- केरैकल तमिलनाडु से घिरी हुई जगह है और पॉन्डिचेरी से लगभग १६५ किमी दूर है। यहां से पांच विधायक आते हैं;
- यमन आंध्रप्रदेश से घिरी हुई जगह है। यह पॉन्डिचेरी से लगभग एक हजार किमी दूर है और यहां से एक विधायक की सीट है;
- माहे, केरल से घिरा हुआ राज्य है और पॉन्डिचेरी से ७०० किमी दूर है और यहां विधायको की दो सीटें है;
- बाकी सारे पॉन्डिचेरी से आते हैं।
मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा
हो सकता है कि लैपटॉप के नीचे चाकू हो।। कोबरा मेरे हाथ पर लिपट गया।। घोड़ा डाक्टर गायों और भैंसों की लात खाते थे।। पॉन्डेचेरी फ्रांसीसी कॉलोनी थी।हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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कलात्मक तस्वीर.
ReplyDeleteजी इंतज़ार रहेगा -मगर कभी कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर भी न बोला करिए उन्मुक्त जी!अब आप कहेगें कि हम तो हमेशा विवाद ही आकर्षित करते रहते हैं :)
ReplyDeleteजीवन में बौद्धिक फलक का नितांत एक निश्चित फलक सा बनाए रखना क्या उचित है ? या बौद्धिकता और उत्पादकता के लिए यही आवश्यक है ?
इस मुद्दे पर आपका विचार विस्तार से जानना चाहूँगा ?
बहुत अच्छी जानकारी. मुझे पता नहीं था.....कोई रेफेरेंस नहीं मिला इस पोस्ट पर..शायद मैं ढूंढ नहीं पाया...
ReplyDeleteधन्यवाद.
रूचिकर जानकारी, आभार।
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जीवन के लिए युद्ध जरूरी?
आखिर क्यों बंद हुईं तस्लीम पर चित्र पहेलियाँ ?
अब तो माहे को केरल और यानम को आन्ध्र प्रदेश में जोड देना चाहिये।
ReplyDeleteआगे की पोस्ट का इंतज़ार है. यह जानकारी भी मेरे लिये नयी थी कि पोन्डिचेरी में यह सब स्थान भी मिले हैं. पर अब तो भारत में विलय हुये काफी साल हो गये. सो नीरज का कहना भी ठीक है. प्रशासनिक और भौगोलिक दोनों की यही सहूलियत होगी .
ReplyDeleteइतना बिखरा है पांडिचेरी का स्वरूप। अधिक जानने की प्रतीक्षा है।
ReplyDeleteलिखें, प्रतीक्षा है..
ReplyDeleteरोचक जानकारी
ReplyDeleteआपका ब्लॉग किसी और पेज को रीडायरेक्ट कर दे रहा है कभी कभी ! पोंडिचेरी के बारे में अच्छी जानकारी. औरबिन्दो आश्रम के प्रति जानने की उत्सुकता है.
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