Monday, March 09, 2009

अगले जनम मोहे बिटिया दीजो

यह चिट्ठी ई-पाती श्रंखला की कड़ी है। यह श्रंखला, नयी पीढ़ी की जीवन शैली समझने, उनके साथ अपनी दूरी कम करने, और उन्हें जीवन के मूल्यों को समझाने का प्रयत्न है।

१९७६ में एक फिल्म, 'कभी-कभी' आयी थी। इसका निर्देशन यश चोपड़ा ने किया था। इसके मुख्य कलाकार अमिताभ बच्चन, शशी कपूर, रिशी कपूर, राखी, वहीदा रहमान और नीतू सिंह थे। यह एक बेहतरीन फिल्म थी। इसका एक और कारण उसका संगीत भी था जिसे खय्याम ने दिया था। इसके गाने मन भावन हैं।



इस फिल्म में एक गाना 'मेरे घर आयी एक नन्हीं परी' है। इसे साहिर लुधियानवी ने लिखा है और लता मंगेशकर ने गाया है। फिल्म में यह अमिताभ के द्वारा अपनी बेटी के लिये लिखी कविता है। फिल्म में अमिताभ और वहीदा पति पत्नी हैं और वहीदा इसे गाती है। गाने के समय, वहां पर न केवल वहीदा और अमिताभ की पुत्री है पर वहीदा की शादी के पहले हुई, पुत्री भी है। यह उस समय की स्थिति को भी बयान करती है। मुझे यह गाना अच्छा लगता है। आज इसे सुनने का मन हुआ तो इसे चिट्ठी में पोस्ट कर दिया ताकि जब मन आये तो इसे सुन सकूं। आप भी इसका आनन्द लीजिये।




'उन्मुक्त जी, यह गाना तो बहुत प्यारा है पर आज आपको इस गाने की क्यों याद आयी?'
अच्छा सवाल है - मुझे इसकी क्यों याद आयी।

अरे भाई, अरे बहना - मुझे इसकी याद इसलिये आयी क्योंकि आज के ही दिन एक नन्ही सी परी - मेरे घर तो नहीं पर किसी और के घर आयी थी। मेरे घर तो वह बसंत पंचमी के दिन आयी। तब तक वह प्यारी सी युवती हो चुकी थी।


काम भी जरूरी है पर व्यक्तिगत संबन्धों पर विश्वास करना, उनका मज़बूत होना भी जरूरी है।


बिटिया रानी
हम लोग आज कुमाराकॉम जिला कोट्टायम केरल में हैं। यह एक पर्यटन का स्थान है। यहां पर पक्षीशाला है और अप्रवाही जल (Backwater) में नौका विहार की सुविधा है। शाम को हम लोग नौका विहार के लिये जायेंगे और कल सुबह पक्षीशाला जाने का विचार है।

यहां से हम लोग कोवलम समुद्र तट जायेंगे और वहां पर कुछ दिन रहेंगे। त्रिवेंदम में मुझे कुछ काम भी है। इसी बीच कन्याकुमारी भी जायेंगें। मैं जल्द ही इस यात्रा के बारे में लिखूंगा।


क्या आज के दिन तुम अकेली हो या मुन्ना तुम्हारे पास है - ख्यालों में नहीं, वास्तविकता में :-)


मुझे मालुम है कि काम के कारण तुम दोनो साथ नहीं रह पा रहे हो - काम भी जरूरी है। कुछ पाने के लिये कुछ तो त्यागना पड़ता है। लेकिन जब भी छुट्टी मिले तो साथ रहो। भारत भी आओ तो साथ साथ ही। यह समय तुम दोनो को एक दूसरे को समझने का, विश्वास कायम करने का है - जितना साथ रहोगे, यह कर पाना उतना ही आसान रहेगा।

काम के साथ, व्यक्तिगत संबन्धों पर विश्वास करना, उनका मज़बूत होना भी जरूरी है।


लिखना कि आज के दिन तुमने क्या किया। क्या प्रयोगशाला में ही बैठी रहीं या फिर कुछ और भी किया।पापा








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About this post in Hindi-Roman and English
yeh post ee-paaati shrnkhla kee kari hai. yeh nayee peedhee ko smjhne, unse dooree kum karne, aur unhein jeevan ke moolyon smjhaane ka praytna hai. yeh {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is part of e-paati (e-mail) series and is an attempt to understand the new generation, bridge the between gap and to inculcate right values in them. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
birthday, जन्मदिन
culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो,

7 comments:

  1. होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

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  2. इतना प्यारा गीत सुनवाने का शुक्रिया ।

    आपको और आपके परिवार को होली मुबारक ।

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  3. गीत के लिए शुभ कामनाएँ और जिस ने यह गीत सुनाने की प्रेरणा दी उसे जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई।

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  4. ओह! मुझे अपनी बिटिया याद आ गयी। वह सचमुच परी जैसी है।

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  5. सुँदर गीत - जिनके लिये याद किया उन्ह भी बधाई
    और्,
    महिला दिवस व होली पर्व की सपरिवार शुभकामनाएँ आपको

    - लावण्या

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  6. गीत सुनवाने एवं उसकी याद दिलाने के लिए आभार।

    होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

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  7. mere papa mere liye ye gana gate hain aksar..

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