इस चिट्ठी में, होप डायमंड (Hope Diamond) की चर्चा है।
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चित्र विकिपीडिया से |
यह पता नहीं चलता कि कि होप डायमन्ड को किसने और कब निकाला, पर कहा जाता है कि यह ७वीं शताब्दी में गोलकुण्डा के गुंटूर जिले की कोल्लूर खदानों (Kollur Mine) में मिला था। ।
यह ४५.५२ कैरेट (९.०१) ग्राम का, गाढ़े नीले रंग का हीरा है। इसे राबैगंनी (Ultra-violet) में रखने के बाद, यह अंधेरे में भी लाल रंग के प्रकाश से जगमगाता है। इससे पता चलता है कि इसमें कुछ बोरोन और नाइट्रोजन है।
इस हीरे के साथ श्राप का मिथक भी जुड़ा है। यह अपने मालिक के लिए हमेशा विपत्ति एवं दुर्भाग्य लाता है कहा जाता है कि यह हीरा देवी सीता की आंख था और वहीं से इसे चोरी किया गया था और उसी के कारण यह श्राप ग्रसित है।
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार इसको फ्रांसीसी व्यापारी बैपतिस्त ता वर्नीयर (Gen-Baptist Ta-vernier) ने सबसे पहले प्राप्त किया। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसने इसकी चोरी की थी या इसे ख़रीदा था। वही इस हीरे को पेरिस लाया।
वर्नीयर ने इस हीरे को लुई चौदह को १७६८ में बेच दिया। यह हीरा बाद में लुई सोलह के खज़ाने में पहुंचा लेकिन लुई सोलह और उसकी पत्नी मैरी को १७९३ में गेलेटीन कर (मार) दिया गया। लोगों का कहना है कि यह होप डायमंड श्राप ग्रसित होने के कारण हुआ।
यह स्पष्ट नहीं है कि लुई सोलह के खज़ाने से हीरा कहां गया पर अन्तत: यह एक अमेरिकी के हाथ में पहुंचा। उसके बाद, इसे स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम आफ नेशनल हिस्ट्री को दान में दे दिया गया। जहां पर यह इस समय है। मेरे विचार से, इसी दान के साथ इसका श्राप भी समाप्त हो गया।
इस हीरे की कहानी, किसी हॉलीवुड या बॉलीवुड फिल्म कहानी के मसाले कम नहीं है पर इस पर अभी तक कोई भी फिल्म नहीं बन पायी। लेकिन, शायद यह सच न हो।
आरएमएस टाइटैनिक (RMS Titanic) यात्रियों को ले जाने वाले पानी का जहाज था। इसने अपनी पहली और अन्तिम यात्रा, १० अप्रॆल १९१२ को साउथऍमटन (Southampton) इंग्लैंड से न्यूयॉर्क के लिए शुरू की।
दुर्भाग्यवश, १५ अप्रेल १९१२ को, एक हिमशैल से टकरा
जाने के कारण, यह पानी का जहाज समुद्र में डूब गया। इस पर काम करने वालों को मिलाकर कुल २२२३
लोग थे। इसमें १३१४ लोगों की मृत्यु हो गयी
इस यात्रा पर, एक युगल प्रेमी पति-पत्नी की तरह यात्रा कर रहा था। प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को एक नीला हीरा जिसका नाम हार्ट ऑफ ओशन (Heart of the ocean) उपहार में दिया था। घटना में प्रेमी की मृत्यु हो गयी थी लेकिन प्रेमिका हीरे के साथ बच गयी थी।
इस घटना पर ,१९९७ में टाइटैनिक नामक फिल्म बनी है। फिल्म में, मसाले के लिए, इस जोड़े के साथ एक अन्य व्यक्ति की रूमानी कथा जोड़ दी गयी है। वास्तव में कोई और व्यक्ति इस जोड़े के बीच में नहीं था और न ही इस नीले हीरे (Heart of the Ocean) के साथ कोई श्राप जुड़ा हुआ था। लेकिन फिल्म में, इस नीले हीरे के साथ श्राप जुड़ा हुआ बताया गया।
क्या मालुम फिल्म में, नीले हीरे के श्राप की बात, होप डायमंड से के कारण जोड़ दी गयी हो।
अगली बार इस श्रृंखला की अन्तिम कड़ी में, बात करेंगे, हरे ड्रेस्डेन हीरे की।
गोलककोण्डा किला और विश्वप्रसिद्ध हीरे
भूमिका।। गड़ेरिया की पहाड़ी यानि गोलकोण्डा।। कोहिनूर हीरा -पुरषों की लिये विपदा।। हिन्दुस्तानी गुलाबी हीरे, ईरान की शान।। नेपोलियन की तलवार में जड़ा - भारतीय हीरा।। भारतीय हीरा - स्पेन की राजकुमारी का दहेज।। विष्णु की आंख, बनी बनी रूस का राजदण्ड।। ब्रह्मा की आंख - शापित?।। सीता मैया की आंख चोरी - श्राप तो लगेगा ही।।
About this post in Hindi-Roman and English
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इस हीरे के साथ श्राप का मिथक भी जुड़ा है। यह अपने मालिक के लिए हमेशा विपत्ति एवं दुर्भाग्य लाता है कहा जाता है कि यह हीरा देवी सीता की आंख था और वहीं से इसे चोरी किया गया था और उसी के कारण यह श्राप ग्रसित है।
ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार इसको फ्रांसीसी व्यापारी बैपतिस्त ता वर्नीयर (Gen-Baptist Ta-vernier) ने सबसे पहले प्राप्त किया। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसने इसकी चोरी की थी या इसे ख़रीदा था। वही इस हीरे को पेरिस लाया।
वर्नीयर ने इस हीरे को लुई चौदह को १७६८ में बेच दिया। यह हीरा बाद में लुई सोलह के खज़ाने में पहुंचा लेकिन लुई सोलह और उसकी पत्नी मैरी को १७९३ में गेलेटीन कर (मार) दिया गया। लोगों का कहना है कि यह होप डायमंड श्राप ग्रसित होने के कारण हुआ।
यह स्पष्ट नहीं है कि लुई सोलह के खज़ाने से हीरा कहां गया पर अन्तत: यह एक अमेरिकी के हाथ में पहुंचा। उसके बाद, इसे स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम आफ नेशनल हिस्ट्री को दान में दे दिया गया। जहां पर यह इस समय है। मेरे विचार से, इसी दान के साथ इसका श्राप भी समाप्त हो गया।
इस हीरे की कहानी, किसी हॉलीवुड या बॉलीवुड फिल्म कहानी के मसाले कम नहीं है पर इस पर अभी तक कोई भी फिल्म नहीं बन पायी। लेकिन, शायद यह सच न हो।
आरएमएस टाइटैनिक (RMS Titanic) यात्रियों को ले जाने वाले पानी का जहाज था। इसने अपनी पहली और अन्तिम यात्रा, १० अप्रॆल १९१२ को साउथऍमटन (Southampton) इंग्लैंड से न्यूयॉर्क के लिए शुरू की।
आरएमएस टाईटैनिक १० अप्रैल को साउथऍम्टन से यात्रा शुरू करते समय -वित्र विकिपीडिया से |
इस यात्रा पर, एक युगल प्रेमी पति-पत्नी की तरह यात्रा कर रहा था। प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को एक नीला हीरा जिसका नाम हार्ट ऑफ ओशन (Heart of the ocean) उपहार में दिया था। घटना में प्रेमी की मृत्यु हो गयी थी लेकिन प्रेमिका हीरे के साथ बच गयी थी।
इस घटना पर ,१९९७ में टाइटैनिक नामक फिल्म बनी है। फिल्म में, मसाले के लिए, इस जोड़े के साथ एक अन्य व्यक्ति की रूमानी कथा जोड़ दी गयी है। वास्तव में कोई और व्यक्ति इस जोड़े के बीच में नहीं था और न ही इस नीले हीरे (Heart of the Ocean) के साथ कोई श्राप जुड़ा हुआ था। लेकिन फिल्म में, इस नीले हीरे के साथ श्राप जुड़ा हुआ बताया गया।
क्या मालुम फिल्म में, नीले हीरे के श्राप की बात, होप डायमंड से के कारण जोड़ दी गयी हो।
फिल्म के एक दृक्ष्य में, केवल नीले हीरे के साथ, फिल्म की हीरोइन - केट विन्सलेट |
गोलककोण्डा किला और विश्वप्रसिद्ध हीरे
इस श्रंखला की पिछली कड़ी सुनने के लिये ऑडियो प्लेयर के चिन्ह ► पर चटका लगायें।
About this post in Hindi-Roman and English
सांकेतिक शब्द
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चमक के अन्दर भाग्य का अँधेरा..
ReplyDeleteThe heroine of this movie escaped from the mishap due to the positivity of the Hope diamond. :-) Diamonds are girl's best friend !
ReplyDeleteयह हीरा तो सचमुछ छा गया
ReplyDeleteThanks for this informative post.
ReplyDeleteaasaani se sun paai yaha ....shukriya ....is player ke liye....
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी है आपने
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