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दत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर का जन्म १९०५ में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा थाने और पुने में, तथा स्नातक की शिक्षा मुंबई विश्विद्यालय से हुई थी। लेकिन उन्होंने गणित या किसी अन्य विषय में स्नातकोत्तर डिग्री की पढ़ाई नहीं की थी। वे नासिक में स्कूल टीचर थे। उनकी मृत्यु १९८६ में हो गयी।
गणित में उच्च शिक्षा न प्राप्त करने के बावजूद उन्होंने नंबर थ्योरी पर काम किया। कुछ स्थिरांक (constant) और बहुत सी संख्यायें (numbers) उनके नाम से जाने जाते हैं। वे मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में जाने माने व्यक्ति थे।
उच्च शिक्षा न प्राप्त कने के कारण भारत में गणितज्ञों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिये था। उनके पेपर भी निम्न श्रेणी के गणित की पत्रिकाओं में छपते थे। वे गणित के सम्मेलनों में अपने पैसे से जाते थे और अंको पर व्याख्यान देते थे। उन्हें कहीं से पैसों की मदद नहीं मिल पाती थी चूंकि वे केवल स्कूल टीचर थे। उन्हें भारत में सम्मान तब मिला जब उनके बारे में मार्टिन गार्डनर ने साईंटिफिक अमेरिकन के मार्च १९७५ अंक में, उनके बारे में लिखा।
कापरेकर संख्या (Kaprekar number)
५५२ = ५५x५५ = ३०२५
३० + २५ = ५५
इस तरह के अन्य संख्याये हैं - १, ९, ४५, ५५, ९९, २९७, ७०३, ९९९, २२२३, २७२८, ४८७९, ४९५०, ५०५०, ५२९२, ७२७२, ७७७७, ९९९९, १७३४४, २२२२२, ३८९६२, ७७७७८, ८२६५६, ९५१२१, ९९९९९, १४२८५७, १४८१४९, १८१८१९, १८७११०, २०८४९५, ३१८६८२, ३२९९६७, ३५१३५२, ३५६६४३, ३९०३१३, ४६१५३९, ४६६८३०, ४९९५००, ५००५००, ५३३१७०, ... अन्य नंबर यहां देखे जा सकते हैं।
कापरेकर स्थिरांक (Kaprekar constant)
इस संख्या का यह महत्व है, आप कोई ऐसी चार अंकों की संख्या लें, जिसके दो अंक भिन्न हों। संख्या के अंको को आरोही (ascending) और अवरोही (descending) क्रम में लिखें। इससे आपको दो संख्यायें मिलेंगी। बड़ी संख्या को छोटी से घटायें। जो संख्या मिले उस पर फिर से २ नम्बर की प्रक्रिया अपनाये। इसे कापरेकर व्यवहार (Kaprekar's routine) कहा जाता है। इस प्रक्रिया को अपनाने में अन्ततः ६१७४ मिलता है। इसीलिये इसे कापरेकर स्थिरांक कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि हम इस साल २०१२ को लें तब यह प्रक्रिया इस प्रकार होगी।
२२१० - ०१२२ = २०८८
८८२० - ०२८८ = ८५३२
८५३२ - २३५८ = ६१७४
यदि आप ६१७४ पर यह प्रक्रिया आपनाये तब यह इस प्रकार होगा।
७६४१ - १४६७ = ६१७४
इस संख्या के बारे में विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है।
इस बारे में यह रोचक विडियो भी देखिये।
रामनुजान के महत्व को हार्डी ने ही पहचाना था। इस श्रृंखला की अगली कड़ी में हम लोग हार्डी के बारे में बात करेंगे।
अनन्त का ज्ञानी - श्रीनिवास रामानुजन
भूमिका।। क्या शून्य को शून्य से भाग देने पर एक मिलेगा।। मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में जाने माने व्यक्ति - दत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर।।
सांकेतिक शब्द
। Number theory, recreational mathematics, Kaprekar constant, Kaprekar number,
। Mathematics, Mathematics,
। Hindi, पॉडकास्ट, podcast,
पोस्ट पढ़ी और आपकी आवाज में सुनी भी। बहुत अच्छा लगा कापरेकर जी के बारे में जानकर। शुक्रिया।
ReplyDeleteरोचक और महत्वपूर्ण.
ReplyDeleteकापरेकर के बारे में जानकारी मेरे लिए एकदम नई है. इनके बारे में कुछ और विस्तार से बताएं.
ReplyDeleteकभी कभी तो मुझे भी यही लगता है कि आपको भी प्रोफेशनली एक गणितज्ञ ही होना चाहिए था. मानसिक गणितज्ञ तो खैर आप हैं ही!
रवी जी, ४५ साल पहले मैं भी यही सोचता था लेकिन वह समय ऐसा था कि माता पिता की इच्छा का भी मान रखना पड़ता था। बस यही कह सकता हूं कि शायद ईश्वर यह नहीं चाहता था।
Deleteबहुत ही बेहतरीन सर । पूरी पोस्ट पढी और सुनी भी । मुझे इसकी जानकारी पहले नहीं थी , इनसे परिचय कराने का शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया सर
ReplyDeleteNICe
ReplyDeleteTHANKs
वाह, जानकर आनन्द आ गया..
ReplyDeleteदत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर और उनके कृतित्व से से परिचय करने का आभार ....ऐसे लोग अमर हो जाते हैं अपने योगदान से !
ReplyDeleteइन महान गणित जानकारों की जानकारी देने के लिए शुक्रिया आपके द्वारा दी गयी जानकारी सर्वथा नवीन है.
ReplyDeleteसंख्याओं का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि सभी कापरेकर संख्याओं का बीजांक १ अथवा ९ है। १ और ९ की विशेषताओं को तो हम सभी जानते ही हैं।
ReplyDeleteएक धूमिल सी छवि दिमाग में बन रही है। शायद मैं इस संख्या से पहले से ही परिचित हूँ। उस पुस्तक का नाम जादूई गणित था। जिसमे और भी गणितीय संख्याएँ दी गई थी।