Saturday, March 09, 2013

सूर्य एकदम लाल और अंडाकार हो गया था

इस चिट्ठी में, बिन्सर (कुमाऊं) के शिव मन्दिर और वहां से सूर्यास्त के दृश्य की चर्चा है।
बिन्सर का सूर्यास्त, मोबाइल से

बिन्सर (कुमाऊं) में प्राकृतिक सौंदर्य है और यहां पर जंगल में पैदल घूमना सबसे अच्छी बात है। हम लोग वहां एक ही रात थे। हम लोगों ने सोचा कि एक पैदल यात्रा शाम को ही कर लें। हम लोग  विश्राम गृह से शिव मंदिर तक जंगलों के बीच से गये। यह मंदिर रास्ते में पड़ा था पर जंगलों के बीच से जाने का मज़ा अलग था। 

शिव मंदिर बहुत पुराना है और वहां के पुजारी ने बताया कि इसे चौदहवीं शताब्दी के चन्द्रवंशी राजा ने बनवाया था।  इस मंदिर के पुजारी ने हम लोगों के लिए पूजा किया और टीका भी लगाया। 

मैं अज्ञेयवादी हूं और ईश्वर पर विश्वास नहीं करता हूं। लेकिन, फिर भी जब मंदिर जाता हूं और पुजारी श्रद्वा से कुछ करते है तब मुझे मना करने की हिम्मत नहीं पड़ती है और उन्हें वह सब करने देता हूं जिसमें मेरा विश्वास नहीं है।

बिन्सर के रास्ते में शिव मन्दिर
शिव मंदिर से सूर्यास्त बेहतरीन नज़ारा भी दिखाई पड़ता है। हम लोगों ने विन्सर का सूर्यास्त वहीं से देखा।


विद्यालय में, भौतिक शास्त्र में पढ़ा था कि सूर्यास्त या सूर्योदय के समय, सूर्य का आकार अंडाकर हो जाता है। इस समय सूरज एकदम अंडाकार लाल रंग का  हो गया था और उसके चारों तरफ का आकाश भी लाल रंग का हो गया था। 

उसके उपर जो बादल भी थे। उन बादलों की चहारदीवारी पर पड़ रही सूरज की रोशनी हल्के पीले रंग लिये हुए थी। यह अपने आप में अनुपम था। मैंने कई बार सूर्यास्त  को देखा है पर शायद जितना यह शिव मंदिर से देखने में सुन्दर लगा उतना सुन्दर मैंने अपने जीवन में कभी भी नहीं देखा।

मैंने अपने कैमरे के साथ रिचार्जेबल बैटरी ली थी और मैंने उन्हें चार्ज करके लाया था। लेकिन जब उनसे फोटो खींचने लगा तब कैमरे ने वित्र खींचने से मना कर दिया क्योंकि बैटरी कमजोर थीं। मुझे लगा फोटों खीचने से मना कर दिया। कि डिजिटल कैमरे के लिए पुन: आवेशीय बैटरी एकदम बेकार हैं।

नैनीताल मैं, मैनें दो नई बैटरी ली थी उन्हीं से चित्र ले रहा था। मुझे लगता लगता है कि वे बैटरी वह ठीक से चार्ज नहीं हुई है इसलिए अपनी नई बैटरियों से चित्र खींचने की कोशिश की पर जब तक सूर्यास्त के चित्र खीचने लगा तब वह भी समाप्त हो गयी। इसलिये कैमरे से इस बेहतरीन नज़ारे का चित्र नहीं खींच पाया। लेकिन अपने मोबाइल से खींची, जो यहां प्रकाशित है।

मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ कि क्यों नहीं मैंने एक और नई बैटरी रख ली थी। लेकिन एक शिक्षा मिली आगे से डिजिटल कैमरे के लिए कभी भी रिचार्चेबल बैटरी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। और हमेशा नयी बैटरी ख़रीद कर चलना चाहिए। क्योंकि हो सकता है कि अपने कैमरे पर किसी दृश्य का फोटो लेना चाहते हों और वो आप न ले पायें।

शिव मंदिर जाने में काफी चलना पड़ा था। वापस आने में भी मेरी हिम्मत नहीं थी कि पैदल आ सकूं। हम लोगों ने अपनी गाड़ी वहीं शिव मंदिर पर बुला ली। पैदल का रास्ता लगभग २.५० कि.मी. है। जबकि रोड से यह रास्ता १२ या १३ कि.मी. पड़ता है। हम लोग  पुन: कार के द्वारा वापस विश्राम गृह में आये। 

विश्राम गृह पर सूर्यास्त देखने का एक बिन्दु है। वहां पर भी काफी पर्यटक आये थे। अगली बार हम लोग उनसे बात करेंगे।
 
जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।। इस अदा पर प्यार उमड़ आया।। उंचाई फिट में, और लम्बाई मीटर में नापी जाती है।। चिड़िया घर चलाने का अच्छा तरीका।। नैनीताल में सैकलीज़ और मचान रेस्त्रां जायें।। क्रिकेट का दीवानापन - खेलों को पनपने नहीं दे रहा है।। गेंद जरा सी इधर-उधर - पहाड़ी के नीचे गयी।। नैनीताल झील की गहरायी नहीं पता चलती।। झील से, हवा के बुलबुले निकल रहे थे।। नैनीताल झील की सफाई के अन्य तरीके।। पास बैटने को कहा, तो रेशमा शर्मा गयी।। चीनी खिलौने - जितने सस्ते, उतने बेकार।। कमाई से आधा-आधा बांटते हैं।। रानी ने सिलबट्टे को जन्म दिया है।। जन अदालत द्वारा, त्वरित न्याय की परंपरा पुरानी है।। बिन्सर विश्राम गृह - ठहरने की सबसे अच्छी जगह।। सूर्य एकदम लाल और अंडाकार हो गया था।।

 
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सांकेतिक शब्द
। Binsar,
Kumaon,  
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5 comments:

  1. रिचार्जेबल बैटरी हमेशा गड़बड़ कर देती हैं ऐसे मौकों पर.

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  2. 1-यह पोस्ट अगर श्रृंखला से अलग स्वतंत्र रूप से पढी गयी तो पाठक के मन में यह बात आ सकती है कि आखिर यह बिनसर है कहाँ ? सो प्लीज इसका भी उल्लेख कर दें .....
    2-क्या उगते और डूबते समय सूर्य सचमुच अंडाकार हो जाता है ? चकरीनुमा नहीं ? मुझे भ्रम हो रहा रहा है क्योंकि अंडे की जो तस्वीर जेहन में उतर आई है उस मुताबिक सूर्य को इन दोनों स्थितियों में तो कभी नोटिस नहीं किया. अब ध्यान से देखेगें तब बताएगें
    3- आप वाले चित्र में एक प्रामिनेंट सौर कलंक सा दिख रहा है वह क्या मोबाईल के लेंस पर गिरा कोई धूल कण है ?

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    1. मिश्र जी धन्यवाद।
      १ - मैंने कुमाऊं शब्द जोड़ दिया है।
      २- सूर्य हवा में प्रकाश के अपवर्तन के कारण वह अंइाकार दिखता है पर उसका वास्तविक स्वरूप तो वही रहता है। यह केवल मृगतृष्णा जैसा आंखों को भ्रम होता है।
      ३- हो सकता है कि कोई धूलकण हो।

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  3. यायावरों को अपने हथियार दुरुस्त रखने होंगे, कैमरे आदि।

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  4. वास्ते अज्ञेयवाद,
    (१)
    निज अविश्वास के बावजूद धार्मिक अनुज्ञाओं का यंत्रवत पालन संभवतः सामने मौजूद बंदे की भावनाओं का मान रखने वाला शिष्टाचार ही कहा जायेगा ! अथवा...
    (२)
    अपने ही परिजनों/पुरखों की विरासत/सीख/आस्था के प्रति कृतज्ञता दर्शाने जैसी मंशा/सदाशयता! या फिर ...
    (३)
    ये भी सम्भव है कि अविश्वास के अपने कथन के अंदर ही कहीं विश्वास छुप कर बैठा हो! अथवा कोई और बात...

    अपने स्वयं के लिए भी इसी तरह के मानसिक द्वन्द में फंस जाया करता हूं मैं !

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