अभाज्य नम्बर अन्नत है। लेकिन यह नहीं मालुम कि वे कब, कहां, और कैसे मिलते हैं। इनको पता करने का कोई भी सूत्र नहीं है।
१८५९ में, उन्होंने नम्बर थ्योरी (Number Theory) पर एक पेपर प्रकाशित किया। इस विषय पर उनके द्वारा लिखा गया केवल एक यही पेपर है। लेकिन इस पेपर ने जितने अन्य गणित के पेपर को जन्म दिया, उतने गणित के क्षेत्र में किसी अन्य पेपर ने नहीं।
रीमैन ने एक सूत्र (function) निकाला जिसे रीमैन ज़ीटा सूत्र या आयलर-रीमैन ज़ीटा सूत्र कहा गया। इसके बारे में, उसने कुछ अटकलें भी बतायीं। इसमें से एक इस बारे में भी थी कि किसी अंक से कम कुल कितने अभाज्य नम्बर होगें।
रीमैन ज़ीटा सूत्र इस प्रकार है।
यहां x और y वास्तविक अंक हैं और i काल्पनिक इकाई है। इस श्रंखला का मान x>1 के लिये यह अनन्त से कम है और यह श्रंखला कंवर्जेन्ट (convergent) है। लेकिन x ≥ 1 के लिये इसका मान अनन्त की ओर जाता है और यह डाइवर्जेन्ट (divergent) श्रंखला है।
रीमैन ने, विश्लेषणात्मक तरीके से (analytically continued), इस सूत्र का मान सारे x < 1 के लिये निकाला। इस तरह से इसे किसी भी कॉम्लेक्स प्लेन (complex plane) (यानि x और y के किसी मान के लिये) निकाला जा सकता है।
विश्लेषणात्मक तरीके से, निकाले गये इस सूत्र का मान ऋणात्मक सम पूर्ण संख्याओं (negative even integers) के लिये शून्य है। इन्हें साधारण शून्य (trivial zeros) तथा बाकी सारी संख्याओं के शून्य को असाधारण शून्य (non-trivial zeros) कहा गया।
रीमैन ज़ीटा सूत्र के असाधारण शून्य एक सीधी पंक्ति में हैं। रीमैन अटकल (Riemann conjecture) है कि यह हमेशा एक सीधी पंक्ति में होंगे जब इसके वास्तविक भाग यानि कि x का मान १/२ अथार्त यह आसाधारण शून्य, सीधी लाइन १/२+iy पर होंगे।
यदि हम यह कहें कि x और y अक्षांश और देशान्तर हैं और रीमैन ज़ीटा सूत्र गणित के भूदृश्य पर उस जगह की ऊंचाई बताता है तब समुद्रतल की ऊंचाई वाले (यानि कि समुद्रतल से शून्य ऊंचाई वाले) बिन्दु एक सीधी रेखा में होंगे।
१० अरब असाधारण शून्यों के लिये यह पड़ताल की जा चुकि है, जिसमें यह बात सही पायी गयी। यह बात, इस अटकल (conjecture) को, अनुमान (hypothesis) का दर्जा दिला सकता है। लेकिन सिद्धान्त का स्थान नहीं। यह बात भौतिक शास्त्रियों के लिये पर्याप्त होगी पर गणियतज्ञों के लिये नहीं। वे जानना चाहते हैं कि १० अरब एकवां शून्य, सीधी पंक्ति में होगा अथवा नहीं।
अगली बार हम लोग, रीमैन अनुमान के महत्व की चर्चा करेंगे।
अनन्त का ज्ञानी - श्रीनिवास रामानुजन
भूमिका।। क्या शून्य को शून्य से भाग देने पर एक मिलेगा।। मैं तुम्हारे पुत्र के माध्यम से बोलूंगी।। गणित छोड़ कर सब विषयों में फेल हो गये।। रामानुजन को भारत में सहायता।। रामानुजन, गणित की मुशकिलों में फंस गये हैं।। दिन भर वह समीकरण, हार्डी के दिमाग पर छाये रहे।। दूसरा न्यूटन मिल गया है।। अभाज्य अंक अनगिनत हैं।। दस खरब असाधारण शून्य सीधी पंक्ति में हैं।। दस लाख डॉलर अब भी प्रतीक्षा में हैं।।
सांकेतिक शब्द
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अब समझ में आता है कि गणित शास्त्रों की रानी क्यों हैं ?
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी और सार्थक प्रस्तुति.
ReplyDeleteThanks God Mathematics is not being taught in Hindi , else it would have become complicated. This post seemed confusing to me a little . I had to open wiki to read Euler–Riemann zeta function, ζ(s)to set back the concept in mind.
ReplyDeleteIf I was writing it in English then I would have written like this:
Delete'If the two coordinates are values for latitude and ongitude and Riemann Zeta Function returns the altitude for every point on a mathematical landscape then all points having zero altitude would be in a straight line. It is like saying that all points on sea level are in a straight line.'
It is just possible that I might not have been able to correctly translate it in Hindi. It is difficult concept. 30th April 1945 issue of Time magazine said,
'No laymen has been able to understand it and no mathematician has ever proved it.'
What to say about laymen, even many mathematicians don't understand it. It is not an easy concept.
यदि एक रेखा में सारे अंक आ रहे हैं तो सूत्र सिद्धप्राय है।
ReplyDeleteगणित का विस्तार भी कहां-कहां तक है। जय हो।
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