Thursday, January 28, 2021

स्वच्छ भारत अभियान - बिना हमारी भागीदारी के नाकामयाब है

इस चिट्ठी में, राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य की एक घटना के साथ, चर्चा है , कि स्वच्छ भारत अभियान कैसे सफल हो।


चम्बल अभयारण्य
राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य और मेला कोठी।। मगर दिखे पर घड़ियाल नहीं।। स्वच्छ भारत अभियान - बिना हमारी भागीदारी के नाकामयाब है।।

चम्बल वन्यजीव अभयारण्यका मुख्य आकर्षण, चंबल नदी पर बोट की सफारी है। जहां से बोट सफारी मिलती है, वहां तक, कुछ किलोमीटर, कच्ची रोड पर चलना होता है। यह चंबल के बीहड़ों के बीच होती जाती है फिर लगभग एक किलोमीटर, नदी के बगल में जाती है।  कच्ची रोड और नदी के बीच समतल मैदान हैं जहां आप घूम सकते हैं और पिकनिक कर सकते हैं।

सफारी से लौटते समय, हम लोगों कि कुछ परिवार दिखे। वे समतल मैदान पर पिकनिक कर, वापस जा रहे थे। उनकी गाड़ी रस्ते में खड़ी थी। इसलिये हमें रुकना पड़ा। रुकने में, मैंने नजर दौड़ायी तो देखा कि उन्होंने वहां बहुत कूड़ा - प्लास्टिक की बोतलें, गत्ते का डिब्बा, कागज, पन्नी वगैरह  छोड़ दिया था और बिना साफ किये जा रहे थे। मुझे अपनी साउथ अफ्रीका यात्रा और क्रुगर पार्क की सफाई याद आयी। इसकी चर्चा मैंने 'क्रुगर पार्क की सफाई देख कर, अपने देश की व्यवस्था पर शर्म आती है' नामक शीर्षक की चिट्ठी पर की है। 

समतल मैदान, जहां पिकनिक हो रही थी

मैंने अपने ड्राइवर से कहां कि वहां से कूड़े को बटोर कर गत्ते के डिब्बे में रख ले। हम लोग उसे होटेल में छोड़ देंगे। ड्राइवर का जवाब दिया, 

'जब हमने गन्दगी की नहीं तो हम क्यों साफ करें।'

मैंने ड्राइवर से कुछ नहीं कहा पर  दरवाजा खोल कर,  सफाई करने के लिये जाने लगा। इस पर, हमारे साथ आये गाइड ने, मुझे जाने से रोक दिया और खुद वहां चला गया।

गाइड ने, उन लोगों से कुछ नहीं कहा पर उनके द्वारा की गयी गन्दगी की सफाई की  और उनके द्वारा छोड़ा गया सारा कूड़ा, गत्ते के डिब्बे पर रख कर लाने लगा। यह देख कर उन लोगों के साथ आयी, एक महिला आयी। उसने गाइड से गत्ते का डिब्बा  ले लिया, माफी मांगी और कहा कि वह शर्मिन्दा है और वायदा किया कि फिर कभी ऐसा नहीं होगा। गाइड ने उससे केवल उससे यह कहा कि यदि हम ही यहां गन्दगी करेंगें तो जानवर कैसे बचेंगे।

गाइड ने वापस आ कर सारा किस्सा बताया, तब हमारा ड्राइवर बोला,

'साहब, अब समझ में आया कि आप क्यों मुझसे वहां जा कर सफाई करने को क्यों कह रहे थे। इन लोगों को सबक मिला। यह लोग अब फिर ऐसा कभी नहीं करेंगे।'

हमारी सबसे बड़ी कमी यही है - हम अपना घर तो साफ रखते हैं पर कूड़ा सड़क पर फेंक देते हैं। वास्तव में, सार्वजनिक जगह की  देखभाल, अपने घर से ज्यादा करनी चाहिये। अपने घर में तो केवल हम रहते हैं पर सार्वजनिक स्थान पर, हम सब।

लेकिन इसमें सरकार की भी गलती है। सरकार को वहां कूड़ेदान रखने चाहिये, ताकि लोग उसका प्रयोग कर सकें और कूड़ेदान से कूड़ा उठाने का भी इन्तजाम करना चाहिये। इस बात की चर्चा मैंने सिक्किम यात्रा विवरण लिखते समय 'तारीफ करूं क्या उसकी, जिसने तुझे बनाया' नामक शीर्षक की चिट्ठी में किया है।  

इस सरकार ने,  स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है। यह अच्छी बात है, बहुत कुछ किया भी है। लेकिन जब तक हम कूड़े का प्रबन्धन और उसे एकत्र कर उठाने का कोई सफल प्रोग्राम नहीं बनाते, यह सफल नहीं हो सकता।

About this post in Hindi-Roman and English 
This post in Hindi (Devnagri script) is, how to make Swachh Bharat Mission successful in context of an incident in the 'National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary'. You can read translate it into any other  language also – see the right hand widget for translating it.

hindi (devnagri) kee is chitthi mein,  'National Chambal Gharial Wildlife Sanctuary' mein ghatee ek ghtna ke saath charcha hai ki Swachh Bharat Abhiyaan kaise safal ho. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

सांकेतिक शब्द

National Chambal Sanctuary, राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य

स्वच्छ भारत अभियान, Swachh Bharat Mission

#हिन्दी_ब्लॉगिंग #HindiBlogging #SwachhBharatMission

 

No comments:

Post a Comment

आपके विचारों का स्वागत है।